जापानी कार्य संस्कृति और सौम्यता प्रेरणादायक है : डॉ. रमन सिंह

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जापानी उद्योगपतियों और निवेशकों को छत्तीसगढ़ में कारोबार के लिए और उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित किया है। मुख्यमंत्री आज जापान के ओसाका शहर में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित निवेशकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।  उन्होंने कहा- हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए देश-विदेश के निवेशकों को ‘मेक-इन-इंडिया’ का नया और प्रेरक नारा दिया है। इसमें भागीदारी के लिए जापान के उद्योगपतियों और निवेशकों को भारत जरूर आना चाहिए और छत्तीसगढ़ में भी निवेश करना चाहिए। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान सदियों से होता रहा है। बौद्ध संस्कृति इसका एक बड़ा उदाहरण है। डॉ. सिंह ने कहा- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत और जापान के संबंधों को एक नया आयाम मिला है। टोक्यो और वाराणसी हाथ से हाथ मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। भारत में जापान को गुणवत्ता, तकनीक, नवाचार और उत्कृष्टता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। डॉ. सिंह ने कहा-श्री मोदी के नेतृत्व में भारत नवाचार, तकनीक और अधोसंरचना के क्षेत्र में तीव्र गति से तरक्की कर रहा है। मुख्यमंत्री ने जापान की कार्य संस्कृति और सौम्यता की प्रशंसा करते हुए कहा- ये काफी अदभुत और प्रेरणादायक है। इनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। जापान की सफलता हमें सदैव आकर्षित करती रही है। उन्होंने कहा- ओसाका आकर मैं बहुत आत्मीयता का अनुभव कर रहा हूं। सम्मेलन में मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत किया गया।
डॉ. सिंह ने अपने उदबोधन में इस बात पर खुशी जताई कि छत्तीसगढ़ में निवेश की संभावनाओं को लेकर जापान में ये पहला सम्मेलन हैं। उन्होंने कहा- मुझे उम्मीद है कि भविष्य में हम लोग और भी नजदीक आएंगे। डॉ. सिंह ने कहा- जिस प्रकार छत्तीसगढ़ को भारत के चावल उत्पादक राज्य के रूप में धान के कटोरे के नाम से पहचाना जाता है, ठीक उसी तरह जापान के ओसाका शहर को भी चावल के व्यापार के प्रमुख केन्द्र के रूप में जाना जाता है और इसे जापान का रसोई घर भी कहा जाता है। डॉ. सिंह ने कहा- मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि मैं उस भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, जिसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं और जिन्होंने अभी एक हफ्ते पहले ही अपने कार्यकाल के प्रथम तीन वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण किए हैं। उनके नेतृत्व के तीन वर्ष में भारत ने कई ऐसे निर्णय लिए हैे और कई ऐसे उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनसे दुनिया में हमारे देश का सम्मान बढ़ा है। हम दुनिया के पहले राष्ट्र हैं, जिसने अपनी 86 प्रतिशत मुद्राओं का विमुद्रीकरण किया है। वैश्विक मापदण्डों के अनुरूप प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत में एक देश, एक टैक्स और एक बाजार की अवधारणा को साकार करने के लिए जीएसटी की शुरूआत होेने जा रही है। मुख्यमंत्री ने जापानी निवेशकों को छत्तीसगढ़ में औद्योगिक विकास और पूंजी निवेश  की प्रबल संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताया।
डॉ. सिंह ने कहा- भारत के नये राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ वर्ष 2000 में अस्तिव में आया। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ एक युवा राज्य है। उसमें युवाओं की तरह जोश, क्षमता और अपार संभावनाएं हैं। यह युवा राज्य भारत के सबसे  तेजी से उभरते व्यापार संभावनाओं वाले प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। डॉ. सिंह ने कहा- छत्तीसगढ़ को प्राकृतिक संसाधनों का स्वर्ग भी कहा जाता है। खनिज, कुशल मानव संसाधन, उपजाऊ भूमि और पर्याप्त जल सम्पदा का छत्तीसगढ़ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। देश के इस नये राज्य ने स्टील, एल्यूमिनियम, सीमेंट और बिजली जैसे कोर सेक्टर के उद्योगों में शानदार सफलता हासिल की है। अब हमारी प्राथमिकता कृषि, वनोपज, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा तथा आटो मोबाइल जैसे नॉन कोर सेक्टर के उद्योगों को बढ़ावा देने की है। हम लोगों ने राज्य में विकास का एक बुनियादी ढांचा तैयार किया है और बड़ी तेजी से राज्य में विश्व स्तरीय अधोसंरचनाओं का विकास कर रहे हैं। डॉ. सिंह ने कहा- विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार विगत दो वर्षों से छत्तीसगढ़ की गिनती व्यापार व्यवसाय के सरलीकरण के लिए ‘इज-ऑफ-डुइंग बिजनेस’ में देश के प्रथम पांच राज्यों में हो रही है। हमने व्यापारिक अर्थव्यवस्था के सिस्टम में काफी सुधार किया है। डॉ. सिंह ने कहा- भारत के मध्यम में स्थित छत्तीसगढ़ की सीमाएं देश के सात राज्यों के सात जुड़ी हैं। इस दृष्टि से भी उद्योग तथा व्यापार व्यवसाय के लिए छत्तीसगढ़ एक आदर्श रणनीतिक स्थिति में है।
डॉ. रमन सिंह ने जापानी निवेशकों को बताया कि छत्तीसगढ़ में स्मार्ट सिटी तथा नये रेलमार्ग सहित विश्व स्तरीय अधोसंरचनाओं का तेजी से निर्माण हो रहा है। विगत 150 वर्ष में राज्य में जितना रेलमार्ग बनाया गया, उसका दोगुना रेलमार्ग अगले पांच वर्ष में बनने जा रहा है। भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के रेल नेटवर्क के लिए सुदृढ़ रेलपातों का निर्माण किया जा रहा है।