एक कहानी ऐसी भी..जो जीवित करती है सरगुजा की संस्कृति को..विशेषता औऱ इतिहास के बीच..करमा का आयोजन वो भी बेहद जुदा..पढ़े एक खास खबर!..

दतिमा के लाठीडाड़ मैदान में हुआ करमा का वृहद आयोजन..

• सरगुजा संभाग का सबसे बड़ा मैदान अब जाना जाता है जम्बूरी ग्राउंड के नाम से..

सूरजपुर..(दतिमा मोड़/आयुष जायसवाल).. करमा का पर्व हमारे छतीसगढ़ में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है और यह छतीसगढ़ का मुख्य त्यौहार है.. या कहे की पूर्वजो ने करमा के पर्व को अनादि काल से ही मनाकर आज भी पुरानी परम्परा को विधिवत जीवित रखा है…चुकी पूरे छत्तीसगढ़ में इस त्यौहार का अलग अलग ढंग से मनाया जाता है और यह पूजा भाई-बहन और परिवार की खुशियां के लिए मनाई जाती है ..बता दे कि सरगुजा पूर्ण रूप से एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है …व आदिवासी सहित अब अन्य जाती के लोग भी इस पूजा को पूरे धूम धाम से मनाते है ..सरगुजा में करमा त्यौहार करम देवता की पूजा कर मनाई जाती है जिसमें त्यौहार के दिन घर के आंगन में डाढ ( पेड़ ) गाड़ा जाता है व इसकी विधिवत पूजा की जाती है …व एक दिन बाद पारण किया जाता है

दतिमा के लाठीडांड करमा का इतिहास है रोचक

इसी सारांश में हम बात कर रहे है एक ऐसी जगह की जहा करमा का त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है ज्ञात हो कि दोपहर से ही भारी बारिश के बीच दतिमा लाठीडांड में भीड़ जुटना शुरू हो गया था सूरजपुर जिले के ग्राम दतिमा के लाठीडाड़ मैदान.. यहा अंग्रेज जमाने से ही करमा का त्यौहार मनाया जा रहा है जिसमे अनन्त चतुर्दशी के दिन हजारों लोग चारो ओर व अनेको जगह से पहुच कर करमा खेलते है व आनंद लेते है.. जिसमे सभी वर्ग के ग्रामीण लोग शामिल होते है.. साथ ही साथ में पुरुष और महिलाएं मादर के थाप के साथ करमा खेलते है और एक मेला जैसे मौहोल निर्मित हो जाता है और देखते ही देखते 10 हजार तक भीड़ हो गयी ..ज्ञात हो कि यह करमा सूरजपुर जिले के सबसे बड़े करमा स्थल के रूप में जाना जाता है..

क्या है मान्यता समझिए…

ग्राम दतिमा लाठीडाड़ मैदान में होने वाले करमा का विशेष महत्व है.. जानकारी के अनुसार ग्राम दतिमा के सनमान लोहार जो की गॉव में ही करमा देवता का पूजा करता था व पूजा के एक दिन बाद.. अनन्त चतुर्दशी के दिन ही पारण किया जाता था जिसमे घर में विभिन्न प्रकार के भोग बनाकर व मादर के थाप में नाच गाकर करमा खेला जाता था.. छोटे से जगह में गॉव में सालो पहले इसमें अधिक लोग आने लगे फिर धीरे धीरे इसका आयोजन दतिमा व लक्ष्मणपुर के बीच में पड़ने वाले लाठीडाड़ मैदान में किया जाने लगा.. चुकी सनमान लोहार बैगा का भी काम करता था तो गॉव व लोगो के सुख समृद्धि के लिए करम देवता की पूजा की जाने लगी तभी से लाठीडाड़ का करमा प्रसिद्ध हो चूका है…

ना ही कोई सुचना..ना कोई मुनादी फिर भी आते है हजारो लोग…

ज्ञात हो की गुरुवार अनन्त चतुर्दशी के दिन यहा करमा खेला गया. जिसमे हजारो की संख्या में लोग पहुचे और वो भी अनेको जगह से.. कहा जाता है कि आजादी के समय से ही करमा का आयोजन होने लगा था.. धीरे-धीरे सभी जगह से लोग यहा आने लगे थे.. वक्त बीतता गया और बिना सुचना व मुनादी के ही लोग अनन्त चतुर्दशी के दिन अपने आप पहुचने लगे.. करमा के दिन लोगो का भीड़ दोपहर के बाद उमडने लगता है.. जिसमे बड़े बूढ़े, महिलाए, बच्चे सभी वर्ग के लोग शामिल होते है.. और बिना बुलाये ऐसा भीड़ देखकर सब कुछ थम जाता है चारो ओर मादर के थाप के साथ गूँज उठता है मादर की थाप की आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है.. और शाम ढलते ही एकाएक भीड़ खत्म भी जाती है.. साथ ही इतनी भीड़ को संभालने बड़ी संख्या में करंजी चौकी प्रभारी संजय गोस्वामी, प्रधान आरक्षक रघुवंश सिंह, राकेश यादव, विकाश सिंह, आरक्षक भोला राजवाड़े , सतीश उपाध्याय, धनेश्वर सिंह सहित अन्य जगह से आए दर्जनों पुलिसकर्मियो द्वारा शांतिपूर्ण आयोजन कराया गया…

दतिमा के इस मैदान में हो चुके है इसके अलावा भी अन्य भव्य आयोजन ,जाना जाता है जम्बूरी ग्राउंड के नाम से…

विदित हो की करमा के इस आयोजन के अलावा दतिमा के लाठीडाड़ मैदान में दो भव्य व व्यपाक कार्यक्रम हो चुके है.. जिसमे वर्ष 2013 फरवरी माह में विख्यात गुरु प्रेम रावत महाराज जी का कार्यक्रम हुआ था जिसमे लगभग 2-3 लाख की भीड़ हुई थी जिसमे पुरे देश भर से उनके अनुवायी आये थे.. ऐसा कहा जाता है कि इतना भीड़ आज तक सरगुजा सम्भाग में नही हुआ था.. साथ ही वर्ष 2016 दिसम्बर माह में राज्य स्तरीय जम्बूरी का आयोजन किया गया था.. जिसमे पुरे छतीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यो से भी स्काउट – गाइड के छात्रों का मेला लगा था जो 5 दिनों तक चला था जिसमे मुख्यमंत्री के अलावा अन्य विशेष अतिथि का आगमन हुआ था.. साथ ही 5 दिन चले इस आयोजन में विभिन्न जगह से लाखों लोग आकर इसके सहभागी बने थे.. जानकारी के अनुसार दतिमा का यह लाठीडाड़ का मैदान सरगुजा का सबसे बड़ा खेल मैदान है जिसमे लगभग 200 एकड़ तक निजी एवं शासकीय भूमि का एक्चक खली मैदान है..वही दतिमा क्षेत्र भटगांव व प्रेमनगर विधानसभा का सीमा क्षेत्र है… बरहाल इतना अच्छा स्पॉट होने के बावजूद भी दतिमा प्रशासन की उपेक्षाओं का ढंश झेल रहा है.. चुकी यह क्षेत्र पूर्ण रूप से विकसित होने की ओर है बावजूद इसके शासन द्वारा इस क्षेत्र की प्रशाशनिक उपेक्षा की जाती है.. चारो ओर से मुख्य जंक्शन होने के बाद भी यहा हॉस्पिटल, बैंक, एटीएम जैसे अन्य सुविधा नही है…