EE राम के विरुद्ध FIR मामला.. हटाने की मांग के बाद, अब जातिगत समीकरण के आधार पर दांव पेंच.. आखिर ईशारा किसका.?

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..जिले के सिंचाई विभाग में पदस्थ कार्यपालन अभियंता यूएस राम के विरुद्ध हुए..विभागीय जांच और उसके बाद एफआईआर व उन्हें हटाने की मांग ने तूल पकड़ लिया है..कार्यपालन अभियंता के इशारे पर आदिवासी समाज अब उनके बचाव में है..तथा उन्हें एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी का दर्जा दे उनके विरुद्ध जारी जांच पर पर्दा डालने की मांग कर रहे है.

दरअसल बलरामपुर जिले के सिंचाई विभाग उप संभाग 2 में बतौर कार्यपालन अभियंता के रूप में पदस्थ यूएस राम के विरुद्ध शासकीय राशि के गबन के मामले में विभागीय जांच की गई थी..और वर्ष 2018 के गबन के इस मामले में जांच के दौरान जांच अधिकारियों ने लगभग ने 45 लाख रुपये अलग -अलग जलाशयों के मरम्मत व निर्माण के नाम पर आहरण किया जाना प्रमाणित किया था..इसके साथ ही जांच टीम ने अपने निष्कर्ष में कार्यपालन अभियंता यूएस राम,विभाग के सम्भागीय लेखपाल केके सुमन,कम्प्यूटर ऑपरेटर सुरेंद्र सिंह समेत दो ठेकेदारों को दोषी करार दिया था..

एफआईआर तो हो गई..पर विभागीय कार्यवाही शून्य?.

इस मामले की लिखित शिकायत सिंचाई विभाग के ही उपसंभाग क्रमांक 4 के एसडीओ ने रामानुजगंज थाने में की थी..जिसके बाद पुलिस ने सिंचाई विभाग के जांच टीम के आधार पर कार्यपालन अभियंता यूएस राम,सम्भागीय लेखपाल केके सुमन,कम्प्यूटर ऑपरेटर सुरेंद्र सिंह समेत 2 ठेकेदारों पर मामला दर्ज किया था..लेकिन कार्यपालन अभियंता को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई..

बेबस किसान जल्द दिखेंगे सड़को पर..

वही इस मामले के सामने आने के बाद से ही जिले के किसानों द्वारा राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम के प्रतिनिधि धीरज सिंहदेव के नेतृत्व में शासन व प्रशासन स्तर के अधिकारियों को कार्यपालन अभियंता यूएस राम को हटाने की मांग को लेकर कई बार ज्ञापन सौपा..और हाल ही के दिनों में किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर यह अल्टीमेटम दिया है.. की कार्यपालन अभियंता पर कार्यवाही नही होने पर वे बेबस होकर उग्र आंदोलन करेंगे..

ईई ने खेला आदिवासी कार्ड..

जिसके बाद से इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है..और कार्यपालन अभियंता को निर्दोष करार देते हुए..अब इस मामले में आदिवासी समाज कूद पड़ा है..सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष बसन्त कुजूर ने भी एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को सौंपा है..जो अब इस मामले में आग में घी डालने का काम कर रही है..

बरहाल मामला शासकीय राशि के गबन का है.. और इस मामले में एफआईआर भी दर्ज है..और खुद विभागीय जांच में यह प्रमाणित है..की कौन कितने पानी मे है..लेकिन इस मामले को जातिगत समीकरण से देखकर भोले भाले आदिवासियों को उकसाने से भला किसका फायदा होगा यह सोचने वाली बात है..