सरकार की धान खरीदी नीति का विरोध करने का कांग्रेस का आवहा्न

रायपुर 30 नवंबर 2014

किसानों से 1 दिसंबर को धान न बेचने की अपील

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद हर साल धान की खरीदी 1 नवम्बर से होती रही है। सरकार इस वर्श सोसायटियों में एक से डेढ़ माह की देरी से 1 दिसंबर से धान की सरकारी खरीदी षुरू करने जा रही है, पिछले साल तो सोसायटियों में 20 अक्टूबर से खरीदी षुरू कर दी गई थी लेकिन विधान सभा और लोकसभा चुनाव निपटने के बाद जहां इस साल भाजपा सरकार ने किसानों को पंजीयन के नाम पर परेषान किया, वहीं दूसरी ओर धान खरीदी की तारीख को 40 दिन बढ़ाकर धान खरीदी को 1 दिसंबर कर दिया। भाजपा सरकार की घोशित धान खरीदी नीति के अनुसार इस वर्श किसानों से प्रति एकड़ सिर्फ 10 क्ंिवटल धान की खरीदी की जायेगी। पिछले वर्शों तक किसान प्रति एकड़ 25 से 30 क्ंिवटल तक धान की बिक्री समर्थन मूल्य पर किया करते थे। सरकार की घोशित नीति के कारण किसानों को अपने खून-पसीने की मेहनत से उगाये गये 15 से 20 क्ंिवटल धान को औने-पौने दामों में कोचियों और दलालों को बेचने के लिये मजबूर होना पड़ेगा। कोठी, ढाबा, मंडी बोरों से जुड़ी धान की परंपरागत व्यवस्था के नश्ट हो जाने के बाद किसानों के पास सोसायटी में धान बेचने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं रह गया। सोसायटी में धान खरीद को लेकर भाजपा सरकारें लगातार किसान विरोधी, धान विरोधी और छत्तीसगढ़ विरोधी रवैया अपना रही है। सरकार द्वारा सोसायटी में 10 क्ंिवटल से अधिक धान खरीदी से इंकार कर देने के बाद छत्तीसगढ़ के किसान तबाही की कगार पर खड़े हैं इसलिए इसे देखते हुये प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल ने किसानों से आव्हान किया है कि जब सरकार ने 40 दिन इंतजार कराया है तो धान खरीदी की इस तुगलकी नीति के खिलाफ किसान भी एक दिन 1 दिसंबर को अपना धान न बेचकर विरोध व्यक्त करे। इसके साथ ही किसानों से अपील की है कि वे अपना धान सोसायटियों में बेचते समय लिखकर दें कि उन्हें धान की पूरी कीमत नगद चाहिए। प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल ने इस आव्हान का पूरे राज्य में व्यापक असर देखा जा रहा है। हर सोसायटी क्षेत्र में किसानों की बैठकें हो रही है। कांग्रेस के सभी जिला अध्यक्षों और ब्लाक अध्यक्षों से प्रदेष कांग्रेस कार्यालय द्वारा संपर्क किया जा रहा है ताकि पूरे राज्य में धान खरीदी के मामले में भाजपा सरकार की तुगलकी नीति के व्यापक विरोध की पहल की जा सके।