शाबाश सूरजपुर..! 9 बच्चियों को बचाया बाल-विवाह के दंश से

@ParasNathSingh

सूरजपुर जिला प्रषासन की सक्रियता से जिले के दुरस्त ग्रामीण क्षेत्र में 9 बाल विवाह रोके गये। जिले के कलेक्टर के.सी.देवसेनापति के बाल विवाह रोकने हेतु दिषा निर्देष के आधार पर ग्रामीण थाने आकर षिकायत किये कि ग्राम दवनसरा विकास खण्ड ओड़गी में एक 16 वर्ष की बालिका का बाल विवाह होने वाला है, और बारात चैनपुर से आ रही है। थाना प्रभारी द्वारा इसकी जानकारी जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री जायसवाल को दी गई टीम तत्काल मौके पर पहुच कर जांच कि तो षिकायत सही पाये जाने पर बालिका एवं घर वालो को समझाईस दिया जा रहा था। तब तक बरात गांव में पहुच गई। उन्हे किसी ने बताया और बारात दुल्हा बाराती, बाजे गाजे के साथ बैरग वापस चला गया।

इसी प्रकार पुलिस अधीक्षक सूरजपुर को लिखित सूचना प्राप्त हुई कि दुरस्त ग्राम पासल (बिहारपुर) में एक 15 वर्षीय बालिका का बाल विवाह हो रहा है। एस.पी. सूरजपुर ने इस संबंध में थाना चान्दनी बिहारपुर एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी को पत्र जारी कर  कार्यवाही हेतु लिखा मौके पर जांच करने जाने पर बालिका का 14 वर्ष की पाई गई। मौके पर लड़का पक्ष वाले वाड्रफनगर से आये थे। जहां सभी ने उम्र होने पर ही विवाह करने पर सहमती दी।

मौके पर षिकायत एक 17 वर्षीय बालक का मण्डप गड़ा हुआ था टीम को देखते सभी घर से फरार हो गये। बालक घर में घुस कर सोने का नाटक करने लगा। समझाईस पर घर वाले सहित ग्राम के सरपंच हिरामन सिंह एवं ग्रामीण विवाह नही करने को तैयार हो गये।

बिहारपुर के समीप ही ग्राम विषालपुर में 19 वषीय बालक रूदन सिंह का मण्डप की सूचना टीम को प्राप्त हुई जिसका बारात भागबरदा (मोहरसोप) जाने वाला था। काफी समझाईस के बाल वे बाल विवाह न करने का तैयार हुए।

प्राप्त जानकारी के आधार पर ग्राम पंचायत सेमरा में अप्रैल माह में चार बाल विवाह होने वाले है। टीम द्वारा ग्राम सेमरा के धोरीपारा में तीन बालिकाओं एवं एक बालक के उम्र कम होने पर उन्हे उम्र हो जाने पर विवाह करने को बताया गया। सभी ने सहर्ष टीम के बार्ता को मान लिया जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा बताया गया कि यदि बाल विवाह किया जाता है तो बाल विवाह प्रतिषोध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह कराने वाले, सहयोग करने वाले, अनुमति देने वाले को, शामील होने वाले सभी को दो वर्ष की सजा एवं एक लाख रूपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है। सभी ग्रामीणों ने संकल्प लिया की वे बाल विवाह नही करेंगें।

दिन भर चले इस अभिमान में अन्तिम गांव कोल्हुआ था जहां बालिका के बाल विवाह की सूचना पर टीम कोल्हुआ गांव गई जहां पर बालिका के उम्र का सत्यापन नही हो पाने पर आंगनबाड़ी किषोरी बालिका के पुरक पोषण आहर पंजी में भी बालिका का नाम होने पर की ग्रामीण बालिका को बालिक बना रहे थे। जिस पर राज्य में स्कूल के प्रधानाध्यापक से दाखिल खारीज रजिस्टर मगाने पर उसमें भी बालिका होने पर एवं सरपंच एवं सचिव द्वारा समझाईस देन पर ही वे बाल विवाह नही करने पर राजी हुए।

इस अभियान में विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी अमित कुमार भारीया, संरक्षण अधिकारी अखिलेष सिंह, पर्यवेक्षक ममता भुमित, श्रीमती सुषिला मरकाम, मनिषा निराला, थाना झिलमिली के एस.आई.सुनीता भारद्वाज, एस.आई. बी.आर.यादव ललित तिर्की थाना चांदनी बिहारपुर के ए.एस.आई महावीर भगत प्रधान आरक्षक तीज राम जांगड़े, संतकुमार चैहान, आरक्षक कामेष्वर टोप्पो, कमलेष गुर्जर, राकेष सिंह, महादेव पैकरा, महिला आरक्षक बालकुमारी, जिला बाल संरक्षण इकाई से पवन धीवर, अनिता पैकरा, हरगोविन्द चक्रधारी का विषेष योगदान रहा।