बैकुण्ठपुुर में गुब्बारा, नाचा ,डीजे के साथ वोटरो को लुभाने का प्रयास हुआ तेज

  • प्रचार तेज हुआ प्रचार – प्रसार, कोई नहीं है पीछे 
  • कांग्रेस – भाजपा की धुआंधार प्रचार – प्रसार 
  • नए-नए तरीके से मतदाताओ को लुभाने का प्रयास
  • ढबरे भी माने माँगा कांग्रेस के लिय वोट
कोरिया(बैकुन्ठपुर  से J.S.ग्रेवाल की रिपोर्ट)
बैकुन्ठपुर में कड़ाके की ठण्ड पड़ने के बावजूद चुनावी माहौल होने की वजह से लोगो में गर्मी का एहसास हो रहा है। इस वक्त हर नुक्कड़, चौक-चौराहो व पान ठेलो हर जगह चुनावी चर्चा चल रही है। कौन जीतेगा, इस वक्त किसका पलड़ा भारी चल रहा है, कौन बेहतरीन प्रचार कर रहा है वो निष्चित ही हारेगा इस तरह की तमाम मुद्दे पर रोज ही बहस हो रही है।
कांग्रेस इस वक्त केवल नाचा तक ही सीमित रह गयी है तो भाजपा ने वह तमाम हाईटेक प्रचार आरंभ कर दिए है। जो अभी केवल राजधानियो में नजर आते थे। भाजपा के प्रत्याशी शैलेश शिवहरे के प्रचार के लिए जो हाईटेक डिजीटल एल ई डी स्क्रीन मगंवाई गयी है। उसके प्रचार के तरीके ने लोगो को एक बार फिर मन छुआ है और मतदान करने के पहले सोचने पर मजबूर कर दिया है। एल ई डी स्क्रीन में शैलेश शिवहरे द्वारा कराए गए विकास कार्यो व उनके पूरे किए गए वादो को बड़े विस्तार से दिखाया जा रहा है। इसके अलावा इस स्क्रीन में शैलेश शिवहरे अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए भी दिखाई देते है। वही आसमान को छूता शैलेश शिवहरे के नाम का बैलून लोगो के लिए आर्कषण का केन्द्र बना हुआ है। इसके अलावा मोबाइल आर्केस्टा व जादू भी भाजपा के पक्ष में महौल बनाने की कोशिष में लगा हुआ है। वहीं श्रममंत्री व स्थानीय विधायक भईयालाल राजवाड़े ने भी शैलेश शिवहरे के जीत के लिय पूरी ताकत लगा दी है। वही 717f87e9-c0a3-462e-b218-02ebb22d26fdशैलेश शिवहरे के साथ सभी वार्डो का भ्रमण कर भाजपा के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे है । इस वक्त पूरी भारतीय जनता पार्टी एक जुट नजर आ रही है। मनेन्द्रगढ़ विधायक श्याम बिहारी जायसवाल, तीरथ गुप्ता, जवाहर गुप्ता ,कृष्णबिहारी जायसवाल, पकंज गुप्ता सहित अनेक दिग्गजो ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
वहीं कांग्रेस की ओर से 21 दिसंबर तक स्टार प्रचारक की भूमिका डां. चरणदास महंत निभा रहे हैं। डां. महंत कोरिया में अच्छे-खासे लोकप्रिय भी है। जिसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी अशोक जायसवाल को मिल सकता है। डां.महंत इस वक्त विभिन्न सामाजिक संगठनो के बड़े पदाधिकारियो से मिलकर उनके समाज के वोटो को कांग्रेस के पक्ष में करने की अपील कर रहे है। इसके अलावा महंत सभी वार्डो में जा-जा कर कांग्रेस के प्रत्याशियों  के पक्ष में मतदान करने की अपील भी कर रहे है। महंत की नुक्कड़ सभाओ में भी अच्छी खासी भीड़ उमड़ रही है। वैसे भी बाइक रैली में अभूतपूर्व भीड़ से अभी कांग्रेस के हौसले बुलंद है। इसके अलावा सभी वार्डो में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कराने के लिए डीजे व नाचा भी प्रचार कर रह है। वहीं अशोक जायसवाल स्वयं वार्डो में एक-एक मतदाताओ से मिलकर कांग्रेस केे लिए वोट मांग रह है। कांग्रेस की ओर से नजीर अजहर, योगेश शुक्ला, वेदांती तिवारी, प्रदीप गुप्ता व मुख्तार अहमद जैसे दिग्गजो ने एड़ी चोटी जोर लगा दी है। तो वहीं महंत के मनाने के बाद युवा नेता आशीष डबरे भी आज से कांग्रेस अध्यक्ष के लिए वोट मांगते नजर आ रहे है।
ढबरे फिर हुए कांग्रेस के  देर रात कांग्रेस के स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रहे डां. चरणदास महंत के समझाईस पर आशीष ढबरे फिर से कांग्रेस के साथ हो गए और आज वह नपा अध्यक्ष कांग्रेस प्रत्याशी अशोक जायसवाल के लिय आयोजित आमसभा से वोट भी माँगा। अब इस बात का कांग्रेस को कितना फायदा होगा यह कह पाना मुस्किल होगा। 
बिना नाखून व दांत वाला निर्वाचन आयोग निर्वाचन आयोग द्वारा नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए अधिकतम व्यय सीमा 4 लाख रूपए निर्धारित की गयी है। केवल बैकुन्ठपुर में ही नामांकन के दिन राजनीतिक दलो ने लगभग 4 लाख रूपए खर्च कर दिए होगें। इसके अलावा डीजे, नाचा, कार्यालय, भोजन, रैली, नास्ता, ईंधन, होर्डिंग- बैनर आदि है। इस बार चुनाव आयोग द्वारा किसी भी तरह की वीडियोग्राफी भी नही करायी जा रही है। अभी तक हो रहे खर्चे को देखकर साफ लग रहा है कि नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव एक दल का 50 लाख से भी ऊपर का पड़ेगा। लेकिन निर्वाचन आयोग बेबस है। वैसे भी आजकल विधायक व सासंद का चुनाव करोड़ो में पहुंच जा रहा है। आम जनता को सब दिखता है। लेकिन कागजी आंकड़ो के जाल में फंसा निर्वाचन आयोग बेबस रहता है। ध्वनि प्रदूषण के लिए शासन ने मापदंड तय कर रखे हैं पर आचार संहिता लगने के बाद भी इन नियमों की अनदेखी बैकुंठपुर व शिवपुर-चरचा नगरपालिका चुनाव में देखने को मिल रही है। कई प्रचार वाहन ऐसे भी हैं जिन पर अधिक क्षमता के लाउड स्पीकर व साउंड बाक्स यहां तक कि डीजे का इस्तेमाल किया जा रहा है, पर इस चुनावी शोरगुल में इस पर लगाम कसने की चिंता किसी को नहीं है। हालत यह है कि बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इस शोर शराबें से वे परेशान हैं।