21 साल से BSF के रिटायर्ड मेज़र के परिवार का सामाजिक बहिष्कार.. अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ कोई.. परिवार ने एसपी-कलेक्टर से लगाई गुहार

जशपुर. हम आपको जशपुर के एक बीएसएफ अधिकारी और उसके परिवार को मिली जिल्लत की ऐसी कहानी बतानेे जा रहे हैं. जिसको पढ़ने के बाद आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे.. कि आखिर समाज के ठेकेदार किस तरह से चंद रूपयों के लालच में अपनी मनमानी पर उतारु हैं. देश की सीमा की सुरक्षा में लगा सेना का मेजर दिन रात कड़ी ड्यूटी कर 40 साल तक देश की सेवा करता है.. और रिटायर होने के बाद जब वो अपने गाँव लौटता है.. तो उसके बाद उसे और उसके परिवार को 21 सालों तक सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ता है.. और उसके बाद कई सालों तक वापस समाज में शामिल करने मिन्नतें फरियाद करते करते उस जवान की मौत हो जाती है.

इतना ही नहीं पूरी जिंदगी देश की सेवा करने वाले उस अधिकारी के अंतिम संस्कार में भी गाँव और समाज का कोई व्यक्ति शामिल नहीं हुआ.
जशपुर के जुमईकेला निवासी इलियुस खलखो बीएसएफ में मेजर थे. चालीस साल तक उन्होंने बीएसएफ में रहकर देश की सेवा की.. लेकिन रिटायर होने के बाद जब वो गाँव पहुँचे तो उन्हें पता चला कि कैथोलिक उरांव समाज के लोगों ने उनकी पत्नी समेत पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है.. क्योंकि गाँव का एक युवक गाँव की महिला के साथ मारपीट कर रहा था. जब सेना के अधिकारी की पत्नी ने युवक को मारपीट करने से रोका तो नाराज युवक ने गाँव मे सामाजिक पंचायत बैठा दी. बैठक में इस परिवार के किसी भी सदस्य को बिना बुलाये समाज के ठेकेदारों ने पूरे परिवार के सामाजिक बहिष्कार का ऐलान कर दिया.

1999 में जब बीएसएफ के मेजर इलियुस खलखो रिटायर होकर घर लौटे तो उन्होंने समाज के कथित ठेकेदारों से मिलकर आधा दर्जन से अधिक बैठकें कर अपने परिवार को किये गए सामाजिक बहिष्कार के फैसले को खत्म कर वापिस समाज मे शामिल करने की माँग की.. लेकिन इसके बावजूद समाज को परिवार में शामिल नहीं किया गया. देश के दुश्मनों से पूरी जिंदगी लड़ने के बाद रिटायरमेंट के बाद बीएसएफ के मेजर ने पूरी जिंदगी सामाजिक बहिष्कार का दंश झेला.. और इस दंश को झेलते झेलते 2019 में रिटायर्ड मेजर की मौत हो गयी. अपनी मौत के चार दिन पहले भी रिटायर्ड मेजर ने भी समाज के तथाकथित ठेकेदारों से समाज में शामिल करने की आखिरी गुहार लगाई थी.. लेकिन इस बार भी उनकी बात को अनसुना कर दिया गया. परिवार का कहना है कि इसी टेंशन में उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गयी.

सामाजिक बहिष्कार का दंश रिटायर्ड मेजर ने जीते जी तो झेला ही उनकी मौत के बाद भी समाज के ठेकेदारों के दिल नहीं पसीजा. देश के लिए पूरी जिंदगी बिता देने वाले रिटायर्ड मेजर के अंतिम संस्कार में गाँव का और समाज का कोई व्यक्ति भी शामिल नहीं हुआ. एक युवक ने अंतिम संस्कार में जाने की कोशिश की तो समाज ने उस पर भी कार्रवाई करने की धमकी दे डाली. किसी तरह अपने चन्द रिश्तेदारों के साथ मिलकर रिटायर्ड मेजर के परिवार ने उनका अंतिम संस्कार किया.

पीड़ित परिवार का आरोप है कि अब तक उनसे जुर्माने के रूप में 25 हजार रुपये लिए जा चुके हैं.. और उनको समाज मे शामिल करने एक लाख रुपयों की माँग की जा रही है. परिवार अब न्याय की गुहार लगा रहा है. वहीं कानूनविद रामप्रकाश पांडे इस पूरी घटना को बेहद शर्मनाक बता रहे हैं.. और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की माँग कर रहे है. वहीं एसडीओपी मनीष कुँवर का कहना है कि मामले में जाँच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

बहरहाल पूरी जिंदगी देश की सेवा में लगे बीएसएफ के रिटायर्ड मेजर इलियुस खलखो को जीते जी तो न्याय नहीं मिल पाया.. पर अब मेजर की पत्नी अपने जीते जी पूरे परिवार को न्याय दिलाने की उम्मीद से जिले के एसपी और कलेक्टर से मिलकर इंसाफ की गुहार लगाई है. बहरहाल अब देखना होगा कि 21 साल सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलने वाले इस परिवार को अब न्याय मिल पाता है या नहीं.