अध्यात्म डेस्क. हिंदू धर्म में कई ऐसी चीजें हैं, जिनपर आज भी गहन शोध चल रहा है। साथ ही कई अनसुलझे विषयों में एक ऐसा विषय भी उपस्थित है, जिसपर आज भी दो मत बंटे हुए हैं। वह विषय है कि “क्या हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं या 33 कोटी देवता? कई धर्माचार्य और धार्मिक विशेषज्ञ अपने विचार प्रकट कर चुके हैं। लेकिन आज भी यह केवल एक प्रश्न ही है। कोटि शब्द को ही दो तरह से बताते हैं, एक ‘प्रकार’ और दूसरा ‘करोड़’। कई लोग यह भी मानते हैं कि आम बोलचाल की भाषा में कोटि को ही करोड़ बोला जाता है। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है, आज भी इस विषय पर उलझन बनी हुई है। आइए, आचार्य श्याम चंद्र मिश्र जी से जानते हैं, क्या है असल सत्य और 33 करोड़ व कोटि में अंतर?
जानिए क्या है 33 कोटि देवताओं का नाम
आचार्य श्याम चंद्र मिश्र बताते हैं कि यदि हम 33 कोटि देवी-देवताओं की बात करते हैं। तो इसमें आठ वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कई जगहों पर इंद्र व प्रजापति के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों को 33 कोटी में शामिल किया गया है। वह 33 कोटि इस प्रकार हैं-
अष्ट वसुओं के नाम- 1. आप 2. ध्रुव 3. सोम 4. धर 5. अनिल 6. अनल 7. प्रत्यूष 8. प्रभाष
ग्यारह रुद्रों के नाम- 1. मनु 2. मन्यु 3. शिव 4. महत 5. ऋतुध्वज 6. महिनस 7. उम्रतेरस 8. काल 9. वामदेव 10. भव 11. धृत-ध्वज
बारह आदित्य के नाम- 1. अंशुमान 2. अर्यमन 3. इंद्र 4. त्वष्टा 5. धातु 6. पर्जन्य 7. पूषा 8. भग 9. मित्र 10. वरुण 11. वैवस्वत 12. विष्णु
इन सभी देवताओं से 33 कोटि देवताओं की संख्या पूर्ण होती है और इन्हीं के अन्य नाम भी अलग-अलग प्राचीन धर्माचार्यों के मत हेतु जुड़ जाते हैं। कुछ धार्मिक क्षेत्र से जुड़े लोग कोटि को ही ‘करोड़’ कहते हैं, किंतु एक मत यह भी है कि 33 करोड़ देवी-देवता भी हो सकते हैं।