Odisha Train Accident: लोको पायलट की गलती नहीं… अब इस ऐंगल से होगी बालासोर हादसे की जांच

नई दिल्ली. ओडिशा में हुए भीषण रेल दुर्घटना मामले में रेलवे ने चालक की गलती से इनकार किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हमने ट्रेन हादसे से जुड़ी दुर्घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। वहीं, अधिकारियों ने कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) की जांच जारी रहेगी। वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना के असल कारण का पता लगा लिया गया है और इस आपराधिक कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है। बालासोर जिले में दुर्घटनास्थल पर उन्होंने कहा कि यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और प्वाइंट मशीन में किए गए बदलाव के कारण हुआ है।

कैसे काम करती है इंटरलॉकिंग सिस्टम?

दिल्ली में रेलवे के शीर्ष अधिकारियों ने सिग्नल में व्यवधान का संकेत दिया। रेलवे बोर्ड की परिचालन और व्यवसाय विकास मामलों की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि किसी प्रकार के सिग्नलिंग व्यवधान की संभावना है। चाहे वह मैनुअल या आकस्मिक, टूट-फूट से संबंधित, रखरखाव की विफलता या मौसम संबंधी हो, सीआरएस जांच में इसका पता चलेगा। उन्होंने बताया कि प्वाइंट मशीन और इंटरलॉकिंग प्रणाली कैसे काम करती हैं। सिन्हा ने कहा कि प्रणाली त्रुटिरहित और फेल सेफ है। हालांकि, उन्होंने बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया है।

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में कोई त्रुटि नहीं

फेल सेफ प्रणाली कहा जाता है कि अगर यह फेल हो जाता है, तो सारे सिग्नल लाल हो जाएंगे और ट्रेन का सारा परिचालन बंद हो जाएगा। अनुमान है कि किसी ने बिना केबल देखे कुछ खुदाई की हो। किसी भी मशीन के चलाने में विफलता का खतरा होता है। सिन्हा ने विशेष निष्कर्षों पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में कोई त्रुटि नहीं मिली है, लेकिन लापरवाही से इनकार नहीं किया जा सकता है।

जानबूझकर हो सकती है छेड़छाड़

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि एआई आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली के लॉजिक के साथ इस तरह की छेड़छाड़ केवल जानबूझकर हो सकती है। उन्होंने प्रणाली में किसी खराबी की संभावना को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि यह अंदर या बाहर से छेड़छाड़ या तोड़फोड़ का मामला हो सकता है। हमने किसी भी चीज से इनकार नहीं किया है।

कवच भी नहीं करता काम

जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि टक्कर रोधी तकनीक कवच से भी कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार और खड़ी मालगाड़ी से उसकी दूरी के कारण यह दुर्घटना नहीं टल सकती थी। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस तथा एक मालगाड़ी से जुड़ा यह भीषण हादसा शुक्रवार शाम लगभग सात बजे हुआ, जिसमें कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई और करीब 1,175 यात्री घायल हो गए।