रायपुर : छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की आदिवासी बोलियों पर शब्दकोश प्रकाशित : डॉ. रमन सिंह ने की प्रशंसा

रायपुर, 22 दिसम्बर 2013

 

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अमरकंटक स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय द्वारा छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित बोलियों पर आधारित शब्दकोष प्रकाशन की परियोजना की प्रशंसा की है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तीर्थेश्वर सिंह ने आज यहां डॉ. रमन सिंह से सौजन्य मुलाकात कर उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित हिन्दी-बैगानी-कोल तथा हिन्दी-गोंडी-बैगानी-कोल-अंग्रेजी शब्दकोश की सौजन्य प्रतियां भेंटकर उन्हें विश्वविद्यालय के इस महत्वपूर्ण अनुसंधान प्रोजेक्ट की जानकारी दी। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा दोनों राज्यों में अपने छात्रों के सहयोग से जनजातीय क्षेत्रों में सर्वेक्षण कर वहां की बोलियों में प्रचलित शब्दों का संकलन तैयार किया है और इन शब्दों के हिन्दी तथा अंग्रेजी में अर्थ भी उसमें शामिल किए गए हैं। बस्तर अंचल की हल्बी बोली सहित छत्तीसगढ़ के पनिका और कुछ अन्य समुदायों की बोलियों के शब्दों का संकलन भी उनके विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया जा रहा है। इस कार्य में विश्वविद्यालय को भारतीय भाषा संस्थान मैसूर (कर्नाटक) के विशेषज्ञों का भी सहयोग मिल रहा है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आंचलिक बोलियों और विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों की बोलियों के संरक्षण का यह कार्य वास्तव में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस परियोजना की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। कुलपति प्रोफेसर तीर्थेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में अपै्रल 2008 से संचालित है। छत्तीसगढ़ की सीमा के मात्र एक किलोमीटर नजदीक होने के कारण इधर के विद्यार्थी भी वहां अध्ययन के लिए जाते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस विश्वविद्यालय तक आने-जाने के लिए ग्राम पोंड़की से पेण्ड्रा की सड़क के जीर्णोद्धार की जरूरत बतायी  और इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से आग्रह पत्र सौंपा। डॉ. सिंह ने उनके इस पत्र पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया।