क्या आज वही किसान टमाटर बेंच रहे है जो कल फेंक रहे थे ?

अम्बिकापुर पहली बारिश के बाद सब्जियो के आसामान छूते दाम के बीच टमाटर ने सबको लाल कर दिया है, टमाटर के भाव से किसान तो कम लाल होंगे लेकिन सब्जी माफिया ज्यादा लाल हो रहे है,, दरअसल ग्रामीण क्षेत्र के थोक मंडी मे किसान तो टमाटर को 20 से 40 रुपए प्रतिकिलो की दर से बेंच रहा है, लेकिन वहां के सब्जी व्यापारी शहर मे आकर जब शहर के सब्जी माफियाओ का टमाटर बेंच रहे है तो फिर वो सब्जी माफिया उसका दाम 70 से 80 रुपए किलो तक बढा कर बेंच रहे है।

गौरतलब है कि कुछ महीने पहले सरगुजा संभाग के सिलफिली और लुण्ड्रा क्षेत्र के किसानो ने हजारो क्विंटल टमाटर फेंक कर टमाटर के शून्य हो चुके दाम का विरोध किया था, उस दौरान कही कही तो किसानो ने चक्काजाम, तो कही जमकर हल्ला बोला था। लेकिन उस दौर मे किसानो के प्रदर्शन की वजह सब्जी माफिया थे , तो आज बढे हुए दाम की वजह भी वही सब्जी बिचौलिया है।

दरअसल ऐसा इसलिए क्योकि जब किसानो का टमाटार 20 रुपए ट्रे मे कोई खरीदने को तैयार नही था , उस वक्त उनकी सब्जी हमेशा खरीदकर मंहगे दामो मे बेंचने वाले बिचौलिया भी मार्केट से गायब हो गए थे। लेकिन आज एक बार फिर से सक्रिय सब्जी माफिया किसानो से 20 से 40 रुपए मे टमाटर खरीदकर उसे इतने मंहगे दर में बेंच रहे है , कि आज की तारिख मे खुदरा बाजार मे टमाटर 80 से 100 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है ।

बहरहाल सब्जी के बढते दामो के बीच, अगर समय रहते निगम और जिला प्रशासन ने सब्जी माफियाओ की मनमानी और दामो पर नियंत्रण करने का ठोस कदम नही उठाया तो फिर माफिया लोगो की जेब मे ऐसे ही डांका डालते रहेंगे और किसान से ज्यादा लाभ सब्जी माफिया उठाते रहेंगे।

दूध से जले किसान छाछ भी फूंक कर पी रहे 

असल में यह कहावत यहाँ इस लिए चरितार्थ हो रही है क्योकी पिछले सीजन में टमाटर की अधिक पैदावार गिरे हुए रेट के कारण बड़ी तादात में टमाटर की खेती करने वाले किसानो का इससे मोह भंग हो गया और उन्होंने टमाटर की खेती नहीं की, वही छोटे किसान जो कम मात्रा में टमाटर लगाए है उन्हें की टमाटर को शब्जी कोचिये 20 से 40 रुपये खरीद रहे है और शहर के बाजारों में वही टमाटर 80 से 100 रुपये किलो बेचा जा रहा है. लिहाजा टमाटर के बढे हुए दामों के पीछे एक वजह यह भी मानी जा रही है..