लाखों खर्च कर बना टीवी वार्ड हुआ बेकाम …. टीबी,डायरिय,एड्स के मरीज एक साथ

  • अभी भी एक वार्ड में टीबी, डायरिया व एड्स के मरीज हो रहे दाखिल

अम्बिकापुर (दीपक सराठे)

जिला अस्पताल में लाखों रूपये फूंकने के बाद भी साधन सुविधाओं को किस तरह से दरकिनार कर छोड़ दिया जाता है, इसका एक नमूना वर्तमान में क्षय विभाग में बताये गये टीवी वार्ड से लगाया जा सकता है। कुछ माह पहले अस्पताल परिसर स्थित 1935 में बनी क्षय विभाग की इमारत को लाखों रूपये खर्च कर न सिर्फ उसे साफ सुथरा किया गया, बल्कि वहीं टीवी के मरीजों को दाखिल करने दो वार्ड भी बनाये गये थे। अलग वार्ड बनने के बाद भी अगल यह है कि जिला अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में एक साल सारे संक्रमित रोग टीवी, एड्स व डायरिया के मरीजों को रख कर नका उपचार किया जा रहा है।

क्षय विभाग में टीवी के मरीजों के लिये अलग वार्ड व लाखों की सीबीनेट मशीन लगाने के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि शायद अब टीवी के मरीजों का बेहतर उपचार संभव हो सकेगा, परंतु ऐसा अभी तक नहीं हो सका। सरगुजा में टीवी जैसी संक्रमक बिमारी का आंकड़ा देखें तो हर वर्ष बढ़ता आंकड़ा चौकाने वाला है। सिर्फ दो साल 2014-15 में ही 1668 टीवी के मरीज सरगुजा में सामने आये हैं। जिनका उपचार दवाईयों के माध्यम से चल रहा है। इनमें कई तो पलमोन्टी व एमउीआर जैसे खतरनाक टीवी से भी पीड़ित है। सरगुजा जिले में 2011 से अब तक 14 एमडीआर टीवी के मरीजों को डायगनोस किया गया है। वर्तमान में इनकी  संख्या घटकर दो हो चुकी है। विडम्बना यह है कि टीवी जैसी बिमारी से लोगों को बचाने व लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ निःशुल्क दवा देने के बाद भी सरगुजा में टीवी बिमारी का आंकड़ा हर माह बढ़ता जा रहा है। लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी वर्तमान की बात करें तो सरगुजा में टीवी जैसी संक्रमक बिमारी की स्थिति नियंत्रण से बाहर हैं।

इतनी गंभीर स्थिति होने के बाद भी इन मरीजों के बेहतर उपचार के लिये बनाये गये टीवी वार्ड को आज तक क्यों प्रारंभ नहीं किया गया, यह तो अस्पताल प्रबंधन व प्रशासन ही जाने, परंतु यह कहना लाजमी होगा कि बेहतर उपचार सुविधा नहीं मिल पाने से सरगुजा में टीवी बिमारी की स्थिति आने वाले समय में अपना भयावह रूप दिखा सकती है।

एक वार्ड में कई बिमारियों का संक्रमण
अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में एक साथ टीवी, एड्स, डायरिया जैसे संक्रमित बिमारियों से ग्रसित मरीजों को रखा जाता है। चिकित्सक भी मानते हैं कि ऐसी स्थिति में एक मरीज से दूसरे को संक्रमण हो सकता है। जहां तक एमडीआर मरीजों को सवाल है इनके दाखिल होने से स्थिति और ज्यादा खतरनाक हो जाती है। यह जानते हुये भी वर्षों से अस्पताल की यह समस्या यथावत बनी हुई है।

वार्ड बना पर स्टाफ नहीं-सिन्हा
जिला क्षय विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. पीके सिन्हा ने कहा कि  सरगुजा संभाग में टीवी के मरीजों की संख्या ज्यादा है। यहां वार्ड तो बनाया गया है परंतु स्टाफ  नहीं दिया गया है। टीवी वार्ड के लिये चिकित्सक व स्टाफ नर्स दिन व रात दोनों समय चाहिये।  जिला अस्पताल में टीवी के चिकित्सक डॉ. आरएस सिंह है, वही एमडीआर के लिये मेडिकल कॉलेज के नाम से डॉ. अशोक टोप्पो को रखा गया है। टीवी वार्ड के लिये पर्याप्त स्टाफ मिल जाता है तो यहां मरीजों को सुविधा मिल जायेगी। इसके लिये वे प्रबंधन व कलेक्टर से भी चर्चा करेंगे।