नमनाकला के 362 एकड़ पर कलेक्टर के फैसले को राजस्व मंडल ने सही माना…… आपत्ति खारिज

अम्बिकापुर

नगर के वसुंधरा बिल्डर्स के संचालक केएन सिंह ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया कि छत्तीसगढ़ राजस्व मण्डल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय से नमनाकला अम्बिकापुर की 362 (तीन सौ बासठ) एकड़ जमीन की वैधता पर छाये संदेह के बादलों को समाप्त कर दिया है और खसरा क्रमांक 151, 157, 179 और 2 की संपूर्ण भूमि को वैध घोषित किया है।

गौरतलब है कि इस विशाल भूखंड पर वसुंधरा रामनिवास नगर, राॅयल पार्क और कृष्णा काॅलोनी जैसी रिहायशी काॅलोनियाॅ तो निर्माणाधीन है ही अनेक मकान एवं संस्थाएं भी स्थित है। उक्त भूमि के संबंध मंे राजस्व रिकाॅड के अनुसार तथ्य यह है कि भारत सरकार और देश के विभिन्न तत्कालीन शासकों के मध्य हुये अनुबंध के अनुसार सरगुजा स्टेट के तत्कालीन महाराजा रामानुजशरण सिंहदेव द्वारा अपने निजी उपयोग हेतु अपनी रियासत में से कुछ जमीन रख ली थी, जिसमें उक्त भूमि भी शामिल थी। इस तथ्य की पुष्टी महाराजा सरगुजा और भारत सरकार के बीच हुये अनुबंध एवं उसके अनुक्रम में भारत शासन द्वारा महाराजा सरगुजा को जारी ज्ञापन दिनांक 11/11/1948 से होती है। महाराजा श्री रामानुजशरण सिंहदेव ने अपने उपयोग के लिए रखी गई भूमि को विभिन्न व्यक्तियों को पंजीबद्ध विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय किया गया। जिसमें खसरा क्रमांक 151/4 के 16 एकड़ क्षेत्र को महाराजा ने 6 फरवरी 1962 को मंगलसिंह, जंगबहादुर सिंह, खेमबहादुर सिंह और धनलक्ष्मी बाई को विक्रय किया गया। कालांतर में उक्त व्यक्तियों ने यह जमीन श्री रामनिवास अग्रवाल को विक्रय किया गया और तदनुसार राजस्व अभिलेखों में दर्ज हुआ।
अतुल दुबे आत्मज स्व. वी.एन. दुबे द्वारा उक्त भूमि के संबंध में कलेक्टर सरगुजा के यहां यह आवेदन दिया गया था कि नमनाकला की 362 एकड़ भूमि बंदोबस्त रिकार्ड में जंगल मद में दर्ज थी तथा कभी भी महाराजा रामानुजशरण सिंहदेव के नाम पर भू अभिलेख में दर्ज नहीं रही। पचास वर्ष से अधिक समय बाद 2014 में पुनरीक्षण आवेदन के जरिये अतुल दुबे ने कहा कि कतिपय विक्रेताओं ने महाराजा के नाम का लाभ लेते हुए फर्जी तरीके से वनभूमि को अपने नाम दर्ज करा लिया है। अतः इस जमीन को फिर से जंगल घोषित किया जाये।

कलेक्टर ने उक्त पुनरीक्षण आवेदन को तिथि वाहय होने, अतुल दुबे के मामले से असंबद्ध होने आदि कारणों के आधार पर खारिज कर दिया था। कलेक्टर के इस आदेश के विरूद्ध अतुल दुबे द्वारा छ.ग. राजस्व मंडल में पुनः पुनरीक्षण आवेदन लगाया गया था। छत्तीसगढ़ राजस्व मण्डल ने अतुल दुबे के आवेदन को खारिज करते हुये कलेक्टर सरगुजा के पूर्व आदेश को जारी रखा है और कहा कि कलेक्टर का उक्त आदेश सही है। कलेक्टर सरगुजा के पश्चात् छत्तीसगढ़ राजस्व मण्डल बिलासपुर के आदेश से न सिर्फ नमनाकला के एक भूखंड पर रामनिवास अग्रवाल के वारिसान का वैध स्वामित्व पुष्ट हुआ है बल्कि सम्पूर्ण नमनाकला की 362 एकड़ की विशाल भू संपदा भी विवादों के घेरे से बाहर आ गई है। इस निर्णय से विभिन्न काॅलोनियों समेत समूचे भू भाग पर निवास करने वालों को एक न्यायिक आश्वस्ती मिली है कि उनकी भूमि वैध है, जंगल नहीं है और किसी भी आपत्ति और विवाद से परे है।