GVR कंपनी के श्रमिको कर्मचारियों ने अधिकारियों को बनाया बंधक..!

अम्बिकापुर निलय त्रिपाठी- नव निर्माण का ठेका प्राप्त कंपनी का नया कारनामा सामने आया है। आज गुरुवार की दोपहर मजदूरी भुगतान की गुहार लगा कर थक चुके जी वी आर के कर्मचारियों और मजदूरों ने जी वी आर  के दो अधिकारियों को बंधक बना लिया। घटना की जानकारी लगते ही प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में अनुविभागीय अधिकारी ने एसडीओपी को भेजकर मामले को काबू में कर लिया है।

दरअसल एन एच 43 का निर्माण पिछले 16 महीनों से बेहद अमानक स्थिति में है। पिछले 25 दिनों से नव निर्माण का कार्य बंद है। लेकिन मूल समस्या भुगतान को लेकर है। जी वी आर के कर्मचारी सहित मजदूरों, वाहन स्वामियों और किराने के सामान सहित अन्य भुगतान के मामले पेंडिंग है। मजदूरों और वाहन स्वामियों द्वारा लगातार भुगतान की मांग किए जाने के बाद भी कंपनी ने अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की है। अलबत्ता पिछले दिनों दिए गए 14 से ज्यादा चेक बाउंस हो गए हैं ।इसका खामियाजा भी कर्मचारियों और मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। कई बार प्रशासनिक अधिकारियों ने कामबंदी के बाद मध्यस्ता कर मामले को सुलझाया था। उधर सड़क निर्माण का कार्य बंद होने से आमजन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं । गुरुवार को अंततः गुहार लगाते लगाते थक चुके कर्मचारी और मजदूरों ने जी वी आर के दो उच्च अधिकारी विष्णु रेड्डी एचआर और मधुसूदन राव मैकेनिकल मैनेजर को ऑफिस के एक केबिन में बंधक बना लिया। मजदूरों ने बाहर से ताला बंद कर दिया और यह मांग रखी कि जब तक उनका भुगतान नहीं मिल जाता, दोनों अधिकारियों को बाहर निकलने नहीं दिया जाएगा। मामले की सूचना फोन पर अनुविभागीय अधिकारी पुष्पेंद्र शर्मा को दी गई थी। अनुविभागीय अधिकारी ने तत्काल संज्ञान लिया और एसडीओपी ऐश्वर्य कुमार को तत्काल मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया। ऐश्वर्यकुमार मौके पर पहुंचे और उन्होंने कर्मचारियों और मजदूरों को समझाइश देते हुए ताला खुलवाकर दोनों अधिकारियों को बंधन मुक्त किया। ऐश्वर्य कुमार ने दोनों ही पक्षों को समझाया कि भुगतान की समस्या बनी हुई है।कंपनी इस समय भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। मामला काफी बिगड़ चुका है। इसलिए दोनों ही पक्षों को बैठ कर मामले को सुलझाना पड़ेगा ,तभी किसी तरह बात बन पाएगी। उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी के साथ होने वाली बैठक का भी ब्यौरा सभी को दिया और कहा कि देर शाम सीतापुर थाने में आयोजित बैठक में कंपनी के अधिकारी समेत प्रशासनिक अधिकारी और भुगतान की समस्या से जूझ रहे कर्मचारी ,मजदूर उपस्थित रहेंगे।जो भी बातचीत के बाद रणनीति बनेगी ,उसके आधार पर कार्य किया जाएगा। गुरुवार को बंधक बनाने के दौरान 50 से ज्यादा स्टोर, लैब, सिविल और मैकेनिकल के स्टाफ मौजूद थे जिनमें इंजीनियर से लेकर ऑपरेटर ,फोरमैन ,ड्राइवर और मिस्त्री शामिल थे । मौके पर विनय तिवारी सिविल फोरमैन ,गोविंद कुमार स्टोर मैनेजर ,नागार्जुन, शैलेश सिंह,भागीरथी शेट्टी ,कृष्णा मंडल ,गोरखनाथ, अजय रावत ,राम लखन यादव ,मनोज कुमार ,हारुण पंड्या ,नरेंद्र विश्वकर्मा ,विजय ,जयप्रकाश ,चैतन्य, लक्ष्मण सिंह ,विनोद कुमार ,गोपाल कुमार ,रामेश्वर चौरसिया ,विकास कुमार ,रवि कुमार ,अशोक यादव, राजकिरण ,दीपक, विवेक दुबे ,अभिषेक ,सूरज ,रिपन, शिव शंकर ,फूलचंद्र, विकास ,भोला ,सुरेश ,चितरंजन शर्मा, जितेंद्र मोर्य और शशिकांत मोर्य उपस्थित थे ।

कर्मचारियों ने सुनाई अपनी समस्या

जी वी आर कंपनी के उच्च अधिकारियों को बंधक बनाए जाने के दौरान कुछ कर्मचारियों ने एसडीओपी ऐश्वर्य कुमार के सामने अपनी व्यथा काफी मायूस होकर बताई। उन्होंने बताया कि सभी बीटेक और एमटेक पास योग्य युवा हैं। काम की तलाश में दूसरे प्रांतों से छत्तीसगढ़ के सरगुजा आए थे। लेकिन जी वी आर कंपनी ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है। ना ही उन्हें 7 से 8 महीनों का भुगतान दिया गया है और ना ही दैनिक जरूरतों के लिए खर्च मिल पा रहा है ।कुछ कर्मचारियों ने बताया कि उनका अपॉइंटमेंट लेटर भी अभी तक कंपनी ने जप्त कर रखा है ।कर्मचारियों ने साफ कहा कि उनके सामने अब भीख मांगने की समस्या आ गई है । 7 से 8 महीने काम करने के बाद भी उन्हें पैसे मांगने के लिए हाथ पसारना पड़ रहा है । उधर दूर स्थित दूसरे प्रांतों में उनके घर में भी आर्थिक समस्या बनी हुई है । एसडीओपी ऐश्वर्य कुमार ने सारी बातों को सुनकर सभी  मजदूरों और कर्मचारियों को ढांढस बंधाया।

ऐश्वर्य कुमार एसडीओपी पुलिस सीतापुर अनुभाग

एसडीओपी ऐश्वर्य कुमार ने बताया की मजदूरी भुगतान की समस्या बनी हुई है ।कंपनी को अन्य भुगतान भी करना है । करोड़ों के भुगतान शेष है। जब तक कंपनी न्यूनतम कार्य कर के  नहीं दिखा देती तब तक भुगतान की समस्या बनी रहेगी ।ऐसी परिस्थिति में दोनों ही पक्षों को बैठकर किसी परिणाम पर पहुंचना पड़ेगा ।तभी कोई सुखद समाचार मिलने की उम्मीद है ।इस तरह से बंधक बनाए जाना उचित नहीं है ।यह गैर कानूनी कार्य है। बाउंस चेक के लिए चेक अधिनियम के तहत चाहे तो मजदूर कंपनी के ऊपर न्यायालीन कारवाई कर सकते हैं

पुष्पेंद्र शर्मा अनुविभागीय अधिकारी सीतापुर

इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी ने कहा की दोनों ही पक्षों की मध्यस्ता कर मामले को सुलझाने की कोशिश की जाएगी ।सड़क निर्माण का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाना आवश्यक है। आमजन के हितार्थ प्रशासन अवश्य किसी परिणाम पर पहुंचेगा ।