वीडियो : 40 हज़ार रुपये में बिकती है जंगल की ज़मीन… भू-माफ़िया और वन विभाग की सांठगांठ से विकसित हो रही वन कॉलोनी

पारसनाथ सिंह, अम्बिकापुर। वनो की जब रखवाली हो, तो पृथ्वी पर हरियाली होगी। ये स्लोगन आप वन विभाग के दफ्तर औऱ दीवारो मे लिखा जरूर देखा होगा, लेकिन जब वनो की हरियाली बनाए रखने के लिए जिम्मेदार वन विभाग ही वन संपदा के दुश्मन बन जाए तो ऐसे मे वनो की बचाने की बात केवल बईमानी लगती है। ऐसा ही इन दिनो अम्बिकापुर शहर से लगे डबरीपानी इलाके मे हो रहा है। जहां वनो को काट कर वन भूमि मे कॉलोनी विकसित करने का काम हो रहा है।

छत्तीसगढ वन विभाग वन और वन संपदा को बचाने के तमाम दावे करता रहता है, लेकिन असल हकीकत देखना है तो आपको उस अम्बिकापुर तक पहुंचना होगा। जो अपनी स्वच्छता और बेहतर प्राकृतिक वातावऱण के लिए प्रदेश भर मे चर्चित हैं, क्योकि लॉक डाउन के दौरान जब लोग कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे। तब भूमाफिया वन अधिकारियो से सांटगांठ जंगल की जमीन पर कॉलोनी विकसित करने का कुचक्र रच रहे थे।

भूमाफिया की एक रिकार्डिंग वायरल हो रही है। जिसमें वह कह रहा है वन भूमि मे बसने के लिए आपको 40 से 50 हजार रूपए प्रति डिसमिल के हिसाब से जमीन मिल जाएगी। वो भी बिना रोक टोक के, फिर आप उसमे घर बनाईए, घर बनाने के बाद नई सरकार वन भूमि का पट्टा देने का एलान करती है। उसमे आपको पट्टा मिल जाएगा। मतलब इस भूमाफिया ने साबित कर दिया कि वन विभाग कोई कार्यवाही नहीं करेगा। दरअसल इस पूरे मामले की जानकारी जिले और संभाग के वरिष्ठ वन अधिकारियो को भी हैं, क्योकि अब वन भूमि पर अवैध कब्जे की लिखित और मौखिक शिकायत उन अधिकारियो को तक पहुंच गई है।

वन भूमि के संबंध में हमनें डीएफओ, मुख्य वन संरक्षक को अवगत कराया की वन भूमि में जितने वन भूमि है। उसमें अभी लॉक डाउन के पहले एक मकान बना हुआ था, लेकिन लॉक डाउन के बाद छः महीने में सैकड़ों मकान बन गये है। वो बनने का कारण यह है कि जो उस क्षेत्र के वन परिक्षेत्र अम्बिकापुर के अंतर्गत के अधिकारी है। जैसे कि दरोगा है सिपाही है। उनके द्वारा डबरीपानी में विधिवत लोगों को पैसा लेकर भूमि आवंटित किया जा रहा है। यानी वन भूमि का विक्रय किया जा रहा है। ऐसा पूरा सुनने में आया है। ऐसा हमलोगों ने देखा भी है। जिसकी शिकायत विधिवत हमने मुख्य वन संरक्षक तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक छत्तीसगढ़ को की है और बताया गया है अम्बिकापुर वन परिक्षेत्र के अधिकारी से इसकी जांच न करके दूसरे किसी वरिष्ठ अधिकारी से इसकी जांच करायी जाये।

दिनेश सोनी, अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता, अम्बिकापुर

संभाग मुख्यालय होने की वजह से यहां पर सीसीएफ भी बैठते हैं। लिहाजा अम्बिकापुर वन मंडल के अधीन आने वाले अम्बिकापुर वन परिक्षेत्र मे इस तरह के कारनामे किसी को ना दिखे हो। ऐसा मुमकिन नहीं है, पर उसके बावजूद संभाग के सबसे बडे वन अधिकारी इस मामले मे भी उसी तरह की जांच की बात कह रहे हैं। जिस तरह की जांच पहले भी कई बार हुई और फिर मामला ठंडे बस्ते मे रखा है।

इसकी सूचना मिली है। तत्काल वनमण्डलाधिकारी को सूचित किया है की उस स्थल का जांच कराकर प्रतिवेदन भेजकर स्पेशल टीम भेजें। यदि ऐसा कोई किया होगा तो निश्चित रूप से कार्रवाई होगी।

ए.बी. मिंज, सीसीएफ, सरगुजा वन वृत, अम्बिकापुर

जानकारी के मुताबिक अम्बिकापुर वन परिक्षेत्र मे पदस्थ एक चर्चित वन पाल के संरक्षण मे वन भूमि के अवैध खरीद बिक्री का ये कारोबार जमकर फल फूल रहा है औऱ अधिकारी उस वन पाल पर कार्यवाही करने के बजाय उसको बचा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योकि जिले मे पदस्थ वर्तमान डीएफओ के प्रशिक्षण काल मे ये वन पाल उनके प्रशिक्षण मे सहयोग कर चुके हैं। लिहाजा अब गुरुदिक्षा मे डीएफओ ने उनको ऐसी छूट दे दी है, कि सब कुछ लूट हो…. मेरी आंख मे तो पट्टी बंधी हैं।

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