27 अप्रैल को सभी CM से चर्चा करेंगे PM मोदी.. स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को लेकर कही ये बात…

नई दिल्‍ली. देश में कोरोना वायरस संक्रमण से जंग के खिलाफ पहली पंक्ति में खड़े स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर हो रहे हमलों के देखते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट में स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की सुरक्षा के लिए महामारी रोग (संशोधन) 2020 अध्‍यादेश लाया गया. इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अप्रैल को सभी मुख्‍यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ट्वीट कर लिखा, ‘महामारी रोग (संशोधन) अध्‍यादेश 2020 उन स्‍वास्‍थ्‍य सेवा से जुड़े प्रत्‍येक कर्मी की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता जाहिर करता है, जो कोविड 19 के खिलाफ अग्रणी रूप से जंग लड़ रहे हैं. यह हमारे प्रोफेशनल्‍स की सुरक्षा सुनिश्चित करता है. उनकी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा.’

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अप्रैल को सभी मुख्‍यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत करेंगे. इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन पर चर्चा होगी. बता दें कि पीएम मोदी ने 3 मई तक देश में लॉकडाउन घोषित किया हुआ है.

बता दें कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें उनके खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस आशय की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में स्वास्थ्य कर्मियों के घायल होने, संपत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है.

जावड़ेकर ने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जाएगा. इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों की सुरक्षा तथा उनके रहने एवं काम करने की जगह को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी. जावडेकर ने संवाददाताओं से कहा कि अध्यादेश को महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन के लिए मंजूरी दी गई है.

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी कि स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों के लिए सख्‍त सजा और जुर्माना भी लगाया जाएगा. आरोपियों को तीन महीने से लेकर 5 साल की सजा, 50 हजार से लेकर 3 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.