देखिए साहब!..झूठे शपथपत्र की बुनियाद पर बलरामपुर ने बटोर ली..सरकार की एक योजना पर वाहवाही.. मगर हकीकत है बेहद जुदा!..

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार).. प्रधानमंत्री मोदी के सपनो को पूरा करने स्थानीय प्रशासन ने प्रयास तो किया..मगर उस सपने को पूरा करने की नींव झूठ पर रखी गई..और झूठ पर टिके सपने को प्रदेशस्तर पर वाहवाही भी मिली..मगर वक्त बदला अधिकारी बदले..फिर नए सिरे पड़ताल शुरू हुई..लेकिन उस पड़ताल के शुरुआती दौर में जो कुछ निकलकर आया वह एक चौकाने वाला तथ्य साबित हुआ..जिसके बाद वर्तमान में जिला पंचायत के सीईओ हरीश एस ने सख्ती दिखाई तो..उनके नुमाइंदों में साफ तौर पर एक खौफ दिखने लगा..और उसी खौफ ने धरातल पर कुछ तो किया..वरना आगे पाठ पीछे सपाठ को कौन चरितार्थ करना नही जानता..

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ग्रामीण महिलाएं

दरअसल हम बात कर रहे है..पीएम मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट की..जिसके तहत स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर शौचालय बनाये जाने की कार्ययोजना थी..और देश के प्रत्येक गांवो को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त करना था..जिसे आसानी से ओडीएफ भी कहा जाता है..यही नही इस शौचालय निर्माण की योजना ने देश मे एक ऐसी आंधी चलाई जिससे क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सके..जिले से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक के सरकारी नुमाइंदों में शौचालय निर्माण को लेकर दबाव था..हर दिन के प्रोजेक्ट प्रोग्रेस अपडेट से जिम्मेदार अधिकारी मानो थक से गये थे..फिर जिले में पदस्थ एक आईएएस ने अपने आइडियाज लांच किए..और वह स्किम थी..धरातल पर स्वीकृति के बाद शौचालय पूरे बने हो या ना बने हो..हर ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिवों से एक शपथ पत्र भरवाया गया..और उन शौचालयों के नाम वाहवाही बटोरी गई..जिनकी बुनियाद ही नही थी..ऐसा हम तो नही बल्कि ओडीएफ कराने वाले सरपंच और सचिव कह रहे ..

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अधूरे शौचालय

बता दे कि साल 2015-16 में जिला पंचायत के सीईओ रणवीर शर्मा थे..लिहाजा जिले के सभी जनपदों के गांवों को ओडीएफ घोषित करने का जिम्मा उन्ही पर ही था..मसलन उन्होंने मॉनिटरिंग भी..जितने संसाधन मिले उससे काम भी कराया..कुछ जुगाड़ तंत्र से भी हुआ..मगर उनके जिले से जाने के बाद उन्ही के पंचायत सचिवों ने उन्ही के खिलाफ मोर्चा खोल दिया..

विकासखण्ड..रामचन्द्रपुर के ग्राम बसेरा खुर्द के सचिव व ग्राम पलगी के तत्कालीन सचिव रहे अनूप सिंह के मुताबिक संसाधनों की कमी थी..गांव को ओडीएफ घोषित करने का दबाव था..मरते क्या ना करते..आधे से ज्यादे शौचालय बन ही नही पाए थे..ऐसे में साहब के निर्देश पर एक झूठा शपथपत्र दिया..और गांव को ओडीएफ घोषित करा दिया..लेकिन झूठ पर टिकी बुनियाद का ढांचा मजबूत नही था..ग्रामीणों ने शिकायत की..मगर उन शिकायतों पर जनपद स्तर पर ही पर्दा डाला गया..और शौचालय की राशि कहा गई पता ही नही चला..

वही क्षेत्रीय विधायक बृहस्पत सिह भी मानते है..की तत्कालीन अधिकारियों के मनमानी के चलते गांव के ग्रामीणों को योजना का लाभ नही मिल सका..ग्रामीण परेशान है..और मामला जांच के बिंदुओं पर ही अटक गया है..

बहरहाल ओडीएफ तो गया..और वह ओडीएफ कैसे हुआ अब किसी छिपा नही..लेकिन आज भी गांव की महिलाओं को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है..एक झूठे शपथपत्र पर तो प्रदेश में किस तरह की कार्यवाही हो रही है..जगजाहिर है..एमजीआर इस शपथपत्र का क्या..जिसने सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के नामपर लोगो ठगा.. देखने वाली बात है कि.. कब जांच पूरी होगी और फिर कब कार्यवाही होगी…