कैसा होगा मध्य प्रदेश का मंत्रिमण्डल….

  • शिवराज मंत्री मंडल में हो सकते बड़े फेरबदल
  • सूबे में अटकलो का बाजार गर्म

भोपाल

देश दीपक “सचिन”

सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा हाल ही में जिस तरह से बार-बार संकेत दिए हैं, उससे माना जा रहा है कि इस माह के अंतिम सप्ताह में कभी भी मंत्रिमण्डल का पुर्नगठन हो सकता है जिसको लेकर राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। मंत्रिमण्डल पुर्नगठन में किसका कद बढ़ेगा और किसका कद घटेगा और कौन हटेगा इसको लेकर भी चर्चाएं तेजी हो गई हैं।

हो सकते हैं बाहर

बाबूलाल गौर- उम्र 90 की ओर और आसार हैं और अपने बयानों के कारण सरकार को असहज करते रहते हैं।
सरताज सिंह – भाजपा नेतृत्व द्वारा निर्धारित आयु सीमा पार कर चुके हैं, इसके साथ न पहले वन विभाग में परफारमेंस ठीक रहा और न अब लोनिवि में।
ज्ञान सिंह – विभाग में पकड़ नहीं। बंगले में लेन देन को लेकर मारपीट की घटनाएं एवं निष्क्रियता बन सकती है कारण। शहडोल लोकसभा उप चुनाव के कारण बचा रह सकता है पद।

इनका बढ़ा रहेगा ओहदा

राजेंद्र शुक्ला -मुख्यमंत्री के नजदीक और अच्छा परफारमेंस। पर कम हो सकता है एक विभाग।
गोपाल भार्गव-अच्छे परफारमेंस के कारण। विभागों में फेरदबल संभव।
रामपाल सिंह -मुख्यमंत्री का खास होने के कारण एक विभाग और मिल सकता है।
भूपेंद्र सिंह ठाकुर-मुख्यमंत्री के खास, अच्छी परफारमेंस। और बढ़ सकता है दायित्व।
लाल सिंह आर्य -मुख्यमंत्री प्रमोशन कर केबिनेट मंत्री बना सकते हैं।

इनके कंधे होंगे हलके

डा. नरोत्तम मिश्रा: स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा तथा संसदीय कार्य में से दो विभाग वापस लिए जा सकते हैं। इनके पास आयुष, राहत तथा पुनर्वास व भोपाल गैस त्रासदी विभाग भी हैं। मुख्यमंत्री के संकट मोचक की वजह से बने रहेंगे ताकतवर।
उमाशंकर गुप्ता-तकनीकी एवं उच्च शिक्षा में से एक विभाग वापस लिया जाएगा। गुप्ता के पास कौशल विकास विभाग भी है।
यशोधरा राजे सिंधिया -वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग वापस लिया जा सकता है। इनके पास खेल एवं युवक कल्याण तथा धार्मिक न्यास व धर्मस्व विभाग भी हैं।

जयंत मलैया- जल संसाधन विभाग वापस लिया जा सकता है। मलैया के पास वित्त, वाणिज्यिक कर, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग भी हैं।

आकाओं की परिक्रमा शुरु

पुर्नगठन की अटकलों के शुरू होते ही लालबत्ती के दावेदारों ने पार्टी व संघ में मौजूद अपने आकाओं के चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चीन यात्रा पर हैं। वहां से लौटने के बाद ही मंत्रिमण्डल का स्वरूप तय होगा, लिहाजा दावेदार अपनी दावेदारी पुख्ता करने में लगे हंै। मंत्रिमण्डल को लेकर हालांकि पार्टी नेतृत्व एवं प्रदेश के नेताओं के साथ जरूरी कसरत शिवराज सिंह पहले ही कर चुके हैं। फिलहाल मंत्रिमंडल में 12 पद रिक्त हैं यदि कुछ मंत्री हटाए गए तो खाली पदों की संख्या और बढ़ सकती है। सूत्रों पर भरोसा करें तो 10 से 12 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

ये भी है लाइन  में

ममता मीना (चाचौड़ा), मानवेंद्र सिंह (महाराजपुर), ललिता यादव (छतरपुर), शंकरलाल तिवारी (सतना), रेखा यादव (मलेहरा), संजय पाठक (विजयराघवगढ़), मीना सिंह (मानपुर), ओमप्रकाश धुर्वे (डिंडोरी), नानाभाऊ मोहोड़ (सौंसर), महेंद्र हार्डिया (इंदौर), राजेंद्र पांडेय (जावरा), कैलाश चावला (मनासा) एवं जगदीश देवड़ा (मल्हारगढ़)।

इन्हें मिल सकता है मौक़ा

रुस्तम सिंह: रिटायर पुलिस अफसर पूर्व मंत्री रहे हैं। सर्मथकों के विवादों एवं झगड़ों के कारण कुर्सी दूर हो सकती है।
अर्चना चिटनीस : पहले भी मंत्री रही हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृजमोहन मिश्र की पुत्री हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के साथ मतभेद राह का रोड़ा बन सकता है।
रंजना बघेल: इससे पहले मंत्री रही हैं। कांग्रेस की आदिवासी नेत्री स्वर्गीय जमुना देवी के गढ़ में भाजपा को जीत दिलाई है। मंत्रिमंडल में पहले से और आदिवासी मंत्री होने के कारण नाम कट सकता है।
चौधरी चंद्रभान सिंह: मंत्री रहे हैं र्और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के छिंदवाड़ा से विधायक हैं। अवसर मिल सकता है। छिंदवाड़ा से कोई मंत्री भी नहीं हैं।
जयभान सिंह पवैया : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुखर विरोधी। हिंदू नेता की छवि की वजह से संघ की पसंद। यशोधराराजे सिंधिया से मतभेद रुकावट की वजह।
विश्वास सारंग: भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग के पुत्र। बाबूलाल गौर हटे तो उनकी जगह भोपाल से सबसे ज्यादा संभावना। कई नेता रोकने के लिए भी सक्रिय। सुरेंद्रनाथ सिंह मुख्यमंत्री की पसंद।
केदारनाथ शुक्ल : पार्टी के वरिष्ठ नेता। सीधी में अजय सिंह राहुल को चुनौती देने के लिए अवसर मिलने के आसार।
संजय शर्मा: नरसिंहपुर जिले से दूसरी बार विधायक। युवा एवं सक्रिय विधायक। मंत्री बनाकर प्रह्लाद पटेल एवं उनके भाई के कद को घटाने की कोशिश हो सकती है।
निर्मला भूरिया: आदिवासी नेता स्वगीर्य दिलीप सिंह भूरिया की बेटी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया को रोकने दिया जा सकता है मौका।
ओमप्रकाश सखलेचा: पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सखलेचा के पुत्र। सक्रिय विधायक। अन्य बड़े नेताओं के पुत्रों की तरह इन्हें भी अवसर संभव।
केडी देशमुख : भाजपा के वरिष्ठ नेता। विधानसभा अध्यक्ष पद के भी दावेदार थे। जिले से मंत्री गौरीशंकर बिसेन की वजह से कट सकता है पत्ता।
नीना वर्मा: भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी एवं धार से लगातार दूसरी बार विधायक। विक्रम वर्मा कर रहे हैं मंत्री बनवाने के प्रयास।