20 लाख का स्टाप डेम 20 दिन में बहा : वन विभाग नें कहा कुछ हुआ ही नही…….

  • शिकायत के बावजूद लाखों के भ्रष्टाचार की जांच सिमटी
  • शिकायत कर्ताओं ने जांच प्रकिया में लीपा पोती का लगाया आरोप
  • मामला गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बने एनीकट का

 

stop deam 5कोरिया (सोनहत से राजन पाण्डेय की रिपोर्ट)

विकसखंड सोनहत के कछाड़ी क्षेत्र में गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान विभाग द्वारा लगभग 20 लाख रूपय की लागत से बनाए गए एनीकट मामले में कई शिकायतों के बावजूद जांच के संबंध में विभाग की चुप्पी समझ से परे होती जा रही है ऐसा लग रहा है जैसे कही कुछ कुछ हुआ ही नही। वहीं विभाग की चुप्पी  से शीर्ष में बैठे अधिकारीयों की भी भूमिका सवालिया होती जा रही है। और आम जनता समेत शिकायत कर्ताओं का प्रशासन से भरोषा उठता जा रहा है। उल्लेखनीय है की गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान विभाग द्वारा सोनहत विकासखंड के कछाड़ी क्षेत्र में 20 लाख की लागत से एनीकट निर्माण कराया जा रहा था जिसके बनते समय आम जनता द्वारा विभाग को कई बार घटिया निर्माण की शिकायत से अवगत कराया गया लेकिन विभाग ने सभी शिकायतों को दरकिनार किया जिसका नतीजा यह हुआ की निर्माण के महज 15 दिनों के बाद हुई पहली बारिश में एनीकट की एक दिवार धरासायी हो गई।  एनीकट के धरासायी होने के बाद कई राजनैतिक दलों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन को पत्र लिख उक्त निर्माण की जांच एवं कार्यवाही के संबंध में ज्ञापन सौपा लेकिन विभाग द्वारा जांच नही कराई गई इसी दौरान क्षेत्र के ही पुष्पेन्द्र राजवाड़े ने लोक सूराज अभियान में भी उक्त मामले की शिकायत करते हुए जांच की मांग की लेकिन विभाग द्वारा शिकायतकर्ताओं को बिना बुलाए जांच प्रकिया कागजों में पूर्ण कर ली । और शिकायतकर्ता को एक पत्र भेज कर शिकायत में उल्लेखित आरोपों को निराधार बता दिया।

पूरी जांच प्रकृया सवाल के दायरे में
उल्लेखनीय है की अप्रैल 2015 में जब उक्त स्टफ डेम निर्माण किया जा रहा था तो उसमें कई स्थानों पर बिना नीव खोदे ही राड बिछाने का कार्य कर दिया गया था वही निर्माण कार्य में भारी मात्रा में जंगल की गिटटी एवं बोल्डर कत्तल का उपयोग किया गया साथ ही बहुत निम्न स्तर के निर्माण सामग्री का उपयोग कर निर्माण कार्य को पुर्ण किया गया । वर्तमान समय में भी स्टाफ डेम को देखने पर उसमें चीप गिटटी stop deam 6के स्थान पर डाली गई जंगल की गिटटी एवं भुरभुरे बोल्डर स्पष्ट दिखाई दे रहे है।  पूरे निर्माण को देख कर ऐसा लग रहा है जैसे बहुत कम मात्रा में सीमेंट का उपयोग किया गया हो शायद यही कारण है की नव निर्मित स्टाॅफ डेम पहली बारिश का पानी भी नही रोक पाया और तीन दिन की बरसात में धरासयी हो गया। भले ही विभाग कार्य को सही तरीके से कराने का दम भर रहा है लेकिन कार्य स्थल के हालात कार्य की अनियमितता को स्पष्ट उजागर कर रहे है स्टाफ डेम की दिवारों में जंगल की गिटटी एवं 40 एम एम से बड़े बड़े कत्तल सपष्ट रूप से देखे जा सकते है इसके अतिरिक्त स्टाफ डेम निर्माण के दौरान कार्य पर लगे मजदूरों ने भी स्वीकार किया था की निर्माण कार्य में जंगल की गिटटी का उपयोग किया है लेकिन जांच के दौरान विभागीय अधिकारीयों को यह तथ्य दिखाई क्यूं नही दिया यह बड़ा सवाल है।

 

नही होते इंजिनीयर
वन विभाग एवं पार्क के अंर्तगत कराए जाने वाले कार्यों में कोई तकनीकी विशेषज्ञ नही होता है मिली जानकारी अनुसार विभाग के ही कुछ कर्मचारी चंद माह का प्रशिक्षण प्राप्त कर लाखों के निर्माण कार्य कराया करते है शायद यह भी एक सवाल है की बिना किसी इंजीनियर की देख रेख इतना बड़ा निर्माण कार्य कैसे करा लिया जाता है और शायद यही एक वजह भी है की बिना तकनीकी विशेषज्ञ के कराए गए कार्य टिक नही पाते है। यदि पिछले सत्र के कार्यों में नजर दौड़ाई जाए तो चंदहा गिधेर एनीकट जो की लगभग 28 लाख की लागत से बनाया गया था पिछले वर्ष पहली बारिश में ही टूट गया था।

 

stop deam 4उधैनी में भी यही हाल
राष्ट्रीय उद्यान विभाग द्वारा सोनहत विकासखंड के वनांचल ग्राम उधैनी में भी कुछ इसी तरह का स्टाफ डेम निर्माण किया जा रहा है जिसमें निर्माण की गुणवत्ता को लेकर अभी से विरोध शुरू हो गया है लेकिन विभाग के कान में जूं तक नही रेंग रहा है। इस नए स्टाफ डेम में भी जंगल की गिटटी एवं कत्तलों का बेतहाशा तौर पर उपयोग जारी है ऐसे में यह स्टाफ डेम कितना गुणवत्ता युक्त होगा यह एक बड़ा सवाल है लेकिन विभाग के अधिकारीयों को कार्य की गुणवत्ता से कोई सरोकार नही है।

 

इनका कहना है -:

आर डी पाण्डेय रिटायर रेंजर वन विभाग के अधिकारीयों की मिली भगत से स्टाफ डेम निर्माण में भारी भ्रष्टाचार कर शासन की राशि का बंदरबाट किया गया है । कई बार जांच की मांग के बावजूद विभाग द्वारा जांच नही किये जाने से विभागीय अधिकारीयों की भूमिका भी सवालिया हो गई है।

पुष्पेन्द्र राजवाड़े, निवासी सोनहत राष्ट्रीय उद्यान में विभाग के अधिकारी घटिया निर्माण कार्य कराकर अपनी जेब गरम करने में लगे हुए है । जांच के संबंध में विभाग के दावे पूरी तरीके से खोखले है । सिर्फ एनीकट ही नही राष्ट्रीय उद्यान में पुर्व में भी कराए गए किसी भी निर्माण कार्य की जांच कराई जावे तो लाखों रूपय की अनियमितताएं उजागर हो सकती है।

विरेन्द्र साहू सोनहत, लवप्रताप सिंह राष्ट्रीय उद्यान विभाग में जितने भी निर्माण कार्य संबंधी शिकायत की गई सभी ठंडे बस्ते में डाल दिये गए विभाग की जांच प्रकृया सवालिया होगई है अब तो उच्च स्तरीय जांच के लिए न्यायलय की ही शरण लेनी पड़ेगी ।