हल्दीघाटी का युद्ध याद अकबर को जब आ जाता था ,
कहते है अकबर महलों में, सोते-सोते जग जाता था!
प्रताप की वीरता के सामने अकबर भी रोया
प्रताप की वीरता ऐसी थी कि उनके दुश्मन भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। माना जाता है कि इस योद्धा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं। उदारता ऐसी कि दूसरों की पकड़ी गई बेगमों को सम्मानपूर्वक उनके पास वापस भेज दिया था। इस योद्धा ने साधन सीमित होने पर भी दुश्मन के सामने सिर नहीं झुकाया और जंगल के कंद-मूल खाकर लड़ते रहे।
26 फीट का नाला एक छलांग में लांघ गया था प्रताप का चेतक
कहते हैं कि जब कोई अच्छाई के लिए लड़ता है तो पूरी कायनात उसे जीत दिलाने में लग जाती है। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि उनका घोड़ा चेतक भी उन्हें जीत दिलाने के लिए अंतिम समय तक लड़ता रहा। चेतक की ताकत का पता इस बात से लगाया जा सकता था कि उसके मुंह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी। जब मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे लगी थी, तब चेतक प्रताप को अपनी पीठ पर लिए 26 फीट के उस नाले को लांघ गया, जिसे मुगल पार न कर सके।
208 किलो का वजन लेकर लड़ते थे प्रताप
महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो… और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी। यह बात अचंभित करने वाली है कि इतना वजन लेकर प्रताप रणभूमि में लड़ते थे।