मीठी यादें लेकर छत्तीसगढ़ से रवाना हुए..देश-विदेश के जनजातीय कलाकार.. जम्मू कश्मीर के कलाकारों ने कहा ‘जय जोहार’

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने आए देश के विभिन्न राज्यों और छह देशों के जनजातीय कलाकारों की सभी टीमे अपने निवास स्थान को रवाना हो चुकी हैं. अरूणाचल प्रदेश का दल आज रात्रि 10 बजे अपने गंतव्य के लिए रवाना हो जाएंगे. कलाकारों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति इस भव्य आयोजन के लिए आभार प्रकट किया है.

देश के विभिन्न राज्यों और छह देशों से आए कलाकार यहां से मीठी यादें लेकर गए हैं. प्रांतों और देश के कलाकारों ने प्रस्थान के समय कहा कि उन्हें छत्तीसगढ़ में जो सम्मान और स्नेह मिला है उसे वे भूला नहीं पाएंगे. यहां आकर उन्हें बहुत कुछ नया सीखने को मिला. यहां की मेहमानवाजी देखने को मिला. यहां का भोजन बहुत स्वादिष्ट था. कलाकारों ने महोत्सव के प्रतियोगिता में अपने प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. जम्मू कश्मीर से आए जनजातीय कलाकारों ने रेल्वे स्टेशन में प्रस्थान करने के समय कहा कि छत्तीसगढ़ में जो सम्मान और प्यार उन्हें मिला है उसके सामने प्रतियोगिता का पुरस्कार कोई मायने नहीं रखता है. महोत्सव में दल के साथ आए जम्मू-कश्मीर के बकरनलाल सलाहकार बोर्ड के अल्ताफ हुसैन ने कहा कि वे अपने राज्य के कलाकारों के साथ देश के अधिकांश हिस्सों का दौरा किया है और कई कार्यक्रम में भाग लिया है, लेकिन रायपुर के राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की तरह व्यवस्था और सुविधाएं और मान-सम्मान कहीं देखने को नहीं मिली. श्री हुसैन ने कहा कि महोत्सव में उत्कृष्ट प्रबंधन और सफलतापूर्वक आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस प्रशासन को सलाम करता हूं. श्री हुसैन छत्तीसगढ़ के अनुभव को अपने राज्य सरकार के साथ साझा करेंगे. जम्मू-कश्मीर के कलाकारों ने जाते-जाते ‘जय जोहार’ बोलकर प्रस्थान किए.

उत्तराखण्ड से आए कलाकारों ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों और छह देशों की कला और संस्कृति को देखने, सुनने और समझने का अवसर मिला है. यहां आकर नया अनुभव प्राप्त हुआ. कलाकारों ने छत्तीसगढ़ आने का मौका यहां ने सरकार ने दिया है इसके लिए धन्यवाद दिया. कर्नाटक के कलाकारों ने कहा कि पहले बार रायपुर आए हैं. यहां बहुत अच्छा लगा. भोजन लाजवाब था. रायपुर में रहकर उनके घर की सुध नहीं आयी. यहां के भोजन का स्वाद बहुत अच्छा था, उन्हें यहां कोई परेशानी नहीं हुई. अपने राज्य में जाकर रायपुर के संस्मरण लोगों को सुनाएंगे.

त्रिपुरा के कलाकारों ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आमंत्रित करने और उन्हें उनकी संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत करने का अवसर दिया उसके उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है.