वाह रे तबादला नीति.. जिस अफसर को 6 हजार लेते ACB ने पकड़ा वो सरगुजा.. जिसने लाखों का दवा घोटाला किया वो कोरबा का बन गया अफसर.

अम्बिकापुर… प्रदेश में 15 जुलाई से 23 अगस्त तक चली ट्रांसफर एक्सप्रेस में अब नया मोड़ आ गया है..पहले तो शिक्षा विभाग द्वारा थोक में जारी किए गये ट्रांसफर लिस्ट पर गड़बड़ियां उजागर हुई थी..और खुद सत्ता पक्ष के विधायकों ने स्कूल शिक्षा मंत्री को घेरा था..मगर अब पशुधन विभाग से जारी किये गए ट्रांसफर लिस्ट में भी गड़बड़ियां उजागर हुई है..

दरअसल डॉ एन पी सिंह को कोरबा से बदली कर सरगुजा जिले में उप संचालक पशुधन विकास विभाग की कमान सौंपी गई है.. ये वही उप संचालक, डॉ एन पी सिंह है. जो दुर्ग मे पदस्थ रहने के दौरान जीपीएफ की रकम निकालने के नाम पर अपने कर्मचारी से रिश्वत मांग रहे थे.. उसी दौरान कर्मचारी की शिकायत पर एसीबी ने उन्हे 6000 रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. बाद मे इस मामले मे वो तीन महीने जेल मे भी रहे थे.. और अभी भी घूसखोरी का ये मामला एंटी करप्शन ब्यूरो में लंबित है. लिहाजा ऐसे अफसरों को मंत्रालय या सचिवालय मे रखकर कार्य लेने के बजाय जिले भर की कमान देना. शायद भ्रष्टाचार को बढावा देने से ज्यादा कुछ माना जा सकता है. लेकिन ना जाने किस वजह से भ्रष्ट अधिकारियों को और भ्रष्टाचार करने का अवसर दिया जा रहा है..

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दूसरी तरफ अपने ही कर्मचारी से रिश्वत लेने वाले जिन डां एन पी सिंह की जगह अम्बिकापुर मे पदस्थ उप संचालक डां एसपी सिंह को कोरबा पदस्थ किया गया है. उन पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. दरअसल आरटीई कार्यकर्ता व अधिवक्ता डीके सोनी की आरटीआई के जरिये यह खुलासा किया था..की डां एस पी सिह ने सरगुजा में पदस्थ रहते हुए पशु औषधि व उपकरण की खरीदारी कर नियम विरुद्ध सरकारी खजाने को लाखों रुपयों का चूना लगाया था..

जानकारी के मुताबिक उप संचालक स्तर के अधिकारियों को खरीदी करने के लिए 50 हजार रुपये तक की राशि शासन स्तर पर निर्धारित की गई है..और उससे अधिक की सामग्री व दवाइयों की खरीदारी के लिये निविदा आमंत्रित करने का प्रावधन है..बावजूद इसके डां एस पी सिह ने बगैर निविदा के कोटेशन के आधार पर वर्ष 2016-17 में पशु औषधि व उपकरणों की खरीदारी के लिए 31 लाख 29 हजार 416 रुपये खर्च किये थे..जिसकी शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी ने कलेक्टर सरगुजा से की थी..और इस मामले में जांच पश्चात उप संचालक पशुधन विकास एनके सिह को दोषी पाया गया था.. यही नही आरटीआई कार्यकर्ता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच के दौरान एन के सिह का ट्रांसफर अन्यंत्र करने की मांग की थी..जिससे जांच प्रभावित ना हो सके.. लिहाजा डां एस पी सिह को कोरबा जिले का उप संचालक पशुधन विभाग बनाया गया.. .लेकिन उनकी जगह कोरबा से आए उप संचालक डां एन पी सिंह तो रंगे हाथ रिश्वत के केस मे पकडे जा चुके हैं.. ऐसे मे सरगुजा और कोरबा दोनो जगह भ्रष्ट अधिकारियों के पहुंचने से पशुधन विभाग का संचालन कितना बेहतर हो सकेगा.. सोंचना समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है..