छत्तीसगढ़ में बीजेपी सत्ता पर काबिज हो गई है, बीजेपी ने सीएम पद की कमान विष्णुदेव साय को सौंपी है और उनके साथ दो डिप्टी सीएम बनाये गए हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राजनैतिक पंडितों की भविष्यवाणी को गलत साबित करते हुए एक बार फिर प्रदेश की राजनीती के सिंहासन में विराजमान हो चुकी है। महंत रामसुंदर दास, दिलीप षडंगी, चुन्नीलाल साहू के बाद पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। बीजेपी से कांग्रेस का दामन थामने वाले आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस सरकार में CSIDC के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था।
छत्तीसगढ़ में चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस कमेटी महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर अपना दुख और गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि, नेता प्रतिपक्ष चयन की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई। दिल्ली के नेताओं के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन का हब और मौज मस्ती का केंद्र बन गया है।
चंद्रशेखर शुक्ला ने पत्र में यह लिखा
हार के बाद कांग्रेस प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला ने प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर कहा कि, जो हार के कारणों के लिए जिम्मेदार था उन्हीं के साथ चुपचाप मीटिंग कर ली गई। नेता प्रतिपक्ष चयन की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई। दिल्ली के नेताओं के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन का हब और मौज मस्ती का केंद्र बन गया है। एक-एक प्रकोष्ठ में चार चार अध्यक्ष बनाए गए हैं और पैसे लेकर नियुक्तियां दी गई है। जोगी कांग्रेस के लोगों को उपकृत किया गया। इतना ही नहीं उन्होंने भूपेश बघेल सरकार की कई योजनाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं।
पत्र लिखकर उठाए सवाल
आगे उन्होंने लिखा कि, हमारी योजनाएं और प्लानिंग क्यों धरासी हुई ? हमारे सर्वे जो 7-7 बार हुआ, वह क्यों असफल हुआ ? नेताओं को क्षेत्र बदलकर, (महंत राम सुन्दर दास जी एवं छाया वर्मा जी) क्यों चुनाव लड़वाया गया ? ब्लॉक एवं जिला कांग्रेस कमेटी से आए नामों पर, क्यों नहीं टिकिट बांटा गया ? दुख के साथ लिखना पड़ रहा है कि, दिल्ली के नेताओं का छत्तीसगढ़ राजनीतिक पर्यटन हब, मौज-मस्ती का केन्द्र बन गया है। एक-एक प्रकोष्ठ में 4-4 प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए. L.D.M. रूपी के तमाशा किया गया। पैसे लेकर नियुक्तियां की गईं। जिस जोगी कांग्रेस को बामुश्किल हमनें संघर्ष कर बाहर किया था, उन्हें बुला-बुलाकर उपकृत कर, राजनीतिक और शासकीय पदों से सम्मानित किया गया।