टीबी के मरीजों की जानकारी देने निजी अस्पतालों को निर्देश…

सरगुजा की स्थिति गंभीर देखते हुये हुई बैठक

अम्बिकापुर

“दीपक सराठे”

सरगुजा संभाग में टीबी की गंभीर बिमारी की संख्या को बढ़ता देख नगर के विरेंद्र प्रभा होटल में स्वास्थ्य अधिकारियों ने निजी अस्पताल प्रबंधनों की बैठक ली। बैठक में निजी अस्पतालों के प्रबंधकों को टीबी के मरीजों की जानकारी शासन तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं। गौरतलब है कि सरगुजा संभाग में टीबी बिमारी का आंकड़ा हर माह बढ़ता ही जा रहा है। प्रतिवर्ष जागरूकता कार्यक्रम व एनजीओ पर लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी वर्तमान की बात करें तो सरगुजा में टीबी जैसे संक्रमक की स्थिति नियंत्रण से बाहर है। सरगुजा जिले में 2011 से अब तक 14 एमडीआर टीबी के मरीजों को डायग्नोश किया जा चुका है। एमडीआर टीबी को काफी घातक माना गया है। इसके अलावा सरगुजा में 2014-15 में 1668 टीबी के मरीज सामने आ चुके हैं। यह रिकार्ड सरगुजा के शासकीय अस्पताल का है। इसके अलावा नगर के विभिन्न निजी अस्पतालों में टीबी के काफी मरीज पहुंच रहे हैं। निजी अस्पतालों में टीबी के मरीजों के पहुंचने से सरगुजा में टीबी बिमारी की सही स्थिति का अंदाजा शासन तक अभी तक नहीं पहुंच सका है। इस गंभीर विषय को लेकर चिंतन अब प्रारंभ कर दिया गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों व निजी अस्पताल प्रबंधनों की बैठक में जिला क्षय विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. एसके सिन्हा ने निजी अस्पताल प्रबंधकों टीबी के मरीजों की जानकारी शासन स्तर तक पहुंचाने की बात कही, ताकि शासन की ओर से जो दवाओं की सुविधा निरूशुल्क प्राप्त होती है उसका लाभ उन मरीजों को मुहैया कराया जा सके। बैठक में केयर इंडिया संस्था के डॉ. सागर सहित निजी अस्पताल प्रबंधनों के चिकित्सकों ने भी टीबी जैसी गंभीर बिमारी के सरगुजा में तेजी से पैर पसारने को लेकर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। बैठक में डॉ. पीके श्रीवास्तव, डॉ. एके जायसवाल, डॉ. डीडी अग्रवाल, डॉ. किरण अग्रवाल, डॉ. जीबनुस एक्का, डॉ. खुटिया, डॉ. पुष्पा सोनी, डॉ. गंगोली सहित अन्य चिकित्सक मौजूद थे।

कुष्ठ का शिविर लगाने मितानिन ने लिखी चिऋी

शासन के द्वारा यह दावा किया जाता रहा है कि कुष्ठ जैसी गंभीर बिमारी से भारत को दूर कर दिया गया है, परंतु सरगुजा में यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं। वर्ष 2016 में ही 14 मार्च से 28 मार्च तक सरगुजा में चले कुष्ठ खोज अभियान में 43 एमबी केश सामने आये हैं। चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सिन्हा के अनुसार एमबीकेश को काफी खतरनाक माना गया है। इसके साथ ही लखनपुर के ग्राम सलका के एक मितानिन ने कुष्ठ विभाग को चिऋी लिखकर गांव में कुष्ठ के लिये शिविर लगाने की मांग की है। मितानिन के अनुसार गांव में कुष्ठ के काफी मरीज सामने देखे गये हैं। इस संबंध में नोडल अधिकारी डॉ. सिन्हा ने कहा है कि जल्द ही ग्राम सलका में शिविर लगाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया जायेगा।