कोरोना वायरस के बारे में वो 12 बातें.. जो अबतक हमें नहीं है पता!

फ़टाफ़ट डेस्क. तीन महीने पहले चीन में एक अज्ञात वायरस का पता चला, जिससे संक्रमित व्यक्ति में निमोनिया जैसे लक्षण दिखते थे. इसके बाद से वैज्ञानिकों को इस वायरस के बारे में कई बातें पता चलीं, लेकिन अब भी बहुत कुछ है जो उन्हें नहीं पता. जैसे-जैसे कोविड 19 (Covid-19) दुनियाभर में फैल रहा है, वैज्ञानिक, डॉक्टर और यहां तक कि पॉलिसी बनाने वाले और अर्थशास्त्री भी कई सवालों के जवाब खोज रहे हैं.

वायरस कितना संक्रामक है?

WHO के अनुसार ये संक्रमित शख्स के खांसने या छींकने पर हवा के जरिए फैलता है और संपर्क में आने वाले दूसरे लोगों को भी बीमार बना देता है. ज्यादातर सतहों पर ये कई-कई दिनों तक रह पाता है. इस वजह से खतरा और बढ़ जाता है. अगर वायरस से इंफेक्टेड सतह को स्वस्थ लोग छुएं और उसके बाद अपना हाथ मुंह, आंखों या नाक तक ले जाएं तो बीमार हो सकते हैं. ये भी माना जा रहा है कि कोरोना पॉजिटिव से मल-मूत्र से भी वायरस फैलता है लेकिन अब तक इसके प्रमाण नहीं मिले हैं.

कितने लोग संक्रमित हैं, और कितनों में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते हैं?

अब तक दुनियाभर में सात लाख से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें से 127,000 लोग ठीक हो गए और 33,000 से ज्यादा की मौत हो गई. कुछ शोधकर्ता अनुमान लगाते हैं कि लगभग 80% तक संक्रमित लोगों में बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं या कई-कई बार होते ही नहीं हैं. इससे ये भी हो सकता है कि लाखों-लाख लोग संक्रमित हों, लेकिन फिलहाल हमें इसपर और भी ज्यादा स्टडी और जांच की जरूरत है ताकि असल संख्या तक पहुंच सकें.

क्या युवाओं के वायरस से मरने की आशंका कम होती है?

कम उम्र के लोगों की इस वायरस के चपेट में आने का डर कम रहता है हालांकि उन्हें भी COVID-19 हो सकता है. और ये इतना गंभीर भी हो सकता है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाए. यानी युवा इससे कितने सुरक्षित हैं, ये अभी साफ नहीं. WHO की मानें तो अधिक उम्र के लोग, खासकर जिन्हें पल्मोनरी डिसीज, अस्थमा, हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज और दिल की बीमारी हो, उनमें खतरा बढ़ जाता है. यूएस के स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि पुरुषों में इस वायरस की वजह से मौत का खतरा महिलाओं से लगभग दोगुना हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि कोई भी जो पहले से बीमार हो, या फिर जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो, उसे खतरा बढ़ जाता है.

क्या संक्रमण दोबारा भी हो सकता है?

फिलहाल ये पता नहीं चल सका है, लेकिन ठीक हुए लोगों में दोबारा संक्रमण के कई मामले आए हैं. लेकिन ज्यादातर वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा होने का बहुत डर रहता है. मरीज के रिकवर होने पर उसकी दोबारा जांच होती है, तब नाक और गले से सैंपल लेते हैं, जबकि हो सकता है कि वायरस कहीं और छिपा हो. ऐसे में रिजल्ट निगेटिव आ जाता है. पूरी तरह से रिकवर हुए लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है लेकिन ये पता नहीं चल सका है कि एंटीबॉडी कब तक सुरक्षा कर सकती है. कई बार एंटीबॉडीज कई विषाणुओं के आगे कमजोर हो जाती हैं. जैसा कि फ्लू के वायरस के साथ होता है जो हर साल हमला कर पाता है. कई लैब कोशिश कर रहे हैं कि इनकी जांच के लिए ब्लड टेस्ट तैयार हो सके ताकि पता चले कि असल में कितने लोग बीमार हुए और क्या वे कोरोना के लिए इम्यून हो चुके हैं.

उपचार या वैक्सीन तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?

नहीं. अब तक नए कोरोनवायरस के लिए कोई टीका या एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं. अभी के लिए उपचार सांस लेने में सहायता जैसे लक्षणों से राहत देने पर केंद्रित है.
दुनियाभर की कंपनियां टीका तैयार करने की कोशिश में लगी हैं. कुछ ने ट्रायल भी शुरू कर दिए हैं. लेकिन माना जा रहा है कि टीका तैयार होने में 1 साल या ज्यादा वक्त भी लग सकता है.
एक और मुश्किल ये है कि वायरस म्यूटेट कर सकते हैं. दिसंबर में चीन के वुहान से शुरू होने के बाद से इनमें कई बदलाव देखे गए. लेकिन ताजा रिसर्च कहती है कि वायरस अपेक्षाकृत स्थिर है, यानी अगर टीका तैयार हो सके तो असरदार रहेगा.

क्या वायरस गर्म स्थानों में अधिक धीरे-धीरे फैलता है?

कुछ एक्सपर्ट्स को लगा था कि गर्मी की शुरुआत वायरस की रफ्तार कम करेगी लेकिन European Centre for Disease Control ने हाल ही में कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. WHO का भी अनुमान है कि कोरोना वायरस गर्म और नमीदार सारी जगहों पर फैल सकता है.

आखिर ये महामारी कब खत्म होगी?

इस बारे में कुछ पक्का नहीं. ये कई बातों पर निर्भर करता है जैसे लोग कितने वक्त तक आइसोलेट रहेंगे और सोशल डिस्टेंसिंग बना सकेंगे. और कब तक इसकी दवा या वैक्सीन आएगी.
अमेरिका के प्रेसिडेंट Donald Trump ने उम्मीद जताई कि 12 अप्रैल तक यूएस की अर्थव्यवस्था चालू हो सकेगी. लेकिन इस बात पर उनकी आलोचना भी हुई कि वे ये टाइमटेबल कैसे दे सकते हैं, जिससे और भी लोग मरें. वुहान में दो महीने के लॉकडाउन के बाद जिंदगी पटरी पर लौट आई. ये भी देखना बाकी है कि इससे क्या दोबारा इस वायरस का आउटब्रेक हो सकता है.

क्या वायरस के संपर्क की मात्रा निर्धारित करती है कि कोई व्यक्ति कितना बीमार हो सकता है?

वायरस शरीर में प्रवेश कर कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, यहीं पर वे लाखों की संख्या में बढ़ते जाते हैं. इससे पहले प्रवएश किए वायरसों का असर शरीर पर उतना नहीं पड़ता. इसी के साथ-साथ, जितना फ्रीक्वेंट एक्सपोजर होगा, उतनी ही आशंका बढ़ेगी कि वायरस शरीर पर असर डालें.

अर्थव्यवस्था कब सामान्य होगी?

International Monetary Fund को डर है कि इस महामारी के कारण पूरी दुनिया में 2020 में मंदी आ जाएगी जो साल 2008 की मंदी से भी भयानक होगी. मंदी कितनी डरावनी होगी, कितना लंबा वक्त लेगी और कैसे रिकवर होगी, ये पता नहीं चल सकता है.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि लॉकडाउन कितने समय तक रहता है. और सरकारें लोगों, बिजनेस और मार्केट को मंदी से निकलने में कितनी मदद करती हैं.

आपातकाल में खर्च हो रहे खरबों डॉलर क्या मदद कर पा रहे हैं?

केंद्रीय बैंक कोशिश कर रहे हैं कि वित्तीय बाजार चलते रहें. खासकर वे एरिया जो अर्थव्यवस्था को सुचारू रखने के लिए जरूरी हैं. जैसे कि मार्केट जहां कंपनियां अपने कर्मचारी को तनख्वाह देने के लिए पैसे ले सकें या फिर शहरों में जहां सड़कें और स्कूल बनाने के लिए पैसे लिए जा सकें.

सरकारों द्वारा उठाए गए कदम से आम जनता को और छोटी कंपनियों को राहत मिल सकती है. जरूरी है कि ये उपाय सिस्टम के तहत काम करें लेकिन तब भी ये पक्का नहीं है कि इनसे कितनी राहत मिल सकेगी.

क्या यह निवेश के लिए अच्छा समय है?

कुछ निवेशक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या लोगों को स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने चाहिए, जिनमें फरवरी के बाद से 25% की गिरावट आ चुकी है. यूएस में राहत फंड के मैनेजर Bill Ackman ने पाया कि इस हफ्ते स्टॉक और क्रेडिट में कई सकारात्मक चीजें देखने को मिलीं. लेकिन इतनी सारी अनिश्चितताओं के साथ ज्यादातर विश्लेषक और इनवेस्टर इस बारे में कुछ भी कहने या लोगों से निवेश के लिए कहने से बच रहे हैं.