कोरबा जिले के 117 गांव नक्से से गायब.. आजादी से अब तक ग्रामीण कर रहे है जमीन की तलाश

KORBA LAND
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कोरबा से इरफान खान की रिपोर्ट
कोरबा जिले के 117 गाँव के लोग आज भी अपने जमीन का नक्सा नहीं पा सके है जिसके कारन उन्हें ये तक पता नहीं की उनकी जमीन कौन सी है,,इतना ही नहीं गाव का नक्सा नहीं होने के कारन सरकारी जमीनों का सीमांकन भी नहीं हो पा रहा है जिससे सरकारी जमीनों की अफरातफरी की भी शिकायते आती रहती है और इन सब का कारन है गावो का सर्वेक्षण कार्य का पूरा नहीं होना जिससे आज भी ये गाव मसाहती गाव के रूप में है,,,, हलाकि अब जिला प्रशासन जल्द ही अलग अलग चरणो में गावो के सर्वे कि बात कह रहा है मगर इस काम में राजस्व अमले कि कमी एक बड़ी चुनौती है जिसके लिए मांग राज्य स्तर पर भी कि गई है  !
कोरबा जिले के सुतर्रा, मानिकपुर, बाई सेमल,छिन्द्पानी, मनोहर जैसे 117 गाव ऐसे है जंहा प्रशासन आज तक अपने सर्वेक्षण का काम नहीं कर सका है जिसके कारन ये तक नहीं पता की यहाँ कितनी जमीन है और कितनी शासकीय और कितनी निजी  है ! दरअसल कोरबा जिले में कुल 152 गाव मसहती गाव थे मगर आजादी के बाद से आज तक यहाँ महज 35 गांव का ही सर्वेक्षण किया जा  सका है मगर अब भी यहाँ 117 गांव के लोग अपने जमीन का नक्सा नहीं पा सके है,,,, प्रशासन द्वारा सन २००२ में १५२ गावो में से १८ गावो का सर्वे कराया गया था जिसके बाद ये प्रक्रिया पुरे १२ साल बंद रही और पुनः २०१२ में १७ और गावो का सर्वे कराया गया जिससे अब मसाहती गावो कि संख्या ११७ रह गई है,,,,, एक बार फिर जिला प्रशासन ने इसके सर्वे कि कवायद शुरू कि है जिसके लिए बरसात के पूर्व करीब ३० गावो के सर्वे का लक्ष्य रखा गया है !
गाँव के नक्से नहीं होने के कारन यहाँ जमीन विवाद के मामले बढे है क्योंकि ग्रामीण ये साबित नहीं कर पा रहे की आखिर उनकी जमीन कितनी है इतना ही नहीं उर्जा धानी में हाल के दिनों में सरकारी जमीन के अफरातफरी के मामले बढे है जिनमे इन मसाहती गाव की जमीने ज्यादा है जिसे निजी बता बेंचा गया हो ! इस बंदरबांट के बाद भी जिला प्रशासन इन गावो के सर्वे के कार्यो में तेजी नहीं ला पा रहा है और इसका मुख्य कारण जिले में राजस्व अमले कि कमी है इसके लिए प्रशासन ने भी राज्य सरकार से अमले कि मांग कि है ताकि सर्वे के कार्यो में तेजी लाइ जा सके !

कोरबा जिले का गठन हुए करीब 14 साल बीत गए ऐसे में अब तक इतने महत्वपूर्ण कार्य का अधुरा रहना शासन प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है,,,, ऐसे में कहा जा सकता है यहाँ मसाहती गाव की आड़ में सरकारी जमीनों में गड़बड़ी की खुली छुट दे दी गई है,,,, ऐसे में देखना होगा की आखिर कब तक यहाँ के लोग भी अपने जमीन को अपना बताने वाले नक्से को पा सकते है  !

 

रजत कुमार       कलेक्टर कोरबा

  • १३४ मसाहती गाव थे पिछले साल १७ गावो का सर्वे कराया गया है, इस बार बरसात के पूर्व ३० गावो का सर्वे का लक्ष्य रखा गया है !
  • स्टाफ कि कमी है, मांग कि गई है !