महिला एवं बाल विकास मंत्री ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को लिखा पत्र, पूर्ण सक्रियता से कार्य करने के दिए निर्देश

रायपुर/04 सितंबर 2020/महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को पत्र लिखकर राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान पूर्ण सक्रियता से काम करने कहा है जिससे ‘गढ़बो सुपोषित छत्तीसगढ़’ की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जा सके। उन्होंने कहा है कि
राष्ट्रीय पोषण माह हमारे लिए एक अवसर है, जिससे हम गम्भीर रूप से कुपोषित बच्चों की जल्दी पहचान कर एवं संदर्भित कर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।कुपोषण एवं एनिमिया को दूर करने के लिए व्यवहार परिवर्तन एक बेहतर साधन है, जिसे हम पोषण माह के दौरान प्रभावी तरीके से प्राप्त कर सकते है। उन्होंने कहा कि राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, मितानीन, ए.एन.एम. एवं क्षेत्रीय अमले ने कोविड-19 के संक्रमण के समय भी घर-घर पहुंच कर एक कोरोना योद्धा की तरह उल्लेखनीय कार्य किया है I इस उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्होंने सभी को बधाई देते हुए आभार प्रकट किया है।
अनिला भेंड़िया ने कहा है कि प्रदेश में
एक से 30 सितम्बर 2020 तक पोषण माह आयोजित किया जा रहा है। राज्य में बच्चों में व्याप्त कुपोषण, बालिकाओं और महिलाओं में एनिमिया को पूरी तरह समाप्त करने हेतु हम संकल्पित है और इसके लिए निरन्तर प्रयास कर रहे हैं।राष्ट्रीय पोषण माह 2020 में डिजीटल माध्यम सहित अन्य प्रभावी माध्यमों से प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक परिवार और जन समुदाय तक पहुंच बनाकर कुपोषण एवं एनिमिया को समाप्त करने हेतु सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका बहनो को संकल्प लेंना चाहिए ।सभी बहनें 1 से 30 सितम्बर तक प्रतिदिन के लिए निर्धारित कार्ययोजना अनुसार कार्य करें। स्थानीय स्तर पर, घरों में, घर और कार्यालय की छतों पर, आंगनबाड़ी में, स्कूल में, खेत में, बगीचे में पोषण वाटिका बनाएं। उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म के 1 घन्टे के भीतर स्तनपान, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान तत्पश्चात निरन्तर स्तनपान एवं पौष्टिक उपरी आहार बच्चे को दिया जाना आवश्यक है। स्तनपान करने वाले बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता ऐसे बच्चे जो स्तनपान नही करते उनसे काफी अधिक होती है। इसके लिए लोगों में जागरुकता जरूरी है I पोषण माह में अधिक से अधिक जन जागरुकता की कोशिश करें I कुपोषण एवं एनिमिया की रोकथाम के लिए हमारे ये प्रयास कारगर कदम होंगे और हम सही पोषण-छत्तीसगढ़ रोशन की अवधारणा को मूर्त रूप दे सकेंगे।