हैरानी : शहर में बंगला-गाडी-दौलत की भरमार..फिर भी शहर में सब गरीब…

[highlight color=”orange”]1लाख 25 हजार की जनसंख्या मे 1 लाख 30 हजार लोग गरीब[/highlight]

[highlight color=”black”]खाद्य विभाग ने जारी किया 26 हजार से अधिक राशन कार्ड[/highlight]

 

[highlight color=”red”]अम्बिकापुर[/highlight]

अब तक गरीबो को 1-2 रुपए किलो चावल देकर सुर्खिंया बटोरने वाली छ्त्तीसगढ सरकार के नुमाईंदे सरकार की इस योजना मे पलीता लगाते नजर आ रहे है … सरगुजा जिला मे राशन कार्ड आबंटन मे बडी हेराफेरी की कहानी सामने आने लगी है। इस बार मामला मुख्यालय अम्बिकापुर मे मकानो से अधिक राशन कार्ड जारी करने का है। मतलब अगर मौजूदा आबादी और कार्ड वितरण के आधार पर देखा जाए तो संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर मे 85 फीसदी गरीब लोग रहते है। और अगर जनगणना के आधार पर देखा जाए तो जनसंख्या से अधिक गरीब लोग अम्बिकापुर शहर मे निवास करते है।

छत्तीसगढ मे राशन कार्ड और कार्ड के सहारे मिलने वाला राशन की प्रकिया को पारदर्शी बनाने के कई प्रयास और प्रयोग हुए है। जिसके तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारो को तीन कटेगरी मे बांट कर नीला,गुलाबी और भूरा कार्ड की श्रेणी मे बांटा गया है! जिसके आधार पर सार्वजनिक खाद्यान वितरण प्रणाली संचालित है। लेकिन संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर मे खाद्य विभाग की लचर व्यवस्था और अनदेखी के चलते एक बडा मामला प्रकाश मे आया है ! जिसमे खाद्य विभाग ने शहर मे मकानो की संख्या से अधिक राशन कार्ड वितरित कर दिए है। जो किसी बडे भ्रष्टाचार और पीडीएस दुकान संचालको से सांटगांठ की ओर इशारा करने के लिए काफी है।

निगम के मौजूदा आकडो के मुताबिक अम्बिकापुर नगर निगम के 48 वार्डो मे 21000 हजार मकान है। जिन मकानो मे गरीब अमीर सभी के मकानो की संख्या शामिल है। वही खाद्य विभाग ने इन 21000 मकानो पर गरीबो के नाम पर 26000राशन कार्ड जारी किए है। इन राशन कार्ड के माध्यम से शहर के 48 वार्डो के लिए 36 पीडीएस दुकानो के माध्यम से खाद्यान वितरित किए जाते है। मतलब साफ है या तो नगर निगम द्वारा माकानो के सर्वे के आकडे गलत है। या फिर खाद्य विभाग द्वारा जारी किए गए कार्ड गलत तरीके से आबंटित कर सरकार की खाद्यान योजना मे सेंधमारी करने का प्रयास किया जा रहा है।

[highlight color=”blue”]जनगणना के अनुसार आबादी [/highlight]

गौरतलब है कि जनगणना के मुताबिक अम्बिकापुर निगम क्षेत्र मे 29 हजार खाली ,भरे माकान मे 22 हजार 98 परिवार रहते है और इसी के साथ शहर की कुल आबादी 1 लाख 25 हजार 392 बताई गई है। जिसमे गरीब, अमीर सब की जनसंख्या और मकान है। लेकिन जनगणना के हिसाब से ही अगर देखा जाए तो 22 हजार 98 परिवार , जिनमे गरीब अमीर सब शामिल है। उसके लिए खाद्य विभाग ने 26 हजार से अधिक राशन कार्ड जारी कर दिए है। इतना ही नही अगर 26 हजार राशन कार्ड मे प्रति परिवार सदस्यो की संख्या अगर 5 भी होगी तो 26 हजार कार्ड के हिसाब से केवल शहर मे 1 लाख 30 हजार गरीब लोग शहर मे रहते है। ऐसे मे शहर की आबादी से अधिक गरीब लोग का ये आकडा केवल हैरान परेशान करने वाला नही है बल्कि खाद्य विभाग की मनमानी और भ्रष्ट रवैये की ओर भी इशारा करता है।

[highlight color=”blue”]कितना और किसको होता है आबंटन[/highlight]

सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर के शहरी क्षेत्र के 48 वार्डो मे सार्वजनिक वितरण प्रणाली(पीडीएस) के खाद्यान वितरण का जिम्मा 36 महिला स्वं सहायता समूह को दिया गया है। इनके लिए जिला खाद्य विभाग द्वारा इस माह जारी किए गए खाद्यान की क्षमता इस प्रकार है-

चावल- 8 हजार 75 क्विंटल

शक्कर- 288 क्विंटल

नमक -577 क्विंटल,

चना- 577 क्विंटल,

रिफाईंड आयोडीन नमक 577 क्विंटल

 

[highlight color=”blue”]शपथ और निर्देश[/highlight]

जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ साल पहले राशन कार्ड आबंटन मे हुए बडे हेराफेरी की वजह से राज्य सरकार ने फिर से सर्वे कराते हुए नए तरीके से राशन कार्ड आबंटन की प्रकिया शुरु करवाई थी। जिसके तहत तात्कालीन कलेक्टर आर प्रसन्ना ने चतुर्थ वर्ग श्रेणी से उपर आने वाले कर्मचारियो को राशन कार्ड ना बनावाने के निर्देश जारी करते हुए सभी अधिकारी कर्मचारी से ये शपथ पत्र भरवाया था , कि  चतुर्थ वर्ग से उपर आने वाले कोई भी अधिकारी राशन कार्ड जारी नही करवाएगा।

 

[highlight color=”blue”]निगम के कई वार्डो के अधिकारी कर्मचारी के राशन कार्ड जारी[/highlight]

जानकारी के मुताबिक शहर के विभिन्न वार्डो के लिए अब तक जारी राशन कार्ड मे कई शासकीय कर्मचारी ने अपनी पत्नियो के नाम से राशन कार्ड जारी करवा लिए है। जिसमे सबसे अधिक गंगापुर ,मुक्तिपारा, महुआपारा, गोधनपुर, दर्रीपारा, मठपारा, गांधीनगर, जैसे इलाके के शासकीय कर्मचारी की संख्या ज्यादा है। अगर इस मामले की गंभीरता से जांच की जाए, तो ये खुद सामने आ जाएगा कि शासकीय कर्मचारियो ने शपथ भरने के बाद भी अपनी पत्नियो के नाम से गरीबी रेखा के राशन कार्ड जारी करवा लिए है।

[highlight color=”red”]जी.एस.राठौर , जिला खाद्य अधिकारी[/highlight]

वही इस मामले में जिला खाद्य अधिकारी का कहना है की शहर के मकानों की संख्या के बारे में मुझे जानकारी नहीं है।नगर निगम से जो प्रस्ताव आता है उसी के आधार पर राशन कार्ड बनाए जाते है।

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