कलेक्टर ने लिया चाय बगान के लिये चिन्हित भूमि का जायजा..पहले चरण में 25 एकड़ में होगी चाय की खेती..भौगोलिक संरचना के अनुरूप है जोकापाट!..

बलरामपुर..कलेक्टर विजय दयाराम के. ने शंकरगढ विकासखण्ड के ग्राम जोकापाट में चाय बगान के लिये चिन्हाकिंत भूमि का निरीक्षण कर उद्यान एवं वन विभाग के अधिकारियों को जल्द से जल्द चाय बगान तैयार करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। कलेक्टर ने चाय बगान के लिए शुरूआती चरण में 25 एकड़ में चाय की खेती करने हेतु संबंधित अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने को कहा। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा करते हुए, जोकापाट क्षेत्र में चाय की खेती करने की जानकारी दी, तथा उनसे आग्रह किया की वे पारम्परिक खेती के अलावा अन्य फसलों की उन्नत तकनीकी के साथ खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकें।
कलेक्टर विजय दयाराम के. ने निरीक्षण के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप चाय बगान व ईको-पर्यटन क्षेत्रों को विकसित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत् ग्राम जोकापाट की जलवायु संतुलन को देखते हुए, चाय बागान के लिए उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि चाय की खेती के लिए पहाड़ी क्षेत्रों को सबसे उत्तम माना जाता है, तथा जोकापाट में चाय की खेती होने से क्षेत्र के मजदूरों, कृषकों व व्यावसाईयों को आर्थिक लाभ होगा। कलेक्टर ने चाय बगान के लिए शुरूआती चरण में 25 एकड़ में चाय की खेती करने के लिये संबंधित अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने चाय की खेती के लिये पानी की व्यवस्था हेतु 3-4 तालाब का निर्माण एवं डबल सीपीटी बनाने हेतु अधिकारियों को प्राक्कलन तैयार करने के निर्देश दिये।
गौरतलब है कि जोकापाट में चाय की खेती होने से जोकापाट पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा, जोकापाट की पहचान भौगोलिक संरचना, पर्वतीय और ठंडे इलाकों से होती है, तथा पठारी क्षेत्र होने और लैटेराइट मिट्टी का प्रभाव होने की वजह से जोकापाट में चाय की खेती के लिए अनुकूल वातावरण है, जिसे देखते हुए जोकापाट में चाय की खेती के लिए चाय बागान की स्थापना की जायेगी। विदित हो कि देश के अन्य हिस्सों में चाय की खेती के लिए कीटनाशक और रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन जोकापाट के चाय बगान के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल करने की कार्य योजना बनाई जा रही है।