लाडू मुर्रा मे भी घोटाला : मासूम बच्चो के पेट पर भी डांका

अम्बिकापुर

सरगुजा जिले मे महिला बाल विकास की अनदेखी और महिला समूहो की मनमानी,, आगंनबांडी केन्द्रो के लिए मुसीबत बनती जा रही है। आलम ये है कि जिले के कई केन्द्रो मे दो महीने से रेडी-टू-ईट नही पंहुच रहा है,, और जंहा पंहुच रहा है वंहा पोषक आहार का वजन अनुमानित क्षमता से कम है। लिहाजा आज जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता और दो दर्जन से अधिक जनपद सदस्यो ने महिला बाल विकास कार्यालय का घेराव कर दिया।

सरगुजा जिला में महिला बाल विकास विभाग की कार्यगुजारी के खिलाफ जनप्रतिनिधि लामबंद हो गए है। दरअसल आज जिला मुख्यालय अम्बिकापुर स्थित परियोजना कार्यालय का घेराव करने पंहुचे जिले के 25 जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्यो का आरोप है,,  जिले मे संचालित आंगनबाडी केन्द्रो में रेटी-टू-ईट व्यवस्था पर ध्यान नही दिया जा रहा है,, जिसकी वजह से जिले के कई केन्द्रो मे दो महीने से रेडी-टू-ईट नही पंहुच रहा है,, इतना ही नही कुछ आंगनबाडी केन्द्रो मे पंहुचने वाला लाडू मुर्रा विभाग द्वारा निर्धारित क्षमता से कम है।

सरगुजा जिले के महिला बाल विकास परियोजना कार्यालय का घेराव करने आए जनप्रतिनिधियो के आरोपो पर गौर करे तो आंगनबाँडी केन्द्रो में समूहो द्वारा जो लाडू मुर्रा की सप्लाई की जा रही है ,, उसका वजन 120 ग्राम होना । लेकिन उसका 35 से 50 ग्राम रहता है,, जो ना ही आंगनबाडी की बेहतरी के लिए लिहाज से ठीक है और ना ही यंहा पढने आने वाले बच्चो के स्वास्थ के लिए ,, लेकिन दूसरी तरफ विभाग के जिला परियोजना अधिकारी मामले को हल्के मे लेते हुए ,,व्यवस्था को 10 दिनो के भीतर सुधारने का दावा कर रहे है।

हैरानी की बात है कि जिस अधिकारी पर समूचे जिले से कुपोषण खत्म करने और ग्रामीण परिवेश के बच्चो की बेहतरी का जिम्मा है,, वो विरोध प्रदर्शन के बाद व्यवस्था सुधारने का दावा कर रहे है। मतलब ये कहना भी गलत नही होगा कि क्षमता से कम पोषक आहार देने और रेडीटूईट आंगनबाडी केन्द्रो तक नही पंहुचने की जानकारी इनको पहले से थी।  बहरहाल अब सवाल तो यही उठता है,, कि महीने मे 15 दिन निरीक्षण के नाम पर अपने आफिस से लापता रहने वाले इस अधिकारी क्या अपने घर मे सोते है।