खण्डहरनुमा मुर्गी के दरबे मे लगी जिला अस्पताल की लाण्ड्री मशीन हो रही है बेकाम…

  • टंकी के पानी से ही सीपेज, उखड़ गई फ्लोरिग
  • पहले दिन ही दिख गई मरम्मत कार्य की गुणवत्ता

अम्बिकापुर 06 मई

जिला अस्पताल में लाखों रूपये की लागत से स्थापित की गई लॉण्ड्री मशीन के लिये लाखों रूपये खर्च कर खण्डहरनुमा मकान में किये गये काम की गुणवत्ता मशीन चालू होने के पहले दिन ही देखने को मिल गई। जिस हिसाब से उस मकान की मरम्मत का काम किया जा रहा था उसमें शुरू से ही कई शिकायत व सवाल लोगों ने खड़े किये थे। आज जब मशीन चालू हुई तो नीचे तैयार की गई फ्लोरिग उखडने लगी। यही नहीं बरसात के दिनों में पानी का रिसाव छत से न हो इसके लिये ठेकेदार द्वारा छत के ऊपर भी मरम्मत का काम करवाया गया था लेकिन छत के ऊपर लगी पानी की टंकी के पानी से ही दिवाल में सीपेज आना शुरू हो गया है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि बरसात के दिनों में इस भवन का क्या हाल होगा और लाखों की मशीन कितनी सुरक्षित रह पायेगी।

गौरतलब है कि जिला अस्पताल की चादरों सहित अन्य कपड़ों की धुलाई सहित प्रेस करने के लिये 12 लाख से ऊपर की लॉण्ड्री मशीन महीनों पूर्व मंगाई गई थी। उसे स्थापित करने के लिये महिला वार्ड की ओर एक खण्डहर नुमा मकान का चयन किया गया था। अस्पताल के आरएमओ ने कहा था कि उक्त मकान को मरम्मत करवाकर मशीन की स्थापना कराई जायेगी। इस लिहाज से भवन की मरम्मत के लिये ही शुरू से सिविल सर्जन के दफ्तर में कार्यरत कर्मचारी आपसी सांठगांठ से कमीशन का खेल खेलते हुये ऐसे व्यक्ति को मरम्मत का काम सौंपा, जो पहले इस प्रकार का कोई भी काम नहीं किया था। यही नहीं अन्य ठेकेदारों ने पीडब्ल्यूडी से फर्जी स्टीमेट तैयार करवाकर वहां के यूडीसी द्वारा अपने ही परिवार के व्यक्ति को उक्त काम का जिम्मा सौंप देने का आरोप लगाया था। लगभग ढाई लाख का स्टीमेट बनवाकर ठेकेदार को शुरू में ही 50 हजार का भुगतान कर दिया गया था। उक्त ठेकेदार द्वारा किस प्रकार की मरम्मत उस खण्डहरनुमा मकान में की गई, उसकी स्थिति गुरूवार को ही देखने को मिल गई। मशीन चालू करने के बाद मशीन के नीचे की फ्लोरिग भी टूटने लगी है। चार दिन के प्रशिक्षण के बाद भी वहां धुलाई का काम कर रहे कर्मचारी ठीक तरीके से मशीन को समझ भी नहीं पाये हैं। कल पहले दिन ही प्रेस मशीन से धुंआ भी निकलने लगा था। यही नहीं जिस भवन की मरम्मत कराई गई है वह ऊपर लगी पानी की टंकी के रिसाव से ही वहां की दिवारों में सीपेज दिखने लगा है। विद्युत कनेक्शन भी यूडीसी ने अपने ही परिवार के लोगों से कराया है यह जानकारी जिला अस्पताल में पूर्व में काम करने वाले ठेेकेदारों द्वारा बताया गया। पूरी मशीन को चलाने के लिये अभी वहां एक अलग ट्रांसफार्मर की जरूरत है, परंतु अभी सहज विद्युत कनेक्शन लेकर मशीन का संचालन कराया जा रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाखों की मशीन किस तरह से व कितने दिन सुरक्षित रह पायेगी।
भवन से लगा वृक्ष कभी भी हो सकता है धरासाई

जिस पुराने भवन में लाखों की मशीन स्थापित की गई है उस भवन से लगा एक विशालकाय वृक्ष है, जो भवन के अंदर तक निकल चुका है। कभी भी आंधी, पानी में अगर यह वृक्ष धरासाई होता है तो लाखों की इस मशीन को क्षतिग्रस्त होने से कोई नहीं रोक पायेगा। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पेड़ को कटवाने के लिये वे एसडीएम को पत्र लिख चुके हैं।

कराई जायेगी दुबारा मरम्मत-सीएस
अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एनके पांडेय ने कहा कि उक्त भवन पुराना है तो उसकी मरम्मत के लिये टेंडर जुलाई में निकाला गया था परंतु किसी ठेकेदार द्वारा अप्लाई नहीं करने की स्थिति में उक्त ठेकेदार को काम सौंपा गया। जहां तक अस्पताल के अधिकारी द्वारा अपने चहेतो को काम देने की बात है उस पर उन्होंने कहा कि यह आरोप लगत है। अगर उक्त ठेकेदार द्वारा मरम्मत काम किये जाने के बाद भी सीपेज व फ्लोरिग उखडने लगी है तो दुबारा मरम्मत कार्य कराया जायेगा।