रायपुर, 08 जनवरी 2014
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने आज यहां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) रायपुर के चौथे दीक्षांत समारोह में अपने-अपने संकायो में प्रथम एवं द्वितीय स्थान अर्जित करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण एवं रजत पदक से सम्मानित किया। इस अवसर पर ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कार्पोरेशन (ओ.एन.जी.सी.) के अध्यक्ष सह मैनेजिंग डायरेक्टर तथा चेयरमेन, संस्था के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष श्री सुधीर वासुदेवा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। समारोह में बी.टेक के 656, बी. आर्किटेक्चर के 31, एम.टेक के 57, एम.सी.ए. के 38 तथा तीन विद्यार्थियों को पी.एच.डी. की उपाधि सहित कुल 785 विद्यार्थियों को उपाधियां वितरित की गई।
समारोह में राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने अपने उदबोधन में कहा कि देश के निर्माण एवं विकास में इंजीनियरिंग और इंजीनियर की महत्वपूर्ण भूमिका है। चाहे वह परमाणु अनुसंधान का क्षेत्र हो या अंतरिक्ष कार्यक्रम, औद्योगिक विकास से जुड़ा क्षेत्र या फिर अधोसंरचना विकास, रक्षा उत्पादन, मिसाइल, संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटर आदि सभी क्षेत्रों में इंजीनियरिंग का योगदान अद्भुत है। हमारे देश के इंजीनियरों मंे वह योग्यताएं एवं क्षमताएं मौजूद हैं कि जिससे वे विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से देश का नेतृत्व कर सकें। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर देश का एक प्रतिष्ठित संस्थान है तथा प्रदेश एवं देश के विकास में इसकी अहम भूमिका रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह संस्थान हमारे युवाओं के क्षमता एवं संभावनाओं को तलाशने का बेहतर अवसर प्रदान करेगा।
राज्यपाल श्री दत्त ने कहा कि भारत शासन द्वारा वर्ष 2011 में नेशनल मेनुफैक्चरिंग पॉलिसी (राष्ट्रीय विनिर्माण नीति) की घोषणा की गई है। इसका उद्देश्य एक दशक के भीतर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र (मेनुफैक्चरिंग सेक्टर) की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने तथा 10 करोड़ रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। इसी तरह इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं में आवश्यक कौशल का विकास कर उन्हें रोजगार सृजन की दृष्टि से सशक्त बनाना है। विनिर्माण क्षेत्र तथा इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को चिन्हांकित करने के दिशा में शासन की ओर से यह नीति आरंभ की गई है। यह नीति औद्योगिक विकास तथा राज्यों के पार्टनरशिप पर आधारित है। इसके माध्यम से अधोसंरचना विकास के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की पहल भी की गई है।
श्री दत्त ने युवाओं से आव्हान करते हुए कहा कि अपनी बुद्धिमता, रचनात्मकता, नवाचार एवं धैर्य का परिचय देते हुए भारत को विकसित देश बनाने के लिए आगे आएं और उनमें छिपी असीमित रचनात्मकता एवं परिकल्पनाओं को सामने लायें। उन्होंने कहा कि एक अनुशासित मस्तिष्क, वायलिन के सुरीले धुन की समान है। इसी तरह लयजीवन, अनुशासन, सकारात्मक सोच और उनकी मेहनत जीवन को सफलता दिलाती है। उन्होंने युवाओं से कहा कि जिज्ञासु बनकर प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति बनाएं। जीवन की चुनौतियों का न सिर्फ डटकर सामना करें बल्कि अपने सामने नई चुनौतियों को भी प्रस्तुत करें। वे नई ऊंचाइयों एवं मंजिलों तक पहुंचने हौसला बनाएं और इसके लिए प्रयास करें तथा नीचे गिरने से डरें नहीं लेकिन गलतियों से जरूर सबक लें।
इस अवसर पर ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कार्पोरेशन (ओ.एन.जी.सी.) के अध्यक्ष सह मैनेजिंग डायरेक्टर, संस्था के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष श्री सुधीर वासुदेवा ने कहा कि आज का यह दीक्षांत समारोह आप सभी के लिए यादगार दिन है और आप अपने जीवन की नई यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं। वैश्विक परिवर्तन ने अनिश्चितता की स्थिति तो उत्पन्न की है, जिससे कई चुनौतियां सामने आई है लेकिन यह चुनौतियां अवसर भी लेकर आई है। हमारे देश ने वैश्विक उदारीकरण अपनाते हुए संभावनाओं के द्वार विश्व के लिए खोल दिए है और अब हमें इस वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप स्वयं को तैयार करना होगा। हमारे विद्यार्थियों में ऐसे अद्भूत गुण है कि वे स्वयं की योग्यता साबित कर सकते हैं। हालांकि अब तक हमने संतोषजनक प्रगति की है लेकिन इसके बावजूद हमें मानवता के हित में देश एवं समाज के लिए कार्य करने की जरूरत है। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या जीडीपी पर दुष्प्रभाव डालती है और लोगों के जीवन की गुणवत्ता एवं स्तर में भी कमी लाती है। लेकिन यह निराशावादी तथ्य एवं कारण हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकते हमारे पास ऐसे युवा मस्तिष्क हैं जो इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। हमारी अर्थव्यवस्था पर्याप्त सशक्त है एवं किसी भी कठिन स्थिति में अपने स्थायित्व को बनाये रखने में समर्थ है। अब आप एक वैेश्विक नागरिक हैं और आपको न केवल देश बल्कि विश्व की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपना योगदान देना होगा।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के निदेशक स्नातक एवं स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। उन्होंने अपने स्वागत उदबोधन में कहा कि वर्ष 2005 में शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज का उन्नयन कर इसे एनआईटी का दर्जा प्रदान किया गया तथा वर्ष 2007 में इसे इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपार्टेन्स के रूप में मान्यता दी गई। अविभाजित मध्यप्रदेश में वर्ष 1956 में स्थापित इस संस्थान का 57 वर्षों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि इस संस्था में स्नातक स्तर के 12 तथा स्नातकोत्तर स्तर के 6 पाठ्यक्रम संचालित है। इसी तरह यहां शोध का कार्य भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि संस्था का न्यू कैम्पस 225 एकड़ में बनाए जाने हेतु ब्लू प्रिन्ट को अंतिम रूप प्रदान कर दिया गया है, जिसमें 800 छात्रों और 200 छात्राओं का हॉस्टल भी होगा। यह नया कैम्पस पुरानी धमतरी रोड में राखी-भरेंगा गांव में बनेगा। यह कैम्पस वर्तमान कैम्पस के अतिरिक्त होगा, जिससे दोनों कैम्पस के माध्यम से पांच हजार विद्यार्थियों को अध्ययन कराया जा सके।
इस अवसर पर सभी संकायों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने के लिए बी.टेक. इलेक्ट्रानिक्स एवं टेलीकॉम इंजीनियरिंग की छात्रा कु. अंकिता अग्रवाल को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इसी तरह एप्लाईड केमेस्ट्री के लिए सुश्री सोनालिका अग्रवाल एवं कविता कुमारी सतपथी को तथा कम्प्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग के लिए नरेश कुमार नगवानी को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।
दीक्षांत समारोह में संस्थान के निदेशक डॉ. सुदर्शन तिवारी ने विद्यार्थियों को उपाधि और गौरव की रक्षा करने तथा मानवता की सेवा करने की शपथ भी दिलाई। कार्यक्रम का संचालन डीन एकेडेमिक डॉ. ए. एन. रवानी ने किया। समारोह में दीक्षांत शोभा यात्रा का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं उनके पालकगण उपस्थित थे। समारोह के उपरांत विद्यार्थियों ने अपने दीक्षांत ड्रेस की टोपियां उछाल कर अपनी खुशियों का इजहार किया।