अम्बिकापुर. छत्तीसगढ के अन्य जिलो की तरह सरगुजा मे भी बारिश पर ब्रेक लग गया है. जिससे किसानो द्वारा रोपे गए धान के पौधे सूखने की कगार मे पहुंच गए है. आलम ये है कि बारिश के इंतजार मे किसानो के माथे की लकीर लंबी होती जा रही है. और प्रदेश सरकार सुखे से निपटने के इंतजाम मे जुट गई है. हालांकि इन सब के बीच मौसम विशेषज्ञो ने बारिश मे ब्रेक को स्वाभाविक प्रकिया बताकर दो दिनो मे बारिश होने की संभावना जताई है..
सरगुजा मे मानसून की पहली बारिश तीन चार दिन तक हुई . लेकिन उसके बाद आसमान मे छाए मानसूनी बादल गायब हो गए. और आसमान मे गर्मियो की तरह चमकजार धूप नजर आने लगी. इस तरह के मौसम मे एक तरफ मौसमी बिमारी का खतरा मंडराने लगा है. तो दूसरी ओर बारिश ना होने से किसान द्वारा रोपे गए धान के पौधे अब खेतो मे लगने से पहले सूखने लगे हैं. दरअसल सरगुजा मे करीब 15 दिन पहले हुई लगातार बारिश से किसानो ने अपनी परंपरागत धान की फसल लगाने की पूरी तैयारी कर ली.. लेकिन अब इंद्रदेव की नाराजगी ने किसानो के माथे मे चिंता की लकीर खींच दी है. मौसम विशेषज्ञ अक्षय मोहन भट्ट की मानें तो पहला मानसून एक सप्ताह लेट से आया. बारिश अच्छी हुई. लेकिन मानसून की हवा आगे हिमालय की तरफ बढ गई तो बारिश मे ब्रेक लग गया. पहले मानसून के बाद ये ब्रेक स्वाभाविक है. लेकिन इस बार जितना ब्रेक हुआ वो ज्यादा है. लेकिन अब फिर से मानसून का जो रूट बना हुआ है वो उत्तरप्रदेश बिहार झारखंड की ओर से गुजर रहा है. जिससे ये अनुमान है कि दो तीन दिन मे मानसून की बारिश अच्छी होने लगेगी..
सूखे पर सिंहदेव….
प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री और सरगुजा मुख्यालय अम्बिकापुर से विधायक टी एस सिंहदेव ने कहा कि ऐसे मे हर गांव से ये जानकारी लेनी होगी कि प्रत्येक व्यक्तिगत किसान की स्थिती क्या है. किनके खेत की क्या हालत है. इसकी जानकारी लेने के लिए सरकार को काम करना है..
सूखे पर राजस्व मंत्री..
प्रदेश के राजस्व औऱ आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल से बात की तो उन्होने सभी जिलो के राजस्व अमले को निर्देश दिए गए है .. पूरे तैयारी है. सूखे के जो हालात बन रहे है हम भी महशूश कर रहे हैं. सूखे की स्थिती से निपटने हमारी सरकार तैयार है..
मानसून की बेरूखी के काऱण इस बार जैसे हालात खासकर सरगुजा मे तो बहुत कम बनते हैं.. क्योकि मौसम के संतुलन के लिए सरगुजा प्रदेश भर मे चर्चित है.. बहरहाल कुछ दिनो पहले आया मानसून दो तीन दिन बरस कर हिमालाय की तरफ चला गया है.. जिसके उत्तरप्रदेश , बिहार , झारखंड के रास्ते जल्द आने की उम्मीद है.. और मौसम विभाग का ये दावा सही साबित हो जाता है. तो फिर अन्नदाता किसान के माथे की लकीर मिट सकती है…