आदिवासी मुख्यमंत्री के मुद्दे को सबसे गर्म करने वाला नेता ही पड गया ठंडा…. लेकिन क्यों?

बलरामपुर कृष्ण मोहन

अब छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री आदिवासी होगा कि नही, यह पार्टी आलाकमान तय करेगा, हम तो केवल पार्टी के एक कार्यकर्ता ही है, मुख्यमंत्री चुनने का प्रोसीजर अलग होता है, यह कहना है प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति,जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष नन्दकुमार साय का….

आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग ठंडे बस्ते में…..

आपको बता दे की छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता आने के बाद से नन्दकुमार साय समेत भाजपा के कई बड़े नेता प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग करते रहे है,और साल 2008 से 2013 में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीतने पर प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाये जाने को चुनावी एजेंडे में शामिल कर चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी ने कद्दावर नेताओ की आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को ही दरकिनर कर दिया, तथा रमन सिंह को ही प्रदेश का नेतृत्व करने का मौका मिला। और अब पार्टी के आदिवासी नेताओ द्वारा अपने आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग से पीछे हटना समझ से परे है, वह भी ऐसे समय मे जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है।

संघ की तीन दिन की कार्यशाला…

दरसल बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ विकासखण्ड के डीपाडीह गाँव मे आर एस एस की तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, और आज इस कार्यशाला के दूसरे दिन नंद कुमार साय कार्यशाला में शामिल होने पहुँचे थे। हालाकी इस कार्यक्रम में मीडिया से दूरी बनाई गई थी। लेकिन आदिवासी नेताओ के द्वारा पार्टी अनुशासन की बात करना और प्रदेश को आदिवासी नेतृत्त्व की घोषणा के बाद वादे से मुकरने के बाद भी आदिवासी नेताओ की चुप्पी समझ से परे है।