मिशन 2023: जांजगीर चांपा विधानसभा में हवा का रुख को समझने में कांग्रेस ने दिखाई समझदारी…वही बीजेपी से 6 बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे एक ही चेहरा को देख जनता ले रही चुटकी…जनता ने कहा”अब नही सहिबो विधायक ल बदल के रहिबो”…

जांजगीर चांपा। जांजगीर चांपा विधानसभा की जनता इस बार बदलाव की मूड में नजर आ रही हैं. नामांकन दाखिल करने के बाद जांजगीर चांपा विधानसभा का माहौल अब धीरे-धीरे गरमाने लगा है. प्रचार प्रसार की बात कर तो नारायण चंदेल से आगे व्यास नारायण कश्यप निकलते दिख रहे है. 6 साल से विधानसभा में एक ही चेहरा को देखते- देखते जनता बदलाव के मूड में नजर आ रही है। हालांकि अभी यह प्रचार प्रसार का शुरुआती दौर है. आगे कौन दौड़ में आगे होगा यह धीरे-धीरे साफ होते जाएगा. लेकिन भूपेश बघेल के किसान के लिए कर्ज माफी एवं शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा घोषणा से जनता जरूर खुश नजर आ रही है. इसका परिणाम भी आने आने वाले समय में जरूर दिखेगा। सामाजिक वर्गो के वोटर इस बार कांग्रेस के पक्ष में दिख रहे हैं.तो वही जनता नया चेहरा को मौका देना चाह रही है।

30 साल से बीजेपी एक ही चेहरा को चुनाव मैदान में उतार रही वही इस बार कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी को बदला है. जिसका असर जनता में दिखने लगा है.पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर जनता बदलाव के मूड में नजर आ रही है. जिसके परिणाम स्वरुप कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रत्याशी को बदलकर राजनीति हवा के रुख को समझ लिया, लेकिन बीजेपी ने फिर से वही चेहरे को मैदान पर उतारा है. जिससे बीजेपी के कार्यकर्ता तो रुष्ट नजर आ ही रहे हैं वही जानता भी बीजेपी के प्रत्याशी से कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं।

जांजगीर चांपा विधानसभा में बीजेपी के प्रत्याशी नारायण चंदेल नेता प्रतिपक्ष भी हैं. अभी तक उन्होंने अपने विधानसभा में तीन बार जीत हासिल की है. लेकिन अपेक्षा के अनुरूप वे खरे नहीं उतरे. जनता विधानसभा में चुनाव जीताकर तीन बार मौका दी थी, लेकिन विकास के नाम पर गांव की बात तो दूर जिला मुख्यालय में समस्या का अंबार है. रोड, पानी, नाली की समस्या ज्यों का त्यों बना हुआ है. बरसात के समय जिला मुख्यालय के रोड में पानी लबालब हो जाता है. तो वही घर से निकलने वाले पानी के लिए नाली की समस्या बनी हुई है. धूल भरे रोड से चलने को जनता मजबूर है. जब विधायक अपने मूलभूत समस्या को दूर करने में नाकाम है तो जनता उस जनप्रतिनिधि को कैसे स्वीकार करेगी।

जिला मुख्यालय में धूल एवं कीचड़ से चलने को लोग मजबूर हैं लेकिन जनप्रतिनिधि द्वारा इस समस्या को दूर करने में किसी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखाई.महीना भर से लोग धूल में चलने को मजबूर है. वहीं कई महीनो से रोड किनारे बेजा कब्जा किए दुकान में हटाने के बाद ना तो रोड बन पाया है, नहीं नाली का निर्माण हो पाया है. जिला मुख्यालय का जल आवर्धन योजना से लेकर जल जीवन मिशन योजना फेल नजर आ रहा है. अभी तक जनता की द्वार तक पीने का पानी नहीं पहुंच पाया. इन सब के पीछे स्थानीय जनप्रतिनिधि का ही जिम्मेदारी होती है लेकिन हमारे इस विधानसभा के जनप्रतिनिधि की निष्क्रियता ही बता रही है कि जनता किस हालत पर है. अब मौका जनता के हाथ में उन्हें फैसला करना है की किस जनप्रतिनिधि के साथ देना है और किसको सिरे से खारिज करना है.जनता आने वाले समय में जरूर इसका हिसाब अपने विधायक से पूछेगी।