जिले के समितियों के कर्मचारी हड़ताल पर..जानकारी के बाद भी प्रबंधन व प्रशासन ने नहीं कि वैकल्पिक व्यवस्था..किसान हुए चिंतित…

पृथ्वीलाल केशरी

बलरामपुर (रामानुजगंज ) जिले में नियमितीकरण की मांग को लेकर सहकारी समिति के कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से  समितियों में ताले लग गए हैं। समिति कर्मचारी राजधानी रायपुर धरना प्रदर्शन में शामिल होने ग़य हैं और इधर खाद,बीज के लिए समितियों से किसानों को बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है। खेती के ऐन वक्त पर समितियों में ताले लगने से किसानों के समक्ष समस्या खड़ी हो गई है। पहले से ही जिले में खेती पिछड़ी है और अब समितियों से खाद,बीज नहीं मिलने से किसान चौतरफा मुश्किल में फंसे हैं। प्रशासनिक स्तर पर समितियों का कामकाज सुचारू रूप से जारी रखने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। पूर्व से तय कार्यक्रम के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय आह्वान पर समिति कर्मचारियों के द्वारा दो जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के पूर्व में किए गए ऐलान के बावजूद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक प्रबंधन और जिला प्रशासन द्वारा समितियों से मिलने वाली सेवाएं जारी रखने कोई पहल नहीं किए जाने से समितियों से किसानों को बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है। जिले के अधिकांश इलाकों में जोरदार बारिश होते ही सुबह खेत खलिहान पानी से लबालब भरे हुए थे। ऐसे में खेतों को तैयार कर छोड़ने वाले किसान जिनके पास खाद,बीज नहीं था वे सुबह ही अपने-अपने समितियों में पहुंचने लगे थे,लेकिन समितियों में ताला लगा मिला। समितियों में सूचना भी चस्पा किया गया था,जिसमें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारियों के रहने का उल्लेख था। समितियों में खाद व बीज के लिए पहुंचने वाले किसान अपने स्तर से कर्मचारियों से संपर्क कर समिति कार्यालय खुलने की जानकारी लेते रहे, लेकिन कर्मचारियों द्वारा यह बोल दिया गया कि वे हड़ताल में शामिल होने के लिए रायपुर पहुंच गए हैं, जबतक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, तबतक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे। ऐसे में निराश भाव से किसान समितियों से वापस लौट बाजारों की ओर रुख करते नजर आए, जहां हाइब्रिड धान की विभिन्न किस्मों के साथ खाद,बीज की उपलब्धता है। आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे किसान जो नकद में खाद,बीज की खरीददारी नहीं कर सकते हैं,वे उदास मन से घर को वापस लौट गए। किसानों का कहना था कि खेती पहले से ही पिछड़ी हुई है। यदि समितियों से उन्हें बीज व खाद नही मिला तो खरीफ सीजन में धान की खेती कर पाना संभव नहीं हो सकेगा। वर्तमान में खरीफ सीजन के लिए किसान खेतों को तैयार कर बीज व खाद की व्यवस्था में लगे हुए हैं। समितियों से उन्हें जीरो प्रतिशत ब्याज पर खाद,बीज मिल जाया करता है। धान बिक्री के दौरान कर्ज की रकम लिंकिंग में वे समायोजित करा देते हैं। यही वजह है कि समितियों से किसानों का जुड़ाव आज भी बना हुआ है। समितियों के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने की जानकारी प्रबंधन व प्रशासन को पहले से ही थी, बावजूद कोई वैकल्पिक व्यवस्था समितियों को संचालित करने के लिए नहीं की गई, जिस कारण समितियों में ताले लगे हुए हैं।