अभ्यारण्य क्षेत्र में एक सप्ताह में तीन हाथी की मौत…

  • तमोर पिंगला अभ्यारण्य में एक ओर हाथी की मौत
  • अभ्यारण्य क्षेत्र में एक सप्ताह के अंदर यह तीसरी मौत

 

अम्बिकापुर/प्रतापपुर

लोक संरक्षित तमोर पिंगला वन अभ्यारण्य क्षेत्र में एक और हथनी की मौत हो होने का मामला प्रकाश में आया है। अभ्यारण्य क्षेत्र में एक सप्ताह के अंदर तीसरी मौत है। एक के बाद एक संरक्षित वन प्राणियों की मौत से अभ्याण्य क्षेत्र में वन्य प्राणियों के सुरक्षा एवं अभ्यारण्य क्षेत्र के कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के कर्तव्य निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। चंद सिपाहियों के भरोसे अभ्यारण्य एवं वन्य प्राणियों की देख-रेख सुरक्षा को सौंप वन परिक्षेत्र अधिकारी सहित पूरा वन अमला मौके से नदारत रहने का आरोप आसपास के ग्रामीण लगा रहे है ।

इन अधिकारी-कर्मचारियों पर वरिष्ठ अधिकारियों का आदेश भी बेअसर हो रहा है। हाथी के मौत जैसे गंभीर मामले में भी वन परिक्षेत्र अधिकारी जिस अंदाज से बयान मिडियाकर्मियों को दिया गया है, निरूसंदेह यह कुछ तो कमी को इंगित करता है। अभ्यारण्य क्षेत्र में एक सप्ताह में अलग-अलग स्थान पर एक हाथी के तीन वर्षीय बच्चे सहित तीन हाथियों की मौत हो चुकी है। मौत प्राकृतिक हो या हत्या, तीनों मौत के मामले में वन विभाग को सूचना मिली शव के सडने के बाद। सभी मामले में ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों को सूचना दिया। ऐसे में विभाग के अधिकारियों का यह दावा करना कि हम हाथियों पर नजर बनाये रखें है, कहां तक जायज प्रतीत होगा। अभ्यारण्य कार्यालय रमकोला से लगभग 12 किमी पश्चिम मेें पहले हथनी की मौत जिसे वृद्धावस्था के कारण मौत बताया गया। हाथी के तीन वर्षीय शावक की मौत अभ्यारण्य कार्यालय से बढनीझरिया जंगल लगभग 12 किमी उत्तर-पूर्व में एवं अभ्यारण्य कार्यालय से उत्तर में लगभग 0-10 किमी पर लोटा जंगल में पुनरू एक हथनी की मौत हुई। मौत का कारण तो पीएम रिपोर्ट के बाद स्पष्ट होगा पर सवाल इस बात का है कि वन अमला जो सतत निगरानी का दावा करती है उसे चार पांच दिन बाद खबर क्यों मिली, क्या वन कर्मचारी क्षेत्र में भ्रमण नहीं करते या फिर गश्त लगाना बताकर अपने उच्च अधिकारियों को गुमराह करते हैं या कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी-कर्मचारी हाथियों की मौत की जानकारी मिलने के बावजूद शव के सडने का इंतजार करते हैं। ऐसे में इन मौतों का कारण प्राकृतिक हो या हत्या यह तो जांच के बाद स्पष्ट होगा, पर वन्य प्राणियों के लिये संरक्षित अभ्यारण्य क्षेत्र में आवश्यकता है सजग पहरेदारों की, जो अतुलनीय वन सम्पदा के साथ-साथ वन्य प्राणियों की निगरानी और सुरक्षा कर सकें। अभ्यारण्य क्षेत्र में हाथियों की मौत के मामले में वनमंडलाधिकारी पीएस तिवारी ने इन मौतों को प्राकृतिक मौत बताते हुये तस्करों के संलिप्तता से इंकार करते हुये कहा कि अभ्यारण्य क्षेत्र वन्य प्राणियों के लिये पूरी तरह से उपयुक्त है।