रायपुर में स्काईवाक निर्माण फिजूलखर्ची : डा. रेनु जोगी

रायपुर  छत्तीसगढ़ विधानसभा की उप नेता प्रतिपक्ष एवं कोटा विधायक डा. रेनु जोगी ने कहा कि राजधानी रायपुर में शास्त्री चौक से 3/4 किलोमीटर के दायरे में डी.के. अस्पताल, मोतीबाग चौक, लालगंगा शापिंग माल, अम्बेडकर अस्पताल चौक, कलेक्ट्रेट चौक तक किया जा रहा स्काईवाक निर्माण (42.55 करोड़ रूपये) फिजूलखर्ची है। स्काईवाक के निर्माण की वजह से इस मार्ग पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है तथा लोगों को लम्बे जाम का सामना करना पड़ रहा है। घड़ी चौक पहले भी और आज भी रायपुर की पहचान का प्रतीक तथा उसका हृदय स्थल है। निर्माणाधीन स्काईवाक के इर्द-गिर्द डी.के. अस्पताल, कचहरी, जिला न्यायालय, टाउन हाल, शास्त्री चैक, जय स्तंभ, राजभवन, देवलालीकर कला विधिका, मोती बाग आदि ऐसे इतिहास को अपने में समेटे हुए गौरवशाली स्मृति चिन्ह है, जिन्हें यथावत रखना न सिर्फ आवश्यक है बल्कि हम छत्तीसगढ़वासियों का कर्तव्य भी है। रायपुर शहर की अस्मिता, संरचना, इतिहास और प्रतीक चिन्हों को आधुनिक बनाने की आड़ में छेड़ना या उनसे खिलवाड़ करना कदापि उचित नहीं है।

 

डा. जोगी ने कहा कि शासन द्वारा स्काईवाक निर्माण के लिये यह तर्क दिया जा रहा है कि शास्त्री चैक सबसे व्यस्त इलाका है। जब रायपुर रेल्वे स्टेशन से फाफाडीह, सेन्ट्रल जेल, पंडरी, शंकर नगर, अवन्ति विहार, अमलीडीह होते हुये छोटी रेल्वे लाईन के स्थान पर केन्द्री तक सिक्स लेन सड़क बन रही है तो केनाल रोड के समान, अम्बेडकर अस्पताल, रेल्वे स्टेशन तक आसानी से पहुंचने का वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो जायेगा। ऐतिहासिक स्मारकों को यथावत रखने के सम्बन्ध में उन्होंने देश की राजधानी नई दिल्ली का उदाहरण देते हुये कहा कि वहां अण्डर ग्राउण्ड मेट्रो का निर्माण किया गया है ताकि पुरातत्व विभाग के सभी स्मारक यथावत सुरक्षित रह सकें।

 

डा. जोगी ने स्काईवाक के निर्माण पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुये कहा कि यदि फ्लाईओवर का निर्माण किया जाता तो वह जनता के लिये ज्यादा उपयोगी सिद्ध होता। स्काईवाक के निर्माण में भारी भरकम राशि व्यय की जा रही है जिसका कोई औचित्य नहीं है। यदि इसका निर्माण करवाया जाना इतना ही आवश्यक था तो सर्वप्रथम इसकी उपयोगिता का एक सर्वे करवाया जाना आवश्यक था। यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि इस स्काईवाक पर चढ़ने के लिये सीढ़ी व एक्सलेटर का भी उपयोग किया जायेगा, जिसके लिये बिजली की आवश्यकता होगी एवं विद्युत खपत भी होगी, जिसका भार अन्ततः प्रदेश की जनता को ही भुगतना होगा।

 

डा. जोगी ने कहा कि भारतवर्ष में सिर्फ मुम्बई में वर्ष 2008 में 37 स्काईवाक का निर्माण लोकल ट्रेनों के स्टेशनों जैसे अंधेरी, विले पार्ले, बान्द्रा, बोरिविली, सेन्ट्राक्रूस, थाने, कल्याण आदि में यात्रियों के आवागमन की सुविधा के लिए किया गया है जहां 5,65,000 (पांच लाख पैंसठ हजार) व्यक्ति प्रतिदिन (अगस्त 2010) उसे पैदल पार करते हैं। वर्तमान में, कोलकाता में दूसरा स्काईवाक सुप्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पास बन रहा है जिसका निर्माण पूर्व में रानी राशमोनी ने कराया था। यह सितम्बर 2017 में पूर्ण होगा। इसके एक तरफ गंगा नदी है तो दूसरी तरफ एकमात्र 10.5 मीटर अर्थात् 40 फीट चैड़ी, 400 मी. (1/2 कि.मी.) लम्बी सड़क है जिसका नाम रानी राशमोनी रोड है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसकी अत्याधिक उपयोगिता है क्योंकि लाखों श्रृद्धालु यहाँ आते हैं।

डा. जोगी ने अन्त में कहा कि स्काईवाक के निर्माण से जनता को विशेष फायदा नहीं होने वाला है। फाफाडीह की तरफ एक और अतिरिक्त प्लेटफार्म बना देने से फायदा होगा, साथ ही सरोना को भी उस्लापुर स्टेशन के समान विकसित करें। यदि फिर भी यातायाता में सुधार नहीं हो तो स्काईवाक बनाने पर विचार करें अन्यथा नहीं। रात्रि के समय अवांछित लोगों का जमावड़ा होगा तथा कई तरह के अपराध भी अंजाम दिये जायेगें। इसलिये शासन को इस पर पुनर्विचार कर अन्डर पास या फ्लाईओवर निर्माण की ओर ध्यान देना चाहिये अथवा छोटी रेल्वे लाईन के स्थान पर सिक्स लेन सड़क निर्माण पूरा होने तक इन्तजार करना चाहिए।