रायपुर : फोरेंसिक विज्ञान सम्मेलन का शुभारंभ : न्यायमूर्ति श्री सुभाष चन्द्र व्यास ने किया शुभारंभ

 

राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फोरेंसिक विज्ञान पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री सुभाष चन्द्र व्यास ने किया। शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस जवाबदेही बोर्ड के अध्यक्ष श्री अनिल एम. नवानी ने की। सम्मेलन में पुलिस के अनुसंधान और विवेचना से संबंधित कार्यों में फोरेंसिक विज्ञान के महत्व और उसकी प्रासंगिकता पर विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए। सम्मेलन में फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. डी.के. सतपथी भोपाल, डॉ. एम. बी. राव हैदरावाद, डॉ. एस.के.शुक्ला नई दिल्ली, डॉ. एस. सत्यन हैदरावाद, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री सुभाष चन्द्र व्यास ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार सभी नागरिकों को निष्पक्ष जांच, सही न्याय और त्वरित न्याय प्राप्त करने का अधिकार है। संविधान की धारा के अनुसार सभी नागरिकों को समानता का अधिकार और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। राज्य के सभी अंगों को संविधान को केन्द्र में रखकर ही कार्य किया जाना चाहिए और संविधान से ही मार्गदर्शन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान के साक्ष्य, अपराधी को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपराधी को सजा दिलाने में पुलिस अधिकारियों को तत्परता से कार्य करना चाहिए। अधिकारियों को एफ.आई.आर. लिखने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। अपराध घटने के बाद तुरन्त घटना स्थल पर जाना चाहिए तथा घटना स्थल पर छोड़े गए साक्ष्य तत्काल एकत्रित करना चाहिए। इससे अपराधी को पकड़ने में आसानी होती है। अपराध की विवेचना वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए तथा मजबूत साक्ष्यों के साथ न्यायालय में केस दर्ज किया जाना चाहिए, ताकि न्यायालय में उक्त साक्ष्य मान्य हो सके। श्री व्यास ने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में आए फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श से राज्य के अधिकारियों को मार्गदर्शन प्राप्त होगा और सम्मेलन सार्थक साबित होगा।
छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस जवाबदेही बोर्ड के अध्यक्ष श्री अनिल नवानी ने इस अवसर पर कहा कि न्यायालयीन विज्ञान एक अचूक औजार की तरह है, जिसका समुचित उपयोग पुलिस अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान में डी.एन.ए. टेक्नालॉजी ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। विवेचना अधिकारियों को वैज्ञानिक तरीकों से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जिला और विकासखण्ड स्तर में भी अधिकारियों के लिए रिफ्रेशर कोर्स आयोजित करना चाहिए। सम्मेलन को संचालक पुलिस अकादमी श्री आनंद तिवारी ने भी सम्बोधित किया। स्वागत भाषण संचालक राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला श्री आर.सी.पटेल ने दिया। शुभारंभ सत्र के समापन पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।