दो साल मे साढ़े तीन लाख मरीज पहुंचे जिला अस्पताल…. अप्रैल 2014 से अब तक का आंकड़ा

दो साल में 31,712 मरीजों ने लिया जांच सुविधा का लाभ

अम्बिकापुर (दीपक सराठे) 

संभाग के सबसे बड़े रघुनाथ जिला अस्पताल में पिछले दो साल में साढ़े तीन लाख मरीज उपचार के लिए पहुंच चुके है। यह आंकड़ा प्रदेष के किसी भी जिला अस्पताल से कई गुना ज्यादा है। अव्यवस्थाओं को लेकर हमेषा सुर्खियों में बने रहने वाले रघुनाथ चिकित्सालय के लिए यह एक बड़ी बात है कि इतनी बड़ी संख्या में संभाग के मरीजों ने यहां की चिकित्सकीय व्यवस्था पर अपना विष्वास जताया है। आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इसे मजबूरी कहें या जरूरत, शासकीय रधुनाथ अस्पताल में लोगों की दिनों दिन भीड़ बढ़ती ही जा रही है। रधुनाथ अस्पताल के लिए यह भी बड़ी बात है कि यहां इन दो वर्षो में 31,712 मरीजों ने सिटी स्केन, एक्स-रे, सोनो ग्राफी व ईसीजी का लाभ लिया है। यह आंकड़ा अपै्रल 2014 से मार्च 2016 तक का है। इस अवधि में जहां साढ़े तीन लाख मरीज उपचार के लिए यहां पहुंचे है वहीं 83, 192 मरीजों को भर्ती कर उनका उपचार के किया गया है। इन मरीजों में 5,200 ऐसे मरीज जिला अस्पताल पहुंचे जो दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल थे। जिला अस्पताल के लिए बड़ी बात है कि उन गंभीर मरीजों का इस अवधि में बेहतर उपचार हो सका।
गौरतलब है कि मेडिकल काॅलेज की दौड़ में शामिल अम्बिकापुर के रधुनाथ जिला अस्पताल में निरीक्षण के दौरान पिछले दिनों आई कई मेडिकल टीम ने यहां मरीजों की बढ़ती संख्या को देख यहां के टर्न ओव्हर पर गौर किया था। बढ़ती मरीजों की संख्या व दबाव कों देख मेडिकल काॅलेज की स्थापना इस आदिवासी बाहुल्य संभाग के लिए बेहद जरूरी मानी जा रही है। जरूरत से कम स्टाफ व संसाधन के बावजूद यहां इतनी बडी संख्या में संभाग के मरीज पहुंचते है। आने वाले समय में मरीजों की संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है। शासन व प्रषासन को जिला अस्पताल में सुविधाओं का और विस्तार किये जाने की दिषा में आवष्यक पहल की जरूरत हैं, ताकि मरीजों को यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ और ज्यादा मिल सके।

एलटीटी मामले में बढ़ी जागरूकता
परिवार नियोजन को लेकर नसबंदी के मामलें में लोगों की जागरूकता काफी बढ़ी है। यह बढ़े आंकड़े से ही स्पष्ट हो जाता है। अपै्रल 2014 से मार्च 2015 तक जहां साल भर में मात्र 26 लोगों ने नसबंदी कराया था। वहीं अपै्रल 2015 से मार्च 2016 तक 2,024 लोगों ने परिवार नियोजन में गंभीरता दिखाते हुये नसबंदी कराई है। पूरे संभाग में मात्र दो सर्जन के होने के कारण यह आंकडा फिलहाल इतना ही है। पिछले दिनों देषबन्धु ने नसबंदी के लिए उमड़ी महिलाओं की भीड़ व पुलिस की मौजूदगी में नसबदी फार्म बाटे जाने की खबर प्रमुखता से प्रकाषित की थी। चिकित्सालय में अगर नसबंदी के सर्जन अधिक होते तो बढ़ती जागरूकता के बाद यह आंकड़ा शायद कुछ और होता।