दुकानदार अभी भी कर रहे घिसे हुए तराजू-बाट का उपयोग, विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई

  •  20 हजार से ज्यादा व्यवसायी  
  • तौल कांटा व बांट का सत्यापान करने विभाग ने पांच साल से नहीं की है जांच 

कोरिया ( बैकुण्ठपुर से J.S.ग्रेवाल

मुख्यालय सहित चिरमिरी मनेंद्रगढ़ की किसी भी दुकान में आप खरीददारी करने जा रहे है, तो कोई बड़ी बात नहीं कि तौल में दुकानदार कांटा मार दें। जिले के नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों का भी यही हाल है। इन दिनों जिले में दुकानदारों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे तराजू बांट अमानक हैं। चुकी नाप-तौल विभाग अब तक खानापूर्ति करते कुछ दुकानोें में तौलने के उपयोग में लाए जा रहे उपकरणों की जांच नहीं की गई है। विभाग की लापरवाही से ग्राहकों की जेब कट रही है।

किराना, राशन दुकान, डेयरी, फल-सब्जी, मिठाई खरीदने वाला ग्राहक किसी भी सामान की खरीदी पर विश्वास के साथ यह नहीं कह सकते की उसे सामान सही तौलकर दिया गया है। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर, चिरमिरी, मनेंद्रगढ़ सहित ग्रामीण क्षेत्रों की इन दुकानों में बगैर सत्यापित बाट व तराजू का उपयोग दुकानदारों द्वारा किया जा रहा है। तौल कांटा व बांट का सत्यापान करने विभाग ने समय-समय पर जांच करने का काम भी नहीं किया। साप्ताहिक बाजार में लगने वाली दुकानों में उपयोग किए जाने तराजू बांट की जांच नहीं की जाती है।
बाजार में फल-सब्जी व किराना दुकानों में विभाग ने काफी समय से दबिश देकर नापतौल उपकरणों की जांच नहीं की गई है। बडी संख्या में आज भी जिले की किराना व राशन दुकानों में बिना सत्यापित इलेक्ट्रानिक तराजू का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ग्राहकों को कम सामान मिलने की आशंका है। जानकारी के अनुसार जिले में 20 हजार से अधिक छोटे बड़े व्यवसायी है। इनमें साप्ताहिक बाजार में फल और सब्जी बेचने वाले व्यापारी भी शामिल हैं। छोटे व्यापारियों की दुकानों में सामानों की बिक्री के लिए आज भी मेन्युअल तराजू बांट का उपयोग अधिक हो रहा है। लोहे के तराजू बांट रोज-रोज के उपयोग से घिस जाते हैं। इससे उनका वजन कम होने लगता है। यही कारण है कि पहले इनकी जांच होती थी। इलेक्ट्रानिक तराजू की भी जांच कराए बगैर ही दुकानदार इसका उपयोग कर रहे हैं। जबकि इसमें भी कई प्रकार की तकनीकी खराबी आ जाती है। एेसे उपकरणों के नापतौल के लिए शासन ने अधिकृत किया है। इसके लिए समय-समय पर कैंप लगाकर जांच करना व तराजू गुणवत्ता जांचकर अपना स्टैंपिंग कराते है। स्टैंपिंग के तहत विभाग 10 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक वसूल करता है। इसके काम के लिए बकायद व्यापारियों को नोटिस भी दिया जाता है।

जिले में जांच के लिए विभाग ने पांच साल से नहीं लगाया कहीं भी कैंप, खरीदारों को भुगतना पड़ रहा है खामियाजा 

मेनुअल नापतौल व बांट की जांच करने के लिए पांच साल से विभाग ने जिले के किसी भी स्थान पर कोई कैंप नहीं लगाया है। स्टैपिंग नहीं कराने वाले व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। विभाग को एेसे व्यापारियों की तलाश करनी चाहिए। जो नियम विरूद्ध इलेक्ट्रानिक व मेनुल नापतौल तराजू व बांट का उपयोग कर रहे हैं। जिले में बड़ी संख्या में एेसे व्यापारी हैं जिनके द्वारा इलेक्ट्रानिक व मेनुअल नापतौल तराजू का स्टैंपिंग नहीं कराया गया है। इसके बावजूद विभाग पूरी तरह निष्क्रिय हैं और खास वजह है कि ग्राहकों की थोड़ी-थोड़ी जेब हर दिन कट रही है। नापतौल को लेकर आए दिन दुकानदारों व कस्टमर के बीच बहस भी हाेती है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता। इसका मुख्य कारण है कि सभी दुकानदार घिसे हुए बाट का उपयोग करते हैं। अब कस्टमर थककर दुकानदारों से बहस करने की बजाय नुकसान झेलने को मजबूर हैं। विभाग की कार्रवाई से लोगों की जेब कटने से बच सकती है, क्योंकि विभाग के अधिकारी भी खरीदारी करते हैं।

अमानक तराजू बांट का उपयोग – जुर्माने के साथ छह महीने की सजा
बिना रजिस्ट्रेशन इलेक्ट्रानिक कांटा में सामान तौलकर बेचना अपराध है और यह सजा के दायरे मंे आता है। अमानक और बिना रजिस्ट्रेशन के इलेक्ट्रानिक कांटा में सामान बेचते पाए जाने पर छह महीने की सजा और 25 हजार रुपए के अर्थदंड का प्रावधान है। बिना सत्यापन, सील प्लेट व टीन नंबर के तौल कांटे का उपयोग करने वाले दुकानदारों के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाती है। 

बाजार में उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक्स तराजू उपयोग नहीं – ये हैं नियम
नियम के अनुसार व्यापारियां को हर साल किलो बांट में स्टैंपिंग कराना चाहिए, लेकिन व्यापारी स्टैंपिंग नहीं कराते। इसका कारण विभाग की निष्क्रियता बताई जा रही है। बाजार में पत्थरों और लोहे के टुकड़ो से सब्जी का तौल किया जाता है। इसके कारण ग्राहकों को निर्धारित मात्रा से कम सामान मिलता है। यानी यहां ग्राहक को नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

जैसे-तैसे चला रहे हैं काम, विभाग में नहीं है कोई भी जिम्मेदार अधिकारी
जानकारी के अनुसार विभाग में तीन ही कर्मचारी है। जबकि कोरिया जिला सहित सूरजपुर जिले का प्रभार भी दिया गया है। जैसे तैसे काम चलाने का बात विभाग की ओर से बताई गई है। जिले का टारगेट क्या है। व्यापारियों की संख्या क्या है, कितनी इलेक्ट्रानिक तौल मशीन स्टैंपिंग हुई है। इस तरह की किसी भी जानकारी देने के लिए विभाग में सक्षम अधिकारी उपस्थित नहीं है। कार्यालय से किसी तरह अधिकारी का मोबाइल नंबर मिला। काॅल लगाने पर नंबर कवरेज के बाहर बता रहा है। दो दिन से जनकपुर में कैंप लगाने की बात बताई। इस कारण विभाग द्वारा अमानक किलो बांट का उपयोग करने वाले व्यापारियों के यहां छापमार कार्रवाई नहीं हो पा रही है। विभाग से इस संबंध में किसी प्रकार के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराया गया है।