जिसकी “लाश” से रोज होती है मुलाकात… 25 साल मे 2 लाख लाश से हुआ सामना

  • 25 साल में 2 लाख लाश देखने वाला गरीबो की करता है मदद

अम्बिकापुर (दीपक सराठे)

लाश…यह शब्द सुनते ही अच्छे-अच्छों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, परंतु यह शख्स ऐसा है जिसने अपनी 25 साल की नौकरी में लगभग 2 लाख लाशों  का सामना किया है। फिर चाहे वह लाश कैसी भी परिस्थिति की क्यों न हो, इस शख्स के हाथ उसे छूने से नहीं कांपते। सुनने में अजीब जरूर लगता है पर हम बात कर रहे हैं जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम करने वाले सुनील की।  उसे अब लोग सुनील भईया या सुनील पीएम के नाम से पुकारते हैं। सुनील की 25 साल की नौकरी में लगभग प्रत्येक दिन उसकी मुलाकात लाशों से हुई है। जहर खुरानी का मामला हो या दुर्घटना में हुई मौत, जलने का मामला हो या  फिर हफ्तों से सड़ी गली लाश। इस परिस्थिति में पोस्टमार्टम कक्ष से चिकित्सक तो बाहर भले ही निकल जाते हैं पर सुनील अपने काम को पूरी ईमानदारी से करता आ रहा है। यही नहीं लगातार हर रोज मृत शरीर का सामना करते हुये अब सुनील आधा चिकित्सक तो हो ही चुका है। चिकित्सक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बाद में बताते हैं पर सुनील को मौत की वजह का अंदाजा पहले से ही लग जाता है।

गरीबों की भी मदद
कई संदिग्ध मामलों में गरीबों के परिवार में हुई मौत पर जब परिजन के पास शव को ढकने तक के लिये कपड़े नहीं होते तो सुनील ने ऐसे कई परिवारों की मदद भी की है। ऐसे परिवार को तत्काल अपनी जेब से पैसे निकालकर कफन व अन्य सामग्री के लिये अपनी हाथ बढ़ाये हैं। सुनील की इस भलमंसाहत से पुलिस भी वाकिफ है।

नहीं चाहता आये लाश
हालांकि सुनील की नौकरी पोस्टमार्टम करने की है और उसे इसी की तनख्वाह मिलती है, परंतु वह यह नहीं चाहता कि कोई लाश पोस्टमार्टम के लिये आये। दो लाख के लगभग लाशों का पोस्टमार्टम करते-करते उसने अनगिनत लोगों के दुःख को साझा किया है। कुछ मामले तो ऐसे हैं जिससे शव को देख उसके भी हाथ कांप गये थे। हाल ही में शहर में एक आगजनी के दौरान मां-बेटे की मौत, विदाई के तत्काल बाद दुर्घटना में पति-पत्नी की मौत सहित ऐसे कई मामलों का जिक्र करते हुये सुनील की आंखे डबडबा जाती है।