मंत्री जी देखकर मुस्कुरा मत दीजिएगा!..यह आप ही का स्कूल है..

बलरामपुर: (कृष्णमोहन कुमार ) छत्तीसगढ़ सरकार के तमाम दावों और वादों के बीच बलरामपुर जिले से एक ऐसी तस्वीर निकलकर आई है..जहाँ जब सरकार शाला प्रवेशोत्सव मनाती है. तब उस स्कूल की छुट्टी होती है..वजह हैरान करने वाली तो है ही..इसके साथ ही उस बहरी प्रशासन को याद दिलाती है.जिसने राजनैतिक रसूख के सामने घुटने टेक दिए हो..जिस क्षेत्र का विधायक कभी सत्तासीन सरकार में संसदीय सचिव हुआ करता था.और तो और जिस क्षेत्र का जिला पंचायत सदस्य आज भी स्थायी शिक्षा समिति का सदस्य है..फिर भी यह स्कूल पेड़ के नीचे ही लगता है..भला सूबे के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात भला हो क्या सकती है..जहाँ शिक्षा के मंदिर के निर्माण के लिए शिक्षकों को मरखानी पड़े .
बता दे की वर्ष 1957 में ग्राम जगिमा के नवापारा में तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने प्राथमिक शाला भवन संचालित करने स्वीकृति प्रदान की थी..और स्कूल खुला भी लेकिन स्कूल भवन निर्माण के लिए कभी किसी ने कवायद ही नही की..स्कूल लगता पर किराए के मकान पर ..अब लेकिन बखेड़ा इस बात का है की है..जिस जमीन पर स्कूल बनना है..उसको लेकर विवाद थमने का नाम नही ले रहा..यू कहे तो वह जमीन सरकार की है..लेकिन गाँव के ही कुछ लोग उस जमीन पर काबिज है..अब ऐसे लोगो से ग्रामीणों को शिक्षा के मंदिर के लिए उलझना भारी पड़ रहा है..अधिकारी जाते तो शिक्षा के मंदिर बनवाने के नाम पर है..पर अब तक उस शिक्षा के मंदिर की नींव नही रखी यही सबसे बड़ा सवाल है..
इधर उसी प्रायमरी स्कूल के शिक्षक कहना है की उसने प्रस्तावित जगह पर 2009 में आंगनबाड़ी भवन बनने के बाद स्कूल भवन बनाने की कवायद की लेकिन वह पूरी ना हो सकी जिसके चलते आज भी वह स्कूल नीम के छाव में ही लगती है..और बारिश हो तो स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है..या तो स्कूली बच्चे आंगनबाड़ी में शरण ले लेते है..लेकिन पढ़ाई तो नही हो पाती है..

जानकारी तो है..पर अब क्या करे….

क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य और स्थायी शिक्षा समिति के सदस्य तीला साय कहते है की उन्हके इस मसले की पूरी जानकारी है..पर मामला राजस्व विभाग से जा अटका है तो वे अपने आप को बेबस कह कर इस मसले से पल्ला झाड़ जाते है..

पेड़ के नीचे नही लगता है स्कूल…BEO
शिक्षा विभाग के खण्ड शिक्षा अधिकारी की माने तो तो 1957 में अस्तित्व में आये इस प्रायमरी स्कूल के भवनको बनाने 2005 में शासन फंड रिलीज किया था..लेकिन जमीन विवाद के आड़े आने से स्कूल भवन की नींव अबतक नही खुद पाई है..यही नही खण्ड शिक्षा अधिकारी कहते है कि यह स्कूल आंगनबाड़ी के एक कमरे में लगती है..जो कि सम्भव ही नही है ..

स्कूल भवन बनेगा पर कब पता नही…

वही इस मसले की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को तो है ..पर वे दबी जुबान से कहते है..स्कुल भवन के लिए आवंटित भूमि विवादास्पद..जिसके चलते पुलिस केश भी हुए है…

आप ने जानकारी दी है..धन्यवाद!..

वही स्थानीय प्रशासन के मुखिया कलेक्टर हीरा लाल नायक इस मसले पर गम्भीर है..और जल्द ही अपने मातहतों से जानकारी लेकर इस ओर ठोस पहल की बात कह रहे है….