लाल सागर में बना डिस्टर्वेंस.. छत्तीसगढ़ समेत सीमावर्ती राज्यों में बदला मौसम..!

रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत पूरे प्रदेश और सीमावर्ती प्रदेश में मौसम का मिज़ाज अचानक से बदल गया है.. कही तेज आंधी तूफ़ान तो कही अचानक बारिश ने जन जीवन को प्रभावित कर दिया है.. बहरहाल फरवरी के मौसम में ही मानसून जैसा लगने वाला यह बदलाव मानसून की दस्तक नहीं बल्की वेस्टर्न डिस्टर्वेंस है.. जिसकी वजह से पूरे छतीसगढ़ में मौसम बदला हुआ है.. दरअसल यह वेस्टर्न डिस्टर्वेंस ईरान, ईराक के पर लाल सागर में जनरेट होता है और भारत में अरावली पर्वत और हिमालय के बीच की जगह से प्रवेश करता है और इस वजह से भारत के कुछ राज्यों में मौसम प्रभावित होता है.. वेस्टर्न डिस्टर्वेंस के बारे में वैज्ञानिक मत है की यह आमूमन भारत से ज्यादा चाइना को प्रभावित करता है..

खुले में धान होगा बर्बाद

वही छत्तीसगढ़ में धान खरीदी हालही में समाप्त हुई है.. और लगभग धान खरीदी केन्द्रों से धान का उठाव नहीं कराया जा सका है.. ऐसे में धान की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम ना होने की वजह से केन्द्रों में पड़े धान में अगर पानी पडा तो उसका भी नुकसान शासन को झेलना पड़ सकता है..

अक्षय मोहन भट्ट मौसम वैज्ञानिक

मौसम वैज्ञानिक अक्षय मोहन भट्ट कहते है की वेस्टर्न डिस्टर्वेंस की वजह से भारत में उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीगढ़, ओड़िसा, बिहार, झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रो में इसका प्रभाव रहता है.. वेस्टर्न डिस्टर्वेंस के बारे में इन्होने बताया की ये भारत से लगभग 2 से 3 हजार किलोमीटर दूर लाल सागर में जनरेट होता है और भारत और चाइना को प्रभावित करता है..क्योकी मध्य भारत के ऊपर चक्रवात बना हुआ है इसलिए वेस्टर्न डिस्टर्वेंस में कुछ जगहों पर बारिस और ओलावृष्टि की भी संभावना हो सकती है..

आर.के.मिश्रा डीन इंदरा गांधी कृषि महाविद्द्यालय

इस संबध में कृषि जानकार बताते है की इस वेस्टर्न डिस्टर्वेंस से आम, लीची, कटहल में फंगस लगने का ख़तरा है.. इसके अलावा गोभी, टमाटर में कीड़े लगने की सभावना है वही अगर ओलावृष्टि अधिक हुई तो गेंहू, चना, अलसी जैसी फसलों को भी खासा नुक्सान हो सकता है..