अस्पताल के सामने बीमारी की तरह पनप रही झुग्गी-झोपडि़यां

  • गंदगी में बन रही खाद्य सामग्री, शाम को शराब खाने में तब्दील

अम्बिकापुर

संभाग के सबसे बड़े रघुनाथ जिला अस्पताल में चार-चाँद लगाने व साफ-सफाई व्यवस्था के जरिये उसका स्वरूप बदलने की कवायद के सामने वहां मार्ग में दोनों ओर लगी झुग्गी-झोपडि़यां पलीता लगाने कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अवैध रूप से बनाई गई इन झोपडि़यों में न सिर्फ गंदगीयुक्त वातावरण के आलम में खाद्य पदार्थ का निर्माण जाता है, बल्कि शाम ढ़लते ही शराबियों व गंजेडि़यों की महफिल इन झोपड़ीनुमा होटलों में सज जाती हैं। खुले में दिनभर रखे गये खाद्य पदार्थों का निर्माण किन परिस्थितियों व वातावरण के बीच हो रहा है। इसे देखने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी आज तक नहीं पहुंचा।

आलम यह है कि एक-दो दिनों की बची खाद्य सामग्री दूसरे दिन भी धड़ल्ले से बिक रही है। शर्म करनी चाहिये कि निगम के खाद्य विभाग को जो कभी-कभार बड़े होटलों में दबिश देकर सेटिंग व मामला रफा-दफा तो कर देता है, परन्तु इन छोटे होटलों में जहां उपयोग में लाये जाने वाले बर्तनों को देखकर ही वहां की खाद्य सामग्री के गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है, वहां एक बार भी यह विभाग पहंुचना मुनासिब नहीं समझा। कहा जा सकता है कि इन छोटे होटलों में विभाग की सेटिंग की दाल का गलना मुश्किल होता है। जिला अस्पताल के सामने रोज एक नई झोपड़ी बांस व फटे पुराने तिरपाल को लगाकर खड़ी कर दी जा रही है। सड़क तक कुर्सियों के लगाने से जहां एक ओर आवागमन में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं इन होटल संचालकों की दबंगई से ग्रामीण क्षेत्रों से आये मरीजों के परिजनों को रोज दो-चार होना पड़ रहा है।

आज की ही बात करें तो इन होटल संचालकों द्वारा सड़क पर कचरा फेंकने पर एक सभ्य व्यक्ति द्वारा मना किये जाने पर होटल संचालक गुण्डा-गर्दी पर उतारू हो गयें। इतना ही नहीं, उस सभ्य व्यक्ति के मुख बधिर बच्चे की तीन-चार लोगों ने मिलकर पिटाई भी कर दी। मामला थाने तक जा पंहुचा। पुलिस ने दो होटल संचालकों को पकड़ा है। इन पर कार्यवाही की जा रही है। खैर यह सिर्फ आज की बात नहीं है यहां रोज इन होटल संचालकों की मनमानी चलती रहती है। अस्पताल के सामने नासूर बन चुके इनं झुग्गी-झोपड़ी में संचालित दुकानों, होटलों को हटाने की कार्यवाही निगम प्रशासन के द्वारा कई बार की परंतु दूसरे दि नही वह झोपडि़यां पुनः स्थापित कर ली गई। दिनों-दिन कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रही इन झुग्गी-झोपडि़यों से अस्पताल के सामने परेशानी व समस्या का आलम बढ़ता जा रहा है।