स्वच्छता अभियान की नौटंकी से कुछ हासिल नहीं होने वाला – कांग्रेस

आज भी प्रदेष की आधी आबादी को पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिलता
हाथ में झाड़ू लेकर फोटो खिचवाना ही स्वच्छता

रायपुर 02 अक्टूबर 2014

 भारत स्वच्छता अभियान के तहत छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के द्वारा चलाया गया अभियान और प्रदेष के मुखिया रमन सिंह, मंत्रियों के द्वारा हाथ में झाडू लेकर फोटो खिचवाना हास्यास्पद है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अपने नेता को खुष करने के लिये पूरी की पूरी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाये गये इस एक दिवसीय अभियान के पहले भाजपा नेता आत्म अवलोकन करें। क्या सिर्फ हाथ में झाड़ू लेकर फोटो खिचवाना ही स्वच्छता है, पीने का साफ पानी, शौचालय, स्कूलों में स्वच्छ टायलेट, स्वच्छता की श्रेणी मे नहीं आते। प्रदेष के पूर्व माध्यमिक और हाइस्कूलों में शौचालय के आभाव में बच्चियां प्राइमरी के बाद पढ़ाई छोड़ देती है। आज भी प्रदेष की आधी से अधिक आबादी पीने के स्वच्छ पानी पीने से महरूम है। हाल ही में राष्ट्रीय जल मिषन की जो रिपोर्ट आई है उसके अनुसार छत्तीसगढ़ में 90 फीसदी जल पेयजल के मानक स्तरों को पूरा नहीं करता। राज्य सरकार के स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा किये गये परीक्षण से इस बात का खुलासा पहले ही हो चुका है कि महासमुंद के नागरिक मलयुक्त पानी पीने को मजबूर है। दूषित और गंदा पानी पीने के कारण पेयजल जनित बीमारी पीलिया से राजधानी रायपुर, दुर्ग सहित पूरे प्रदेष में 100 से अधिक लोगो की मौते हो चुकी है। राज्य बने 14 वर्ष पूरे हो गये है आज भी बस्तर में सैकड़ो लोग गंदा पानी पी कर डायरिया के षिकार हो, मौत के मुंह में समा रहे है। वर्ष 2013-14 में बस्तर के कांकेर नारायणुपर, कोंडागांव जिलों में 1500 से अधिक मौते हो चुकी है। राष्ट्रीय स्वच्छता मिषन के द्वारा पिछले एक दषक में करोड़ो रू. मिलने के बाद रमन सरकार गांवों और शहरों के सभी घरों में शौचालय का निर्माण नहीं करा सकी है। सफाई का सही अवलोकन करना है तो राज्य की राजधानी और प्रदेष के अन्य स्थानों के सार्वजनिक शौचालयों की जाकर अवलोकन करें। सिर्फ हाथ में झाड़ू लेकर एक दिन के अभियान से भाजपा राजनैतिक प्रोपोगंडा तो कर सकती है लेकिन इससे प्रदेष का भला नहीं होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि छत्तीसगढ़ में संपूर्ण स्वच्छता अभियान चलाये जाने की जरूरत है लेकिन एक दिन झाड़ू हाथ में लेकर भाजपाईयों की तरह नौटंकी करने से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला। राजनैतिक रसूख और संरक्षण के कारण राजधानी में सफाई के लिये करोड़ो का ठेका लेने वाली कंपनी किवार कंपनी के सामने समूची सरकार बेबस नजर आ रही है पता नहीं क्या मजबूरी है कि एक ठेका कंपनी सीना जोरी कर रही है अपना काम ठीक से नहीं कर रही सरकार मौन हैं ऐसे में सफाई के नाम पर नौटंकी को प्रदेष के लोग क्या समझे?