- एक साल में 1766 सड़क दुर्घटना में घायल
- तीन साल में 600 लोगों की मौत के आंकड़े कर रहे सोचने को मजबूर
- जहर सेवन भी बनी बड़ी समस्या
अम्बिकापुर (दीपक सराठे)
सरगुजा की सड़कें पिछले एक साल में 1766 लोगों के खून से लाल हो चुकी है। यही नहीं पिछले 3 साल में सड़क दुर्घटना में 600 लोगों ने अपनी जान गवाई है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि सड़क दुर्घटना के क्षेत्र में सरगुजा का यह आंकड़ा सबसे आगे है। सरगुजा संभाग में अन्य जिलों की बात करें तो बलरामपुर में एक साल के अंतराल में 1390 व सूरजपुर में 1276 लोग सड़क दुर्घटना में घायल हो चुके हैं। यह बड़ा खुलासा सरगुजा में चलने वाली संजीवनी 108 के द्वारा किया गया है। सड़क दुर्घटना में घायलों की बढ़ती संख्या में संजीवनी की जो भूमिका है वह किसी देवदूत से कम नहीं। संजीवनी के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इन घायलों में 95 प्रतिशत लोगों की जिंदगी बचाई जा चुकी है। कुछ ऐसे गंभीर केस सामने आये हैं जिन्हें बचाना काफी मुश्किल साबित हुआ है।
सरगुजा में सड़क दुर्घटनाओं की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ रही है उसी प्रकार लोगों के घायल होने व घटनास्थल पर ही मौत होने के आंकड़े भयावह करने वाले हैं। आये दिन सड़क दुर्घटना में किसी न किसी घर का चिराग बुझ रहा है। सड़क पर मौत बनकर दौड़ रहे तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम नहीं लगने से यह सिलसिला बदबस्तूर जारी है। सरगुजा की सड़क रोज ख्ून से लाल हो रही है। इस गंभीर विषय की ओर हर अधिकारी के दिमाग में कई सोच ने जन्म लिया और प्रशासन व पुलिस ने धरातल पर अपने सोच को क्रियान्वित करने कई कोशिश भी की, परंतु दुर्घटनाओं की यह रफ्तार सरगुजा में थमी नहीं है, बल्कि यह कहें कि और ज्यादा तेज हो चुकी है।
संजीवनी बनी देवदूत
17 जनवरी 2012 को मुख्यमंत्री डॉ. रमन ङ्क्षसह के द्वारा संजीवनी 108 का शुभारंभ करने के बाद जो सेवा संजीवनी ने सड़क दुर्घटना जैसे विपरीत परिस्थितियों में की है वह सराहनीय है। आंकड़ों की बात करें तो 2012 से अब तक सरगुजा में संजीवनी सेवा के माध्यम से 43566 लोगों को अस्पताल तक पहुंचाया गया है। इसमें सड़क दुर्घटना के 6060 मामले हैं, वहीं सूरजपुर में संजीवनी ने इस अंतराल में 32537 लोगों को लाभ पहुंचाया है। इसमें सड़क दुर्घटना के 4276 मामले हैं। इसी प्रकार बलरामपुर में 31081 लोगों को संजीवनी का लाभ मिल चुका है, जिनमें 4271 सड़क दुर्घटना के मामले हैं।
जहर सेवन बनी बड़ी समस्या
संजीवनी के आंकड़े देखे तो सरगुजा क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं के बाद लोगों के जहर सेवन करने के आंकड़े भी काफी बढ़े हैं। पिछले एक साल में सरगुजा में 1210 लोगों ने जहर सेवन किया है, जिसे संजीवनी की सहायता से अस्पताल पहुंचाया गया है। वहीं सूरजपुर में 903 जहर खुरानी के मामले में संजीवनी ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है।
ऐसी भी आई परिस्थिति
11 मई को सूरजपुर क्षेत्र में ग्राम मंजीरा के जंगल में जंगली हाथियों के द्वारा एक ग्रामीण को घसीटने के बाद ग्रामीणों में दहशत बनी हुई थी। घायल ग्रामीण जंगल में पड़ा हुआ था। सूचना पर उसी दिन तड़के 5.30 बजे अम्बिकापुर से पहुंची संजीवनी वाहन में सवार पायलट फिरोज अंसारी व ईएमटी शशिभूषण को ग्रामीणों ने जंगल में जाने से पहले रोक दिया। जंगल के अंदर हाथियों की दहशत होने के बाद भी तड़पते ग्रामीण को बचाने संजीवनी कार्यकर्ता ग्रामीणों को अपने साथ लेकर जंगल के अंदर घुस पड़े और घायल ग्रामीण को वाहन में बैठाकर उसका तत्काल ड्रेसिंग कर ऑक्सीजन लगाकर निकल पड़े। ग्रामीण को दर्द होने की अवस्था में तत्काल वाहन में सवार र्कार्यकर्ता रायपुर चिकित्सक के पास फोन लगाकर जानकारी ली और घायल को इंजेक्शन दिया।