पारसनाथ सिंह | अम्बिकापुर
अम्बिकापुर में अपनी ही सरकार के मंत्री के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करके सुर्खियों मे आए रामानुजगंज विधायक बृहस्पति सिंह विधानसभा मे उस टिप्पणी पर खेद व्यक्त कर खुद राजनैतिक पटखनी खा चुके हैं और रायपुर में मुंह का खाने के बाद वो आज सडक मार्ग से अम्बिकापुर पहुंचकर अपने क्षेत्र के लिए रवाना हो गए, लेकिन अम्बिकापुर मे सर्किट हाउस में एक बार फिर उन्होंने आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए आदिवासी समाज के लोगो को अंगूठा छाप कह दिया और समाचार के सिलसिले मे सर्किट हाउस पहुंचे।
पत्रकारों को उन्होंने दिमाग का इलाज कराने की नसीहत तक दे डाली। दरअसल विवादित विधायक से पत्रकार आन रिकार्ड कुछ सवाल कर रहे थे। इसी बीच जब एक पत्रकार ने उनसे ये पूछा कि जब आपने अपने बयान पर स्वास्थ्य मंत्री से खेद प्रकट कर चुके हैं, तो फिर अम्बिकापुर के कोतवाली थाने मे दर्ज एफआईआर भी वापस ले सकते हैं। इस सवाल को सुनते ही बृहस्पति सिंह अपने व्यवहार के मुताबिक पत्रकारों पर आग बबूला हो गए और पत्रकारों को आपत्तिजनक शब्द कह डाले। सुनिए खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे को चरितार्थ करता ये बयान
देखिए वीडियो-
छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज #MLA बृहस्पत सिंह का बयान! सुनिए@gyanendrat1 @INCIndia @INCChhattisgarh @BJP4CGState pic.twitter.com/3JuamDfn8U
— FataFat News (@fatafatnewsdcom) August 3, 2021
“ये सरासर गलत है, वो जिस सोंच और जिस प्रवृत्ति का आदमी है वैसा बयान दे रहा है। पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। वो हर उचित और अनुचित चीज के लिए जनता के सामने का आवाज है। उसको यदि इस तरह से बात करता है तो जनता उसे जानती है, की वो किस नेचर का आदमी है। किस भाषा का प्रयोग करता है। विधानसभा में क्षमा याचना किया, तो वो होश में रहता नहीं बेहोश रहता है। उनकी बातों का कोई भरोसा नहीं किया जा सकता। वो कितना पढा लिखा है ये तो नहीं पता। खुद अंगूठा छाप है और आदिवासियों को अंगूठा छाप कहके पूरे समाज का अपमान कर रहा है।”
• प्रबोध मिंज, पूर्व महापौर, नगर निगम अम्बिकापुर
“इससे प्रतीत होता है उनका मानसिक दिवालियापन। बृहस्पत सिंह को पूरी तरीके से इलाज की जरूरत है। मेरी सलाह ये है कि वे विपासना करें। इससे उनको शांति मिलेगी। वो अशांत दिमाग के चलते ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं।”
• दानिश रफ़ीक, संभागीय अध्यक्ष, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़
“विधायक बृहस्पत सिंह मानसिक रूप से दिवालिया हो गए हैं। उन्हें ये पता ही नहीं चलता कि वे क्या, कब और क्यों बोल रहे हैं। जोकि एक विधायक जैसे गरिमामय पद धारी के लिए शोभा नहीं देता। इससे पूर्व मंत्री जी के संबंध में अनर्गल, निराधार आरोप लगाए और बिना सोचे समझे इसको अनावश्यक तूल देकर के कांग्रेस की छवि खराब किये। इसके बाद विधानसभा में पलट गए और अब पत्रकारों को ऐसा बोल रहे है। इसे मानसिक दिवालियापन के अलावा क्या कहा जा सकता है।”
• द्वितेंद्र मिश्रा, महासचिव, पीसीसी छत्तीसगढ़