अब तक 25 लाख टन मछलियों की पैदावार

रायपुर

मछलियों की पैदावार बढ़ाने में छत्तीसगढ़ को लगातार अच्छी सफलता मिल रही है। राज्य में चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान दिसम्बर 2015 तक दो लाख 51 हजार 315 मीटरिक टन मछलियों का उत्पादन हो चुका है। वित्तीय वर्ष 2004-05 में एक लाख 20 हजार मीटरिक टन मछलियों की पैदावार हुई थी। विगत 12 वर्ष में 25 लाख मीटरिक टन से अधिक मछिलियों की पैदावार हो चुकी है। छत्तीसगढ़ अंतर्देशीय मछली उत्पादन के क्षेत्र में देश में पांचवे बड़े राज्य के रूप में उभरकर सामने आया है। छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन और आपूर्ति के क्षेत्र में भी आत्म-निर्भर हो गया है। राज्य के मछली पालक किसानों की जरूरतों के अनुरूप मछली बीजों की पैदावार राज्य में ही हो रही है। वर्ष 2000-2001 में जहां 25 करोड़ मछली बीज का उत्पादन हुआ था। वहीं वर्ष 2013-14 में 122 करोड़, वर्ष 2014-15 में 133 करोड़ तथा वर्ष 2015-16 में 135 करोड़ मछली बीज का उत्पादन किया गया। मछली पालन के लिए उपलब्ध जलक्षेत्र 1.635 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र में से 94 प्रतिशत जल क्षेत्र को विकसित कर दो लाख से अधिक मछुआरों को स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।

राज्य सरकार ने मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए उठाए अनेक कदम

राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। हितग्राहियों को स्वयं की जमीन में तालाब निर्माण कर मछली पालन के लिए अतिरिक्त जलक्षेत्र विकसित किया जा रहा है। मछली पालकों को तालाबों एवं जलाशयों में फिंगरलिंग साईज (75 मिलीमीटर से ऊपर) की मछली बीज इकट्ठा करने के लिए बीज की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही हैं। तालाबों एवं जलाशयों के समीप ही मौसमी तालाबों में मछली बीज संवर्धन का कार्य किया जा रहा हैं। मछली पालक किसानों को सहकारी बैंकों के माध्यम से एक लाख रूपए तक के ऋण एक प्रतिशत ब्याज दर पर एवं तीन लाख तक के ऋण तीन प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के फलस्वरूप ग्रामीण तालाबों से 2975 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, बड़े जलाशयों से 19 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, मध्यम जलाशयों से 98 किलोग्राम एवं छोटे जलाशयों से 193 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक मछली उत्पादन किया जा रहा है। राज्य के प्रगतिशील मछली पालक किसानों द्वारा 8 टन से 12 टन प्रति हेक्टेयर प्रमुख सफर मछली का एवं 70 टन तक प्रति हेक्टेयर पंगेसियस प्रजाति की मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है।

विलुप्तप्राय मछली प्रजातियों का संरक्षण

राज्य में विलुप्तप्राय मांगुर, चिताला, पाबदा आदि मछली प्रजातियों के संरक्षण का कार्य किया गया है। मांगुर प्रजाति के मछली बीज के उत्पादन के लिए रायपुर, कोरबा, कबीरधाम, कोरिया, बिलासपुर, कोण्डागांव एवं दुर्ग जिले में मांगुर हैचरी स्थापित कर मछली बीज उत्पादन किया जा रहा है। शासकीय क्षेत्र में देश की पहली पंगेसियस मछली बीज हैचरी की स्थापना धमतरी जिले के ग्राम सांकरा में करके वर्ष 2014-15 में प्रजनन एवं संवर्धन प्रारंभ किया गया है। राज्य में पहली बार मछली बीज प्रक्षेत्र देमार जिला धमतरी में विन्नेमाई प्रजाति के समुद्री झींगा का सफलता पूर्वक पालन कर 25 मीटरिक टन झींगा का उत्पादन लिया गया है ।

जलाशयों में केज कल्चर

देश में जलाशयों में केज कल्चर द्वारा मछली पालन के क्षेत्र में प्रदेश अग्रणी है। जलाशयों में मछली उत्पादन क्षमता और अधिक बढ़े इसके लिए कबीरधाम जिले के सरोदासागर  एवं क्षीरपानी जलाशय, बिलासपुर जिले के घोंघा जलाशय, कोरिया जिले के झुमका  एवं गरियाबंद जिले के तौरेंगा जलाशय में केज स्थापित कर मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। प्रत्येक केज से साढ़े तीन से 4 मीटरिक टन मछली का उत्पादन किया जा रहा है । अब तक केज से 475 मीटरिक टन मछली का उत्पादन किया जा चुका हैं। छत्तीसगढ़ के केज कल्चर से हो रहे मछली पालन को देखने अन्य राज्यों के मछली पालक किसान और अधिकारी आए थे। इनमें उड़ीसा, महाराष्ट्र,झारखंड, बिहार, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश के प्रगतिशील मछली पालक किसान और शामिल हैं।

एनीकटों और दहों में मछली पालन

राज्य में छह हजार हेक्टेयर जलक्षेत्र के 143 एनीकट्स में मछली पालन के समुचित विकास के लिए 100 प्रतिशत आर्थिक सहायता से मछली अंगुलिका संचयन किया जा रहा है। वर्ष 2013-14 में इस योजना में 78 लाख 69 हजार रूपये की सहायता दी गई है। वर्ष 2015-16 में इस योजना में 111.86 लाख मत्स्य बीज संचित किया गया है। राज्य की प्रवाहित नदियों में बने एनीकटों को पुरानी मछुआ नीति में संशोधन कर मछुआ सहकारी समितियों, मछुआ समूहों और मछुआरों को प्राथमिकता के आधार पर मछली पालन के लिए पट्टे पर दिए जाने का प्रावधान किया गया है। भारत में अंतर्देशीय मछली उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ छठवां बड़ा राज्य बन गया है। वर्ष 2014-15 में 3.14 लाख मीटरिक मछली का उत्पादन हुआ था। राज्य के प्रगतिशील मछली पालक किसानों द्वारा 8000  किलो ग्राम से 12 हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक प्रमुख सफर मछली (कतला, रोहू, मृगल) एवं 70 टन तक प्रति हेक्टेयर पंगेसियस प्रजाति की मछली का उत्पादन किया जा रहा है।

मछलीपालन क्षेत्र के लिए डाटाबेस एवंजियोग्राफिकल इन्फारमेशन सिस्टम

राज्य में मछली पालन के लिए पर्याप्त संख्या में तालाब, जलाशय एवं नदियां उपलब्ध हैं। जलक्षेत्र का रिमोट सेंसिंग पद्धति से सर्वे कराने की कार्रवाई की जा रही है। प्रथम चरण में 8 जिलों को शामिल किया गया है। योजना से राज्य के उपलब्ध जल स्त्रोतों के विकास खण्ड एवं ग्राम स्तर के डिजिटल मैप बनाए जाएंगे एवं मछली पालन के संबंध में संपूर्ण जानकारियों कम्प्यूटराईज्ड की जाएगी। जानकारियां कम्प्यूटराईज्ड होने के बाद डाटाबेस पर वेब एप्लीकेशन तैयार किए जा सकेंगे। वर्तमान में दो जिलों में सर्वे कार्य जारी हैं।