सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है यह आदर्श गौठान. नेता-मंत्री के आने पर ही यहाँ दिखते हैं मवेशी

कोरिया. छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गुरुवा, गुरुवा, बाड़ी योजनान्तर्गत बनी गौठान प्रशासन की अनदेखी की वजह से दम तोड़ रही है और सरकार के इस महत्वपूर्ण योजना की ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही बयां कर रही है. ऐसा ही एक गौठान है कोरिया जिले में जहां के गौठान में मवेशी नहीं है. कोई देखरेख करने वाला नहीं है. जिससे यह गौठान केवल शो पीस बनकर रह गया है.

जिले के बैकुंठपुर ब्लॉक के ग्राम नरकेली में बना आदर्श गौठान केवल शो पीस बनकर रह गया है. गौठान में ना ही कोई गाय है ना हीं कोई देखभाल करने वाला व्यक्ति. यहाँ की व्यवस्था केवल कागज़ों में ही कैद होकर रह गई है. गौठान में जो सेड निर्माण किया गया है. जिसे पक्के का बनाना था. लेकिन वहां पन्नी बांधकर रखा गया है. बांध करके रखा गया है. वहीं जब हमने पास के ही एक गाय चराने वाले व्यक्ति से इस गौठान के बारे में पूछा तो उसने कहा कि यहां कोई गाय बैल नहीं रहते हैं जब कोई प्रोग्राम होता है या कोई नेता मंत्री नेता या अधिकारियों का आना रहता है तो कुछ घंटों के लिए गांव के गाय बैल को यहां लाकर के बांध दिया जाता है. इस गौठान की हालत देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां शासकीय रुपये का किस तरह बंदरबांट किया गया है.

जर्जर हालत में पड़े इस गौठान की स्थिति का पता तब चला जब कुछ लोग गौ अष्टमी पर्व के अवसर पर गांव के गौवंश को रोटी खिलाने के लिए गौठान में निकले थे. लेकिन गौठान में कोई गाय नहीं मिला. बल्कि वहां कई प्रकार की अनियमितता पाई गई.

बहरहाल, छत्तीसगढ़ से प्रारंभ हुई इस गौठान योजना की प्रदेश सहित देश मे प्रशंसा की जा रही है. क्योंकि प्रदेश के कुछ गौठानो में गाय के गोबर से तरह-तरह की वस्तुएं बनाई जा रही है. और लोगों को इससे फायदा भी हो रहा है. लेकिन कुछ गौठान ऐसे हैं जो प्रशासन की अनदेखी की मार झेल रहे हैं. जिससे लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.